जयपुर। राजस्थान में स्वायत्त शासन विभाग नगर निकायों में 24797 सफाई कर्मियों की भर्ती करने जा रहा है। इसे लेकर सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। हालांकि इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर राजस्थान का वाल्मीकि समाज नाराज है। यही वजह है कि बीते तीन दिनों से गुलाबी नगरी जयपुर शहर में सफाई व्यवस्था ठप है। गली-मोहल्लों व चौराहों पर गंदगी के ढेर लगे हैं। इससे आमजन को दुश्वारी हो रही है।
सफाई व्यवस्था चौपट होने के बाद सरकार ने वार्ता की पहल की है। स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारियों ने अनिश्चित हड़ताल पर चल रहे सफाईकर्मियों से वार्ता कर आंदोलन वापस लेने की बात की, लेकिन सरकार व आंदोलनकारियों के बीच बात नही बनी। बुधवार को हीदा की मोरी जयपुर में सफाई कर्मियों ने सभा की। संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ प्रदेशाध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया ने भी सभा को संबोधित किया। इस दौरान डंडोरियों ने कहा कि अब वाल्मीकि समाज का शोषण नहीं होने देंगे। सरकार को भर्ती प्रक्रिया में संशोधन कर वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता देनी होगी। मांगे नहीं मानी तो प्रदेशभर में सफाईकर्मी हड़ताल करेंगे।
संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के बैनर तले आंदोलित अलग-अलग संगठनों से जुड़े शहर के सफाईकर्मियों ने 12 मार्च को काम छोड़ अपने-अपने वार्डों में प्रदर्शन किया। वार्डों में घूम कर आमजन से संपर्क कर वाल्मीकि समाज की वाजिब मांगों के समर्थन की अपील की। यह राजस्थान में पहली बार हुआ जब वाल्मीकि समाज के सफाई कर्मियों ने सरकार की गलत नीति के विरोध में आमजन से समर्थन की अपील की है।
राजस्थान में सरकार सफाई कर्मी पद पर 24 हजार से अधिक लोगों को भर्ती कर रोजगार दे रही है। इसके बावजूद वाल्मीकि समाज इसका विरोध क्यों कर रहा है? इस पर सफाई कर्मी संघ से जुड़े सुरेश डागोरिया ने कहा कि 2018 में आरक्षण के आधार पर हुई सफाईकर्मी भर्ती में सबसे ज्यादा गैर वाल्मीकि समाज के लोगों को भर्ती किया गया था। जबकि परंपरागत सफाई कार्य से जुड़े वाल्मीकि समाज के अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित रह गए थे। यह वाल्मीकि समाज के साथ सरकारी धोखा था। इस भर्ती प्रक्रिया से वाल्मीकि समाज में बेरोजगारी बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि 2018 में सफाई कर्मी पद पर भर्ती हुए गैर वाल्मीकि समाज के लोग सरकारी आफिसों तथा अफसरों के बंगलों पर काम कर रहे हैं। जबकि वाल्मीकि समाज के लोगों से नियमित सफाई का काम लिया जा रहा है। अफसरों की नजर में सीवर सफाई के लिए केवल वाल्मीकि समाज है। डागोरिया ने कहा जब पद समान है तो, जाति या वर्ग के आधार पर काम में भेद क्यों किया जा रहा है? गैर वाल्मीकि समाज के सफाईकर्मियों को भी उनके साथ नालों व सीवरेज में उतारा जाए।
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं सरकार इस भर्ती प्रक्रिया में वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता दे। इसके बाद 2012 से 2018 तक जिन लोगों ने मस्टररोल से सफाई कार्य किया है, उन्हें प्राथमिकता दी जाए। पूर्व की भर्तियों में जिन लोगों ने कोर्ट केस किया, उन्हें भी आरक्षण से अलग रख, प्राथमिकता से भर्ती किया जाए। क्योंकि वाल्मीकि समाज के लोग ही सफाई करते हैं।
उन्होंने कहा कि 2018 में सफाई कर्मी पद पर गैर वाल्मीकि समाज के लोग भर्ती हुए थे। वे लोग वाल्मीकि समाज के बेरोजगार लोगों को मामूली मजदूरी देकर अपनी एवज में सफाई कार्य करवा रहे थे। इस पर संगठन ने सर्च अभियान भी चलाया था। सर्च अभियान की भनक लगते ही ऐसे लोग सांठ-गांठ कर कार्यालयों या अफसरों के बंगलों पर सेट हो गए।
ग्रेटर नगर निगम जयपुर लाल कोठी में हुई आम सभा में राजस्थान भर के सफाई कर्मचारी यूनियन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस दौरान सफाईकर्मी नेता सुरेश कल्याणी, शिवचरण डंडोरिया, अशोक भाया, सत्यनारायण आनोरिया, मनोज चौहान, मुकेश बिवाल, उमेश वाल्मीकि, किशन लाल जैदिया, कैलाश किशन लाहोरा आदि ने भी सभा को संबोधित किया।
आंदोलन को तेज करने के लिये अलग- अलग दल बनाए गए। कॉलोनियों में जाकर यह दल वाल्मीकि समाज के लोगों को आंदोलन में सहयोग करने के लिए प्रेरित करेगा। इस दौरान उच्च न्यायालय के अधिवक्ता विमल चौधरी ने वाल्मीकि समाज के इस आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि आंदोलन में समाज का पूर्ण समर्थन करेंगे। मांगे पूरी नहीं होने तक आंदोलन चलेगा।
सफाईकर्मी भर्ती 2024 के लिए नगर निकायों में सफाईकर्मी पद के लिए अब तक 8 लाख से अधिक आवेदन आ चुके हैं। 24 मार्च तक आवेदन लिए जाएंगे।। ऐसे में 15 लाख आवेदन आने की उम्मीद है। जबकि पद 24797 है। संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के प्रदेशाध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग में वाल्मीकि समाज के अलावा 64 जातियां आती है। यदि आरक्षण से भर्ती होती है तो परंपरागत सफाई कार्य से जुड़े वाल्मीकि समाज के लोग फिर से भर्ती से वंचित रह जाएंगे। इस भर्ती में वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता दी जाए।
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