चंडीगढ़: पंजाब विश्वविद्यालय के हर कोर्स में सत्र 2024-25 के दौरान ट्रांसजेंडर विद्यार्थी के लिए एक अतिरिक्त सीट बनाई जाएगी। पीयू में शनिवार को हुई 15 सदस्यीय सिंडिकेट की बैठक में ट्रांसजेंडर के लिए अतिरिक्त सीट बनाने के एजेंडे पर मुहर लगाई गई.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रो. अंजू सुरी की अध्यक्षता में 28 अगस्त को ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के हित में दो विषयों पर चर्चा की गई। इसमें उनके लिए भेदभाव न हो, इसलिए पीयू वेबसाइट पर स्थायी सेल का पेज बनाने और समावेशी शिक्षा के लिए हर कोर्स में ट्रांसजेंडर विद्यार्थी के लिए एक सीट बनाने का मुद्दा रखा गया। विभिन्न विश्वविद्यालयों में ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए भेदभाव रहित माहौल बनाने के लिए किए प्रयासों के अंतर्गत समिति ने यह मुद्दा रखा। फैसला हुआ कि पीयू के विभागों और क्षेत्रीय केंद्र के हर कोर्स में एक अतिरिक्त सीट ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए बनाई जाएगी। इसमें नियामक संस्थाओं की ओर से होने वाले कोर्स जैसे इंजीनियरिंग, डेंटल आदि शामिल नहीं रहेंगे।
ट्रांसजेंडर की अतिरिक्त सीट को लेकर द मूकनायक ने नूर शेखावत से बात की। नूर शेखावत ट्रासजेंडर जन्म प्रमाण पत्र लेने और जयपुर के प्रतिष्ठित महारानी कॉलेज में दाखिला लेने वाली पहली ट्रांस्पर्सन हैं। नूर बताती है कि, "मैंने यहां तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष किया है। मुझे पता है कि शिक्षा क्या है। जिंदगी के लिए शिक्षा इतनी जरूरी है, कि आप हर जगह पर अपने मुकाम को पा सकते हैं। लेकिन इस शिक्षा को पाने के लिए ट्रांसजेंडर बहुत संघर्ष कर रहे हैं। यह कदम मैंने अपने लिए नहीं बल्कि सभी ट्रांसजेंडर के लिए आगे बढ़ाया है। ताकि वह लोग भी मुझे देखकर शिक्षा में अपना भविष्य सुरक्षित करें। अभी भी कितने विश्वविद्यालय में जो फॉर्म होते हैं। वह अभी भी ऐसे बने हैं जिसमें पुरुष और महिला के लिए ही कालम होता है। अभी भी ट्रांसजेंडर के लिए कोई कालम नहीं होता है। पंजाब यूनिवर्सिटी ने ट्रांसजेंडर के लिए सभी कोर्सेज में ट्रांसजेंडर सीट रखकर हमें बहुत ही बड़ी खुशखबरी दी है। यह बहुत ही खुशी की बात है। इसके बाद और भी विश्वविद्यालय में, और भी जगह पर बदलाव आएगा। और हम भी सब जगह अपनी पहचान बनाएंगे।"
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक ट्रांसजेंडर छात्र द्वारा दायर याचिका पर पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ को नोटिस जारी किया था, जिसने आरोप लगाया था कि उसे छात्रावास आवास उपलब्ध नहीं कराया गया था। याचिकाकर्ता याशिका ने अपने वकील मनिंदरजीत सिंह के माध्यम से दलील दी थी, कि एमए पाठ्यक्रम में प्रवेश दिए जाने और पहला सेमेस्टर पूरा होने के बाद भी उसे छात्रावास आवास उपलब्ध नहीं कराया गया था। याचिका में कहा गया है कि इस प्रकार मामले में तात्कालिकता थी। यूनिवर्सिटी को जारी किए गए हाई कोर्ट के नोटिस को पीयू के स्थायी वकील, एडवोकेट इंद्रेश गोयल ने स्वीकार कर लिया। प्रतिवादी के वकील द्वारा अपने-अपने लिखित बयान दाखिल करने के लिए समय मांगने पर अदालत ने मामले को 26 अप्रैल के लिए स्थगित कर दिया था।
2 दिसंबर 2021 को याशिका ने विश्वविद्यालय को एक ईमेल भी भेजा था, जिसमें उन्होंने अपने सामने आने वाली चुनौतियों को देखते हुए लिंग-तटस्थ छात्रावास स्थापित करने की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया था। बाद में, विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने उन्हें बुलाया और मौखिक रूप से बताया कि उन्हें महिला छात्रावास में भी आवास उपलब्ध नहीं कराया जा सकता, क्योंकि उनके दिशानिर्देशों में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं था, जबकि एक समिति ने उनके लिए आवास खोजने पर विचार-विमर्श किया।
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