नई दिल्ली - मलयालम अभिनेता सिद्दीक, जो बलात्कार के एक मामले में पिछले 6 दिनों से फरार थे, को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से 2 हफ्ते की अंतरिम राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया और केरल सरकार तथा शिकायतकर्ता से जवाब मांगा है।
65 वर्षीय सिद्दीक पर 2014 में एक अभिनेत्री के साथ यौन उत्पीड़न और बलात्कार का आरोप है। पीड़िता का कहना है कि जब वह 19 साल की थी, तब सिद्दीक ने फेसबुक के माध्यम से उससे संपर्क किया और बाद में 2016 में एक फिल्म प्रीव्यू के बहाने होटल में बुलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता ने यह शिकायत 2024 में दर्ज कराई, जिससे इस मामले को लेकर विवाद खड़ा हो गया।
केरल उच्च न्यायालय ने 24 सितंबर को उनकी अग्रिम जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि प्रथम दृष्टया सिद्दीक की संलिप्तता स्पष्ट है। न्यायालय ने यह भी माना कि यौन शोषण के मामलों में अक्सर पीड़िताओं को शिकायत दर्ज करने में देरी होती है, और इसे आरोपों को कमजोर करने का कारण नहीं माना जा सकता।
सिद्दीक की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ मामला कमजोर है और उनके साथ अन्याय हुआ है। उन्होंने कहा कि अन्य समान मामलों में आरोपियों को जमानत दी गई है, लेकिन सिद्दीक को अनुचित तरीके से मना कर दिया गया। रोहतगी ने इस बात पर जोर दिया कि घटना के लगभग 8 साल बाद शिकायत दर्ज की गई, जो इस मामले को संदिग्ध बनाता है।
वहीं, शिकायतकर्ता की वकील वृंदा गोवर ने सिद्दीक की अग्रिम जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया। गोवर ने सिद्दीक की तुलना कुख्यात हॉलीवुड निर्माता हार्वे वाइंस्टीन से की, जिन्होंने दशकों तक कई महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया था। गोवर ने कहा, "यह वही होता है जब कोई हार्वे वाइंस्टीन जैसे व्यक्तियों के खिलाफ आवाज उठाता है।" उन्होंने कहा कि सिद्दीक का पीड़िता से फेसबुक के माध्यम से संपर्क करना और बाद में उसे फिल्म के बहाने बुलाना एक सोची-समझी योजना का हिस्सा था।
शिकायतकर्ता के समर्थन में गोवर ने जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के शोषण के बारे में बताया गया था। इस रिपोर्ट में फिल्म उद्योग में महिलाओं के खिलाफ यौन शोषण और अन्य दुर्व्यवहारों की कहानियां सामने आई थीं, जो इस मामले को और गंभीर बनाती हैं।
सिद्दीक को तिरुवनंतपुरम म्यूजियम पुलिस द्वारा 27 अगस्त को बलात्कार और आपराधिक धमकी के आरोप में बुक किया गया था जिसके बाद वे फरार हो गए ।
विशेष जांच दल (SIT), जो यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच कर रहा है, ने सिद्दीक की तस्वीर के साथ मलयालम और अंग्रेजी अखबारों में एक लुकआउट नोटिस प्रकाशित किया।
केरल राज्य की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सिद्दीक की जमानत याचिका का विरोध किया। ऐश्वर्या मूल रूप से राजस्थान की निवासी हैं.
उन्होंने कहा कि सिद्दीक ने 365 से अधिक मलयालम फिल्मों में काम किया है और उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को देखते हुए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि इतने बड़े फिल्मी करियर के बाद भी सिद्दीक का ऐसा आचरण स्वीकार्य नहीं है और उन्हें जमानत देना गलत होगा।
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सिद्दीक को 2 हफ्ते की अंतरिम राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य सरकार और शिकायतकर्ता इस मामले में अपना जवाब प्रस्तुत करें।
सिद्दीक के लिए यह राहत अस्थायी है और उन्हें इस दौरान जांच में सहयोग करने के निर्देश दिए गए हैं। कोर्ट ने 2 हफ्ते बाद फिर से सुनवाई तय की है, जिसमें यह तय किया जाएगा कि उन्हें स्थायी अग्रिम जमानत मिलेगी या नहीं।
यह मामला केवल एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे मलयालम फिल्म उद्योग में फैले महिलाओं के शोषण के मुद्दे को उजागर करता है। जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट और शिकायतकर्ता की पीड़ा से यह स्पष्ट होता है कि उद्योग में महिला कलाकारों को किस तरह के दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट आगे क्या फैसला करता है और सिद्दीकी को स्थायी जमानत मिलती है या नहीं।
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