लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ के पॉश इलाके में गोमती नगर एक्सटेंशन स्थित एक गांव में दलित और पिछड़े समुदाय के लगभग 1200 घरों के परिवारों का आने-जाने का रास्ता खोल दिया गया है। द मूकनायक ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। खबर छपने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया. जिसके बाद पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने बिल्डर को नोटिस जारी कर, एक पत्र जिलाधिकारी को भी लिखा था। अधिकारियों की इस कार्रवाई के बाद बिल्डर को बैकफुट पर आना पड़ा। वर्तमान समय में बिल्डर ने सभी रास्तों से बैरियर हटा लिए हैं। इस घटना के बाद गांव में ख़ुशी का माहौल है।
बीते सोमवार को द मूकनायक की टीम गोमती नगर विस्तार में मौजूद बाघामऊ गांव पहुंची थी। यह गांव गोमती नदी के किनारे बसा है। एक तरफ नदी का प्रवाह है, जबकि दूसरी तरफ लखनऊ का अंतराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम और हाईटेक मॉल। स्टेडियम और हाईटेक मॉल बनने के बाद गांव के आस-पास की जमीन सोना हो चुकी है। इसका फायदा उठाकर एक नामचीन बिल्डर ने गांव के आस-पास की जमीन खरीद ली थी। अब इस गांव के चारों तरफ ऊंची इमारतें हैं। इन इमारतों के कारण कभी शहीद पथ से दिखाई देने वाला गांव कहीं गायब सा हो गया था। इस गांव की आबादी लगभग 2500 है, जबकि करीब 1200 मकान बने हुए हैं। इस गांव में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लगभग 1500 लोग रहते हैं, जबकि 1000 के करीब पिछड़ी जाति के लोग हैं।
गांव में जाने के दो मुख्य मार्ग हैं। इसके अलावा तीन वैकल्पिक मार्ग भी हैं। यह सभी आम रास्ते हैं, जो राजस्व रिकार्ड में दर्ज है, लेकिन अब इन रास्तों पर बैरियर लगाकर गार्ड तैनात कर दिए गए थे। ग्रामीणों का कहना था इस रास्ते से गुजरने के लिए उन्हें बार-बार परेशान किया जाता था, पूछताछ की जाती थी। गांव में फुटकर पटरी दुकानदारों, सब्जी बेचने वालों के आने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। रास्ते से गुजरने पर कई बार मारपीट की घटना भी हुई थी। जातिसूचक गालियां देकर अपमान किया जाता था। विरोध करने पर पिटाई की जाती थी। झूठे मुकदमे में फंसाया गया है।
द मूकनायक से स्थानीय निवासी नन्हे लाल ने बताया था कि, "गांव के आस-पास की जमीन बिल्डरों ने 2006 में खरीदना शुरू की थी। 2012 तक पूरी जमीन बिल्डरों ने खरीद ली। 2017 में यहां बिल्डिंग बनाने का काम शुरू हुआ था। तब हमें इतना अधिक परेशान नहीं किया जाता था। 2022 में यहां की कुछ इमारतों और घरों में लोगों ने रहना शुरू किया। तब से गांव के आने-जाने के रास्ते पर बैरियर लगा दिए थे। हमें तब भी कोई परेशानी नहीं हुई थी। पिछले एक साल से हम सब गांव वालों का उत्पीड़न बढ़ गया।"
नन्हे लाल ने बताया था, "शहीद पथ से गांव आने के दो मुख्य मार्ग हैं। इसके अतिरिक्त गांव में आने के तीन अन्य रास्ते भी हैं, लेकिन अब हर रास्ते पर बैरियर लगाकर सिक्योरिटी लगा दी गई थी। गांव में आने-जाने वाले लोगों का नाम, गाड़ी का नंबर आधार नंबर, घर का पता सब नोट किया जाता था। इससे भी हमें कोई समस्या नहीं हुई। हम छोटी जाति के लोग हैं, उन बड़े लोगों के सामने हम कुछ भी कहने सुनने से डरते हैं। इसलिए हम चुपचाप उनके नियमो के अनुसार आते और जाते थे। धीरे-धीरे बैरियर पर तैनात सिक्योरिटी ने सख्ती करना शुरू कर दिया था। गांव में अगर कोई चार पहिया वाहन या भवन निर्माण के लिए कोई सामग्री घर का सामान या खेती के लिए ट्रैक्टर पर कुछ सामान आने पर ट्रैक्टर-ट्राली को रोक लिया जाता था। गार्ड हमारे ही गांव में जाने के लिए दो सौ से तीन सौ रुपये मांगते थे। तब गाड़ी जाने देते थे।"
नन्हे ने बताया था, "27 अक्टूबर को सुबह 10 बजे ककरहा पुरवा से बाघामऊ आ रहा था। इस दौरान बैरियर पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड ने मुझे जाने से रोका। मुझे घूमकर दूसरे रास्ते से जाने को कहा। उस रास्ते से दो-तीन किमी घूमकर जाना पड़ता है। मैंने इसी रास्ते से जाने की बात कही, इसपर सिक्योरिटी गार्ड ने मुझे जातिसूचक गालियां दीं। जब मैंने इसका विरोध किया तो सिक्योरिटी अफसर चरण सिंह को बुला लिया। वह रिटायर्ड पुलिस अधिकारी है। उसने मुझे बुलाया, अपने साथ गार्ड रूम में ले गया और मेरी पिटाई की थी।"
"मैंने इस मामले में जानकीपुरम विस्तार थाने में शिकायत की लेकिन मेरी सुनवाई नहीं हुई थी। मैंने पूरे मामले की शिकायत सीएम पोर्टल पर की। जिसके बाद 30 अक्टूबर 2022 को मेरी तहरीर पर मुकदमा लिखा गया, लेकिन मुकदमा दर्ज होने के बाद कोई सुनवाई नहीं हुई है। इस मुकदमे में मुझसे सुलह का प्रयास किया गया। मैं सुलाह के लिए तैयार नहीं हुआ। इसके बाद चरण सिंह की तहरीर पर 31 अक्टूबर 2022 को मेरे परिवार के खिलाफ झूठा मुकदमा लिख लिया गया। इसमें मेरे तीनो भाईयों सहित मेरे नाबालिग भतीजे को नामजद किया गया है। हमें लगातार धमकाया जा रहा था," नन्हे ने घटना को याद करते हुए बताया था।
इस मामले को द मूकनायक की टीम ने खबर के जरिए से प्रमुखता से उठाया था। जिसके बाद इस गांव में एसडीएम सदर सहित अन्य अधिकारी मौके पर गए। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बिल्डर को चेतावनी देने के साथ ही सभी रास्तों से बैरियर हटा लिए गए हैं। द मूकनायक की इस खबर के बाद गांव में रहने वाले लोगों में ख़ुशी का माहौल है। ग्रामीणों ने द मूकनायक की टीम को इसके लिए धन्यवाद भी दिया है।
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