ट्रांसजेंडर डे ऑफ रिमेम्ब्रेंस: जंतर-मंतर से उठी आवाज- भेदभाव नहीं करें, मानें समाज का हिस्सा

सेलिब्रेट किया गया ट्रांसजेंडर डे ऑफ रिमेम्ब्रेंस [फोटो- ऋत्विक दत्ता, द मूकनायक]
सेलिब्रेट किया गया ट्रांसजेंडर डे ऑफ रिमेम्ब्रेंस [फोटो- ऋत्विक दत्ता, द मूकनायक]
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रिपोर्ट- रित्विक दत्ता

नई दिल्ली। अगर किसी बहुत संपन्न पैसे वाले घर का कोई एक सदस्य बीमार पड़ा हो तो क्या उस परिवार में कोई खुश रह सकता है? हमारा समाज भी एक बड़ा परिवार है। जब इस परिवार के एक हिस्से ट्रांसजेंडर नागरिकों को लगातार मजाक, उपेक्षा, घृणा और हिंसा का शिकार बनाया जाता रहेगा तो समाज खुशहाल और संपन्न कैसे होगा?

ट्रांसजेंडर नागरिक स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, बैंक, पोस्ट ऑफिस, रेलवे, बस, हवाई जहाज सहित अन्य जगह क्या आपको नौकरी करते हुए दिखते हैं? ट्रांसजेंडर नागरिकों का क्या अपराध है जो उन्हें समाज के मुख्यधारा से वंचित रखा गया है? यह सवाल गत रविवार को जंतर-मंतर पर ट्रांसजेंडर डे ऑफ रिमेम्ब्रेंस के अवसर पर उठाए गए।

ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के लिए हिंसा झेलने और अपनी जान की कुर्बानी देने वालों की स्मृति में दुनिया भर में हर साल 20 नवंबर को रिमेम्ब्रेंस डे मनाया जाता है।

सेलिब्रेट किया गया ट्रांसजेंडर डे ऑफ रिमेम्ब्रेंस [फोटो- ऋत्विक दत्ता, द मूकनायक]
सेलिब्रेट किया गया ट्रांसजेंडर डे ऑफ रिमेम्ब्रेंस [फोटो- ऋत्विक दत्ता, द मूकनायक]

वर्ष 1999 से मनाया जा रहा रिमेम्ब्रेंस डे

इसी प्रकार बनारस में प्रिज्मैटिक इंडिया की ओर से ट्रांसजेंडर नागरिकों को सशक्त और जागरूक करने के उद्देश्य से आज कार्यशाला आयोजित की गई। संस्था की नीति ने कहा कि ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के लिए हिंसा झेलने और अपनी जान की कुर्बानी देने वालों की स्मृति में दुनिया भर में हर साल 20 नवंबर को रिमेम्ब्रेंस डे मनाया जाता है।

वर्ष 1999 में इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई थी। ट्रांसजेंडर रीटा हेस्टर की हत्या 1998 में मैसाचुसेट्स में हुई थी। रीटा अमेरिकन-अफ्रीकन महिला थीं और वह ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों की मुखर आवाज थीं।

जंतर-मंतर पर कार्यक्रम में भाग लेने वाले रे कहा कि भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार ट्रांसजेंडर की संख्या 4,87,803 है। ये लोग खुद को पुरुष या महिला के तौर पर नहीं बल्कि अन्य के तौर पर आइडेंटिफाई करते हैं। संविधान कहता है कि सभी नागरिक समान हैं। लिंग, जाति, धर्म, नस्ल, रंग रूप के आधार पर किसी से कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

ट्रांसजेंडर एक्ट 2020 कहता है कि सरकारी और प्राइवेट सभी तरह के जगहों पर ट्रांसजेंडर नागरिकों को भी समान अवसर उपलब्ध होंगे। किसी भी तरह का भेदभाव नही होगा। इन सब कोशिशों को और बेहतर तरीके से जमीन पर उतारा जाए।

संविधान कहता है कि सभी नागरिक समान हैं। लिंग, जाति, धर्म, नस्ल, रंग रूप के आधार पर किसी से कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

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