भीलवाड़ा. न फेरे लिये गए, न रस्में अदा हुईं और न ही कोई शुभ मुहूर्त देखा गया… इस अनोखी शादी (Unique Marriage) की चर्चा हर जगह है, जो संविधान को साक्षी मानकर हुई. राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की माण्डल तहसील के सिडियास गांव के अम्बेडकर भवन में दलित युगल एडवोकेट ममता मेघवंशी और कृष्ण वर्मा ने बीते सोमवार को एक दूसरे को पति-पत्नी स्वीकार किया। इस शादी को सामाजिक बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. शादी में दूल्हा और दुल्हन ने सात कदम साथ चल कर संविधान पर आधारित सात संकल्प लिए. बता दें ममता ख्यात दलित सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी की बेटी हैं।
आमतौर पर अनेक रस्मों के साथ शादी ब्याह होते हैं. इन रीति रिवाजों से अलग इन दिनों ट्रेंड चल रहा है, जिसमें बिना दहेज की शादियां चर्चा में हैं. सिडियास गांव में पंडित के मंत्रों, रीति रिवाजों और दहेज जैसे तमाम परंपराओं के बगैर हुई शादी को लेकर बातचीत हो रही है.
लेखक व सामजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी ने द मूकनायक को बताया कि मेरी बेटी की शादी दहेज, प्रदूषण, परंपरा रहित है. सामान्यता शादियों में मुहूर्त निकाला जाता है। लगन लिखे जाते हैं। हल्दी, चंदन व मेहंदी की रस्म होती है. आजकल प्री वेडिंग शूट भी होता है. बारात आती है. दूल्हा तलवार से तोरण मारता है. फिर उसके बाद फेरे होते हैं। देवी-देवताओं के यहां जाकर प्रणाम या नमन करने की परंपरा है. दहेज का प्रदर्शन कर विदाई होती है. मेरी बेटी की शादी में ऐसा कुछ नहीं हुआ.
मेघवंशी ने आगे कहा- "बात यहीं नहीं रुकती, दुल्हा घोड़ी पर बैठकर बिंदोली निकालता है. तेज आवाज में डीजे साउंड बजाते हैं. इस शादी में डीजे साउंड सिस्टम से बचा गया . क्योंकि इन दिनों एक तो परीक्षाएं चल रही हैं. दूसरा लोगों के स्वास्थ्य को लेकर भी साउंड सिस्टम खतरनाक हो सकता है. यह विवाह विशेष अधिनियम के तहत हुआ. इसे कानूनी शादी भी कह सकते हैं. "
मेघवंशी ने द मूकनायक प्रतिनिधि से कहा “मैंने भारतीय संविधान पढ़ा और डॉक्टर अंबेडकर के समाज सुधार के काम से प्रेरित होकर हम दोनों संबंधी मिलकर समाज को नया संदेश देना चाहते हैं. हमने आपसी सहमति से सारी परंपराओं को तोड़ते हुए बिना दहेज, बिना किसी पाठ पूजा के विवाह संपन्न करवाया. इससे बाकी लोग भी प्रेरित हों.”
इस शादी में दुल्हा-दुल्हन ने एक कदम पर एक संकल्प लिया। इसी तरह सात कदम साथ चलकर सात संकल्प लिए। दुल्हा-दुल्हन पहले कदम पर संकल्प लिया-'आज हम अपने परिजनों व प्रियजनों के समक्ष भारत के संविधान को साक्षी मानकर यह संकल्प लेते हैं कि आज से हम परस्पर एक दूसरे के जीवन के पूरक के रूप में सहभागी होंगे।'
दूसरे कदम पर- 'हम संकल्प लेते हैं कि हमारी यह सहभागिता आपसी विश्वास और बराबरी पर आधारित होगी। हम एक दूसरे के व्यक्तित्व का मैत्री भाव से सम्मान करते हुए जीवन विकास की दिशा में आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे।'
तीसरे कदम पर- 'हम संकल्प लेते हैं अपने सह जीवन के समस्त दायित्वों का निर्वाह पूर्ण निष्ठा से करेंगे। हमारा सहभागी जीवन देश, दुनिया और समाज की बेहतरी के लिए समर्पित रहेगा। हम संकल्प लेते हैं हमारा आचरण भारत के संविधान के सार्वजनिक मूल्यों, न्याय, समानता, स्वतंत्रता व बंधुत्व के अनुरूप होगा। हम एक दूसरे को पूरा मान सम्मान प्रतिष्ठा व गरिमा देंगे।'
चौथे कदम पर- 'हम संकल्प लेते हैं सुस्नेह, सद्भाव, मैत्री व सहयोग के भाव से धरती के सभी प्राणियों, प्रकृति, पर्यावरण व परिस्थिति का संरक्षण व संवर्धन व सम्मान करेंगे। तथा समस्त जीव जंतुओं, पशु पक्षियों, नदियों, तालाबों, पर्वतों, समुद्रों के प्रति मैत्री भाव रखेंगे।'
पांचवां कदम पर - 'हम संकल्प लेते हैं जीवन में कठिन परिस्थितियों, नकारात्मकता, निराशा व संघर्ष के क्षणों का हम पूर्ण धेर्य, करुणा, उदारता व समझदारी के साथ सामना करेंगे। एक दूसरे का संबल बनेंगे।'
छठे कदम पर -'हम संकल्प लेते हैं समय के साथ अगर हमारे रिश्तों में कोई बदलाव आया तो भी हम एक दूसरे का सम्मान करेंगे। एक साथ बिताए समय को मैत्री, सद्भाव व संतुष्टि से देखेंगे। किसी भी परिस्थिति से निकलने में एक दूसरे की मदद करेंगे।'
सातवें कदम पर- 'हम संकल्प लेते हैं हम तथागथ गौतम बुद्ध, संत कबीर, रामसा पीर, ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई, फातिमा शेख, बाबा साहब अंबेडकर, भगत सिंह, और महात्मा गांधी जैसे हमारे पुरखों व पुरखिनों की प्रेरणा अपने पूर्वजों व प्रकृति के संबल से आप सब की उपस्थिति में यह संकल्प लेते हैं।'
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