नई दिल्ली। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में एक नई पहल हुई है। शिंदे सरकार ने अस्पताल में ट्रांसजेंडर्स वार्ड की शुरुआत की है, जिसके तहत जीटी हॉस्पिटल में देश का पहला ट्रांसजेंडर्स वार्ड शुरू किया गया है। इसका उद्घाटन गत दिनों राज्य के मेडिकल एजुकेशन मिनिस्टर गिरीश महाजन ने किया। इसके बाद सरकार पुणे के ससून अस्पताल में भी ट्रांसजेंडर वार्ड बनाने के लिए चर्चा हो रही है।
ट्रांसजेंडर समुदाय के इलाज को विशेष सहूलियत देने के लिए गोकुलदास तेजपाल (जीटी) अस्पताल में गत शुक्रवार को ट्रांसजेंडर वार्ड शुरू किया गया है। 30 बेड का यह वॉर्ड सिर्फ राज्य का ही नहीं, बल्कि देश का पहला समर्पित ट्रांसजेंडर वॉर्ड बन गया है। मुंबई के अलावा राज्य के अन्य अस्पतालों में भी इस तरह का वॉर्ड शुरू करने की सरकार की योजना है। किन्नरों को स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर भेदभाव का बर्ताव झेलना पड़ता है, इसलिए राज्य सरकार ने जीटी अस्पताल में एक समर्पित वॉर्ड की शुरुआत की है।
जेजे अस्पताल समूह की डीन डॉ. पल्लवी सापले ने द मूकनायक को बताया कि "अक्सर ट्रांसजेंडर की मांग हुआ करती थी कि उन्हें महिला वार्ड में भर्ती किया जाए, लेकिन महिला वॉर्ड में इन्हें भर्ती करने से वहां मरीजों में हिचकिचाहट होने लगती थी। पुरुष वॉर्ड में ट्रांसजेंडर खुद को कम्फर्ट नहीं पाते थे। ट्रांसजेंडर्स की इस हिचकिचाहट को खत्म करने के लिए उनके लिए अच्छा बेहतर करने के लिए ट्रांसजेंडर वार्ड बनाया गया है।" डॉक्टर पल्लवी बताती हैं कि, "यहां पर ट्रांसजेंडर्स के लिए हर तरह का इलाज संभव होगा हार्मोन से लेकर सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी भी यहां पर कराई जाएगी। हर तरह का इलाज यहां पर संभव होगा। ट्रांसजेंडर्स की सेफ्टी भी यहां पर मिलेगी और प्राइवेसी का भी ध्यान रखा जाएगा।"
डॉक्टर ने आगे बताया, रामचंद्र बोर्ड में 30 बेड और वेंटिलेटर हैं। यहां वह सभी है जो इलाज के लिए जरूरी होता है। अब इस नए वॉर्ड के शुरू होने से ट्रांसजेंडरों को मूल धारा में लाया जा सकता है। आगे भविष्य में ऐसे और भी वार्ड बनाए जाएंगे।
डॉ. पल्लवी सपले के अनुसार वार्ड में जेंडर-न्यूट्रल टॉयलेट भी हैं। यह वार्ड सेक्स पुनर्मूल्यांकन सर्जरी पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय ट्रांसजेंडर आबादी की सामान्य स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान देने के लिए बनाया गया है। अस्पताल ने एक कानूनी सलाहकार और काउंसलर भी नियुक्त किए हैं। हालांकि, अस्पताल में रहने के दौरान, उनकी मौजूदा बीमारी के इलाज के साथ-साथ, अस्पताल उनकी सीरो-निगरानी और मानसिक स्वास्थ्य स्थिति के लिए भी जांच करता रहेगा। ट्रांसजेंडर समुदाय में नशा एक आम समस्या है, जिसका अस्पताल में ध्यान रखा जाएगा।
सापले ने बताया कि यहां मनोरोग विशेषज्ञ उपलब्ध रहेंगे। भर्ती करने के दौरान सीरो सर्विलांस के लिए रक्त के नमूने लिए जाएंगे।
अस्पताल में इलाज के दौरान ट्रांसजेंडर्स को अलग बर्ताव न झेलना पड़े इसके लिए 150 से ज्यादा स्टाफ को रोगियों के प्रति मानवीय व्यवहार के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। अस्पताल में वार्ड में वेंटिलेटर, आईसीयू मॉनिटरिंग, ट्रेंड स्टाफ और डॉक्टर होंगे। रोगियों की गोपनीयता बनाए रखने के लिए अलग एग्जामिनेशन रूम और ड्रेसिंग रूम होंगे।
नए वॉर्ड की तैयारी को लेकर द मूकनायक ने ट्रांसजेंडर अरोह अकुंत, जो दलित क्वीर प्रोजेक्ट के साथ जुड़े हैं, से बात की। "अगर ऐसा कोई वार्ड बन रहा है जो ट्रांसजेंडर्स की सुविधाओं को दूर करेगा तो यह बहुत ही सुकून देने वाली बात होगी। क्योंकि ट्रांसजेंडर्स को हर जगह पर थोड़ा संघर्ष तो करना ही पड़ता है। अगर ऐसे किसी वार्ड या ऐसी कोई चिकित्सक सुविधा होगी तो थोड़ी सी परेशानी कम तो होगी। खत्म कब होगी यह किसी को नहीं पता। परंतु यह एक अच्छी शुरुआत है।"
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जेंडर काउंसिल, वेस्टर्न रीजन की सदस्य ज़ैनब पटेल ने इस समर्पित वॉर्ड की सराहना की है। हालांकि, उन्होंने इस बात को माना है कि वॉर्ड के संदर्भ में जागरूकता कम है। अधिकांश ट्रांसजेंडर इलाज के लिए जेजे और सायन अस्पताल में जाते हैं, इसलिए प्रशासन को चाहिए कि सभी अस्पतालों में इसे लेकर समन्वय करें और बताएं कि इस तरह की सुविधा शुरू की गई है। इसके साथ ही इसके लिए एक ऐक्शन प्लान बनाना चाहिए। समर्पित वॉर्ड के बारे में समुदाय को प्रेरित करने के लिए वॉर्ड स्तर पर कैंप आदि का आयोजन करना चाहिए। मुंबई में 70 हजार ट्रांसजेंडर हैं, जबकि पूरे देश में 5 लाख हैं। उन्होंने यह भी मांग की है कि इस तरह के और वॉर्ड शुरू किए जाने चाहिए।
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