मध्य प्रदेश: उज्जैन महाकाल मंदिर में पुजारियों की अवैध नियुक्ति के मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर, जानिए पूरा मामला..

उज्जैन की समाजसेवी सारिका गुरु ने आरोप लगाया है कि, मंदिर की व्यवस्था कानून और नियमों के अनुसार नहीं चल रही है। मंदिर समिति ने सभी 105 पुजारी, पुरोहित और उनके प्रतिनिधियों की अवैध तरीके से नियुक्ति की है
उज्जैन महाकाल मंदिर
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भोपाल। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में गर्भगृह और नंदी हॉल में अनाधिकृत प्रवेश करने वाले पंडे-पुजारी और उनके प्रतिनिधियों की अवैध नियुक्तियों को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई गई। इसके साथ ही उज्जैन कलेक्टर को भी इस संबंध में लिखित शिकायत की गई है।

उज्जैन की समाजसेवी सारिका गुरु ने आरोप लगाया है कि, मंदिर की व्यवस्था कानून और नियमों के अनुसार नहीं चल रही है। मंदिर समिति ने सभी 105 पुजारी, पुरोहित और उनके प्रतिनिधियों की अवैध तरीके से नियुक्ति की है। उन्होंने दान पेटियों की 35 प्रतिशत राशि पुजारियों को और अभिषेक का 75 प्रतिशत हिस्सा पुरोहितों को देने के प्रावधान को मंदिर एक्ट 1982 का उल्लंघन भी बताया है।

सारिका गुरु और उनके पति जयराम चौबे ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका लगाने के बाद उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह को लिखित शिकायत भी की है।

महाकालेश्वर मंदिर में फिलहाल 16 पुजारी, उनके 22 प्रतिनिधि, 22 पुरोहित और उनके 45 प्रतिनिधि सेवा दे रहे हैं। जिनकी नियुक्ति को लेकर मामला कोर्ट में पहुँचा है। कोर्ट में याचिका दायर होने के बाद पुजारियों ने समाज सेवी सारिका गुरु पर मंदिर की छवि धूमिल करने का आरोप लगाया है। सारिका गुरु के खिलाफ 4 अप्रैल को महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी और प्रतिनिधियों ने एक ज्ञापन उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह को सौंपा था। इसमें उन्होंने सारिका द्वारा मंदिर की छवि खराब करने का आरोप भी लगाया था।

समाजसेवी सारिका गुरु ने उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह को लिखित शिकायत में कहा है कि पंडे-पुजारियों ने महाकालेश्वर मंदिर अधिनियम 1982 का उल्लंघन कर मंदिर परिसर के 19 देवालयों पर अतिक्रमण कर लिया है। वे लाखों रुपए प्रतिमाह भक्तों से वसूल रहे हैं। पुजारी-पुरोहितों की चल-अचल संपत्ति की जांच की जाए। आर्थिक अनियमितता और अव्यवस्थाओं से मंदिर की छवि धूमिल हो रही है।

अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि, महाकालेश्वर मंदिर एक्ट 1982 लागू होने के पहले या बाद से आज तक यहां किसी भी पुजारी, पुरोहित, कर्मचारी, प्रतिनिधि की वैधानिक रूप से नियुक्ति नहीं की गई है। जितने भी लोग खुद को पुजारी-पुरोहित बताकर कलेक्टर के समक्ष शिकायत करने गए थे, वे पहले इसे प्रमाणित करें। दान पेटियों का 35 प्रतिशत पुजारियों को और अभिषेक रसीद का 75 प्रतिशत पुरोहितों को देने का कोई वैधानिक प्रावधान है। ऐसा करके मंदिर एक्ट 1982 का उल्लंघन किया जा रहा है।

इस संबंध में महाकालेश्वर मंदिर प्रशासक मृणाल मीणा ने कहा, "अब तक जांच के लिए शिकायत मेरे पास नहीं आई है, जब आएगी, तब ही कुछ बता पाऊंगा।" 

इस मामले में द मूकनायक प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए याचिकाकर्ता सारिका गुरु ने बताया कि मंदिर एक्ट में पुजारियों से दान के पैसों को बांटने का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में मन्दिर प्रशासन अवैधानिक तरीके से मन्दिर में दान किए गए पैसों का 35 प्रतिशत हिस्सा 16 पुजारियों के बीच बांट रहा है। सारिका गुरु ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में लिखित शिकायत साल 2023 में मध्य प्रदेश लोकायुक्त और आर्थिक अपराध ब्यूरो को भी की थी। उन्होंने बताया कि महाकाल मंदिर समिति की ओर से जितने भी विकास के कार्य हो रहे है या कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं वह सभी दान में आए पैसों से ही किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि नंदी हॉल में 5 दान पेटियां मौजूद है, जिन्हें महीने में बारी-बारी खोला जाता है और इसमें से निकले दान का 65 प्रतिशत हिस्सा मंदिर समिति और 35 प्रतिशत हिस्सा पुजारियों को दिया जाता है।

सारिका ने कहा, "मंदिर एक्ट के तहत पुजारियों की नियुक्ति नहीं की गई है, मेरे खिलाफ शिकायत कलेक्टर को गुमराह करने के लिए की गई है। शिकायत झूठी और निराधार है।"

इन पुजारियों को दिया जा रहा हिस्सा

महाकाल मंदिर के जिन पुजारियों को दान पेटी की राशि से 35 प्रतिशत हिस्सा दिया जा रहा है उनमें गणेश नारायण शर्मा, कैलाश नारायण शर्मा, संजय शर्मा, अजय शर्मा, अमर शर्मा, कमल शर्मा, घनश्याम शर्मा, दिनेश त्रिवेदी, गौरव शर्मा, दिलीप शर्मा, विजय शर्मा और विजय शंकर शर्मा, श्रीराम शर्मा, स्व शांतिकुमार का नाम शामिल है। इसके साथ ही मंदिर समिति की ओर से शासकीय पुजारी नियुक्त किए गए घनश्याम पुजारी को तनख्वाह के तौर पर 21 हजार रुपए दिए जाते हैं और दान राशि का 35 प्रतिशत भी इन्हें दिया जाता है। वहीं 4 सहायक हैं जिन्हें प्रतिव्यक्ति 11 हजार रुपए मंदिर प्रशासन देता है।

एक साल पहले लोकायुक्त को भी हुई थी शिकायत

करीब एक साल पहले भी सारिका गुरु ने लोकायुक्त और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW), उज्जैन को शिकायत की थी। इसमें कहा था कि साल 1985 से आज तक दान पेटियों की 35 प्रतिशत राशि पुजारियों को किस आधार पर दी जा रही है? इसका संज्ञान लेकर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने वालों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

महाकाल लोक के लिए सरकार ने किए करोड़ो खर्च

उज्जैन के महाकाल कॉरिडोर को विकसित करने के लिए कुल 856 करोड़ रुपए का खर्च किया गया। जिसका लोकार्पण भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। वहीं रुद्रसागर में सीवेज सिस्टम के लिए 20 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। पार्किंग सोलर पैनल पर 16 करोड़ रुपए और महाकाल द्वार के विकास पर 3.25 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। महाकाल कॉरिडोर पर खर्च हो रही कुल रकम में से 421 करोड़ रुपए मध्य प्रदेश सरकार, 271 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने दिए वहीं महाकाल मंदिर समिति ने 21 करोड़ रुपए खर्च कर रही है।

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