ट्रांसजेंडर्स की स्थिति में सुधार लाने के लिए दिल्ली महिला आयोग ने जारी किए दिशानिर्देश

ट्रांसजेंडर्स की स्थिति में सुधार लाने के लिए दिल्ली महिला आयोग ने जारी किए दिशानिर्देश
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नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने प्रदेश में ट्रांसजेंडरों के सशक्तिकरण को ध्यान में रखने के उद्देश्य से ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड के गठन की अधिसूचना में तेजी से काम करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से सिफारिशें की हैं। आयोग ने बताया कि तमिलनाडु, केरल, उत्तर प्रदेश और बिहार सहित 12 राज्यों ने पहले ही ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड स्थापित कर लिए हैं और कहा कि दिल्ली को पीछे नहीं रहना चाहिए।

आयोग ने कुछ जिलों में पहचान के लिए ट्रांसजेंडर प्रमाणपत्रों की मांग के लिए आवेदनों की महत्वपूर्ण लम्बितता पर भी ध्यान दिया, हालांकि केंद्रीय नियम गारंटी देते हैं कि आवेदन प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर इसे जारी किया जाना चाहिए।

पैनल ने यह भी देखा कि अधिकांश आवेदनों को "मनमाने और निम्न आधार" पर काफी देरी के बाद खारिज कर दिया गया था, जैसे कि आवेदक उसी जिले से संबंधित नहीं है या हस्ताक्षर या दस्तावेज फॉर्म से गायब है।

अपने आधिकारिक बयान में DCW ने कहा कि भारत सरकार ने 2019 में ट्रांसजेंडर लोगों के (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम और 2020 में केंद्रीय नियमों को पारित किया और दिल्ली के लिए नियमों को अधिसूचित किया जाना बाकी है।

DCW की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल ने कहा कि केंद्र को दिल्ली के एनसीटी और दिल्ली के लिए ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड के लिए राज्य के नियमों को तुरंत अधिसूचित करना चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली सरकार ने आयोग को सूचित किया है कि वह ट्रांसजेंडरों के कल्याण के लिए कोई योजना या आश्रय गृह नहीं चला रही है। इसे तुरंत ठीक करने की आवश्यकता है। ट्रांसजेंडर पर्सन (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम के कार्यान्वयन में कई खामियां हैं। दिल्ली में इससे निपटने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। आशा है कि हमारी सिफारिशें केंद्र और राज्य को समस्या की सीमा का पता लगाने और स्थिति में सुधार के उपाय करने में मदद करेंगी।

गृह मंत्रालय के पास लंबित है मसौदा

आयोग के एक नोटिस के जवाब में दिल्ली सरकार ने सूचित किया है कि स्वीकृत मसौदा नियम गृह मंत्रालय से अधिसूचना के लिए लंबित हैं। इसके अलावा सरकार ने आयोग को यह भी बताया कि राज्य ने एक ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड के गठन को मंजूरी दे दी है और यह अधिसूचना के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास लंबित है।

प्रदेश में नहीं ट्रांसजेंडरों के लिए कोई योजना: DCW

आयोग ने गृह मंत्रालय को बताया है कि तमिलनाडु, केरल, उत्तर प्रदेश और बिहार सहित 12 राज्यों ने पहले ही ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड बना लिया है और अब ऐसे में दिल्ली को पीछे नहीं रहना चाहिए। आयोग ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार ने ट्रांसजेंडरों के कल्याण के लिए कोई योजना शुरू नहीं की है। वह इस संबंध में तुरंत योजनाएं शुरू करें और उन ट्रांसजेंडरों के लिए आश्रय गृह स्थापित करें, जिन्हें राज्य की देखभाल और सुरक्षा की जरूरत है।

ट्रांसजेंडरों के नहीं बनते पहचान पत्र

डीसीडब्ल्यू ने ट्रांसजेंडरों को पहचान पत्र जारी करने के संबंध में कई खामियों की पहचान की। आयोग ने इस मुद्दे पर सभी जिलाधिकारियों को नोटिस जारी किया था और पाया कि पिछले 3 वर्षों में दिल्ली में ट्रांसजेंडरों को केवल 76 पहचान पत्र जारी किए गए हैं। जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार दिल्ली में 4,213 ट्रांसजेंडर थे। आयोग ने कहा कि अधिकांश जिलों में ट्रांसजेंडर प्रमाणपत्र के लिए बहुत कम आवेदन प्राप्त हुए हैं। उदाहरण के लिए बताया कि शाहदरा जिले को पिछले 3 वर्षों में केवल 4 आवेदन प्राप्त हुए हैं।

आयोग ने 15 दिनों में रिपोर्ट उपलब्ध कराने का दिया निर्देश

DCW की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल ने कहा कि केंद्र को दिल्ली के एनसीटी और दिल्ली के लिए ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड के लिए राज्य के नियमों को तुरंत अधिसूचित करना चाहिए। "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली सरकार ने आयोग को सूचित किया है कि वह ट्रांसजेंडरों के कल्याण के लिए कोई योजना या आश्रय गृह नहीं चला रही है। इसे तुरंत ठीक करने की आवश्यकता है। ट्रांसजेंडर पर्सन (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम को जमीनी स्तर पर उतारने में कुछ खामियां हैं। दिल्ली में इससे निपटने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। उम्मीद है कि हमारी सिफारिशें केंद्र और राज्य को समस्या की स्थिति में सुधार के उपाय करने में मदद करेंगी।" स्वाति मालीवाल ने इस मामले में की गई कार्रवाई पर 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है।

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इस मामले पर दिल्ली के ट्रांस पर्सन कबीर जो दिल्ली में जॉब करते हैं और ट्रांस कम्युनिटी के लिए कार्य करते हैं, द मूकनायक को बताते हैं कि "अगर दिल्ली में ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड बन रहा है। तो यह बहुत महत्वपूर्ण बात है। क्योंकि हमें इस बोर्ड की बहुत आवश्यकता है। दिल्ली एक महत्वपूर्ण केंद्र है देश का। क्योंकि ट्रांस कम्युनिटी के लोग चाहे वह बाहर से आते हो या दिल्ली के हो, उनको अपने सभी कार्यों के लिए इधर-उधर बहुत भागना पड़ता है। इसलिए दिल्ली में इसकी बहुत जरूरत है।"

कबीर बताते हैं कि जब ट्रांस कम्युनिटी के लोग दिल्ली आते हैं, तो उनको टीजी कार्ड लेना होता है टीजी कार्ड लेने के लिए चार पांच तरीके हैं दिल्ली में। चार-पांच तरीके में एक तरीका यह है कि अखबार में आप अपना नाम लिखवा दीजिए फिर उसकी कटिंग दे दीजिए। इस तरह के बहुत से तरीके हैं जो दिल्ली में चल रहे हैं। कहीं पर कुछ दलाल लोग होते हैं वह लोग यह काम करवाते हैं। वह इस काम को कराने के लिए 10000 से ₹15000 लेते हैं। जबकि इस काम को करवाने के लिए 3000 से भी कम रुपए लगते हैं। इसलिए एक केंद्र होना चाहिए जहां इन सारे कार्यों को हो सकें।

आगे वह कहते हैं कि ऐसे कितने कार्य हैं जो अलग-अलग जगह पर किया जाते हैं। जैसे नाम बदलवाने, मार्कशीट्, जेंडर आदि। आगे वह बताते हैं कि "मैं आधार सेंटर भी गया था। पर उन लोगों के पास भी कोई जानकारी नहीं होती है। और वह साफ तरीके से मना कर देते हैं। जबकि मिस्ट्री के आर्डर हैं, कि अगर कोई भी मना करें तो आप हमें मेल कर सकते हैं। अब मेल करने के चक्कर में सारे काम ना के बराबर ही हो जाते हैं। मेरे पास पैसे और समय था। इसलिए मैंने यह सारी भागा दौड़ी कर ली। परंतु जिस व्यक्ति के पास पैसे और समय नहीं है वह क्या करेगा। मेरे खुद के ट्रांसजेंडर सर्टिफिकेट लेने के लिए एक से डेढ़ साल लग गया जबकि ट्रांसजेंडर सर्टिफिकेट लेने के लिए 30 दिनों का समय निश्चित है।"

दिल्ली में भी होना चाहिए ट्रांसजेंडर वार्ड- कबीर

कबीर ने एक बहुत महत्वपूर्ण बात बताई कि स्वाति मालीवाल ने ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड की मांग की है। जो बहुत जरूरी है। परंतु एक चिकित्सालय या ट्रांसजेंडर वार्ड की जरूरत बहुत है। क्योंकि जैसे कि मैं हार्मोन थेरेपी पर हूं। और अगर मेरे सर में दर्द होता है तो मैं साधारण दवाई नहीं ले सकता। जो कि सभी सर दर्द में ले सकते हैं इसके लिए मुझे मेरे डॉक्टर ही समझ के मेरे लिए जरूरी दवाई दे सकते हैं। हम ऐसे ही किसी डॉक्टर के पास नहीं जा सकते। दिल्ली में भी एक ट्रांसजेंडर वार्ड होना चाहिए जहां पर हमारी हर बीमारी को लेकर हमें अच्छे से समझा जा सकें। अच्छा इलाज हो सके और वहां हम बेझिझक जा सकें, और जिनको हमारी सारी जानकारी हो। जब लोगों के लिए अलग-अलग विभाग हैं, तो हमारे लिए भी अलग विभाग होना चाहिए।"

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