उत्तर प्रदेश: सुलह के लिए बनाया दबाव तो रेप पीड़िता ने खुद लगा ली फांसी

उत्तर प्रदेश: सुलह के लिए बनाया दबाव तो रेप पीड़िता ने खुद लगा ली फांसी
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उत्तर प्रदेश। यूपी में पुलिस पर रेप पीड़िताओं की सुनवाई न करने के आरोप पूर्व में भी लग चुके हैं। हाल में बलात्कार के दो मामलों में पुलिस द्वारा समय पर कार्रवाई न करने, पीड़िताओं की सुनवाई न होने के चलते कथित तौर पर उनके पिताओं द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या करने की वारदातें सामने आई थी।

इस तीन सप्ताह के भीतर यह तीसरी वारदात है जब पुलिस पर मामले में सुनवाई न करने और उल्टा सुलहनामा करने का दबाव लगा है। ऐसे ही एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में एक पीड़िता द्वारा खुदकुशी करने का खुलासा हुआ है। पीड़िता लगभग 10 दिन से न्याय की आस लिए थाने का चक्कर काट रही थी। न्याय न मिलने पर पीड़िता ने 2 जून को फांसी लगा ली। पीड़िता द्वारा फांसी लगाने की घटना के बाद दोपहर पुलिस ने हत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कर लिया है। पीड़िता के भाई का आरोप है पुलिस मुकदमा दर्ज करके बैठ गई है। इसके बाद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

जनिये क्या है पूरा मामला?

यूपी के बहराइच में फखरपुर थाना क्षेत्र निवासी रेप पीड़िता के भाई ने द मूकनायक को बताया "मेरी बहन एक निजी स्कूल में टीचर थी। उस स्कूल के प्रधानाचार्य ने मेरी बहन को बहला-फुसलाकर उससे प्यार करने का नाटक किया। वह पिछले कई महीनों से मेरी बहन के साथ रेप कर रहा था। इसका वह वीडियो भी बनाकर रखा है। मेरी बहन गुमसुम रहने लगी थी। वह स्कूल जाने से मना करती थी। लेकिन स्कूल का प्रधानचार्य उससे जबरदस्ती स्कूल बुलाता था।"

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पीड़िता के भाई ने बताया, "मेरी बहन जब इससे परेशान हो गई तो उसने पूरी घटना घर में बताई। उसने बताया कि आरोपी ने उसके साथ गंदा काम करके वीडियो बनाये हैं। वह मेरी बहन को लगातार धमका रहा था। उसने मेरी बहन को धमकी दी थी कि अगर किसी को यह बात कही तो यह वीडियो वायरल कर देगा। इस कारण वह काफी डरी सहमी थी।15 मई 2023 को भी उसने मेरी बहन को बुलाकर गंदा काम किया था। मेरी बहन ने इस मामले 20 मई को लिखित रूप से शिकायत फखरपुर पुलिस से की थी। लेकिन पुलिस मामले को टालने में जुटी थी। हम रोज एफआईआर दर्ज हो जाने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन हमारी एफआईआर नहीं लिखी गई। जब हम 28 को दोबारा थाने गए तो पुलिस द्वारा एप्लीकेशन खो जाने की बात कही। इस पर हमने उन्हें दूसरी तहरीर दी थी।"

"हमने इस मामले में मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर भी शिकायत की थी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उल्टा पुलिस हमें थाने बुलाकर सुलाह के लिए दबाव बना रही थी। आरोपी के पिता हमारे घर कई बार आये और पैसे लेकर मामले को रफा-दफा करने की बात बोले। मेरी बहन को जब यह बात पता चली की इस मामले में पिता दबाव में आकर सुलह के लिए तैयार हो गए हैं तो मेरी बहन ने फंदे से लटककर अपनी जान दे दी", पीड़िता के भाई ने बताया।

हालांकि, मामले में पुलिस ने पीड़िता के द्वारा आत्महत्या करने के बाद आईपीसी की धारा-306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।

19 मई को भी पुलिस द्वारा उल्टा धमकाने पर पिता ने लगाई थी फांसी

पीलीभीत के अमरिया थाना क्षेत्र में बीते 9 मई को रेप की घटना हुई थी। लड़की जब खेत में काम कर रहे पिता के पास जा रही थी, उसी समय पास में ही रहने वाले 3 लड़कों ने उसे किडनैप कर लिया। आरोप है कि उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया। लड़की के पिता अगले दिन मामले में शिकायत दर्ज करवाने के लिए पुलिस के पास गए। लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार करते हुए मामले में समझौता करने का दबाव बनाया। परिजन का आरोप है कि एसएचओ मुकेश शुक्ला ने पीड़ित और आरोपी पक्ष के बीच रिश्तेदारों की मौजूदगी में समझौते का दबाव बनाया था, जिसके बाद हताश पिता ने फांसी लगा ली थी।

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5 जून को बेबस पिता ने लगा ली थी फांसी

यूपी में उरई के एट कोतवाली निवासी एक व्यक्ति पत्नी के साथ पंजाब में रहकर पानी-बताशा बेचता था। वह मार्च में अपनी नाबालिग बेटी को दादी के पास छोड़कर गया था। गांव के दो लोगों ने किशोरी को बर्थडे पार्टी के बहाने बुलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। 30 मई को पिता पंजाब से लौटा तो किशोरी ने उन्हें पूरी बात बताई। पीड़िता के पिता ने 31 मई को एट कोतवाली में आरोपितों के खिलाफ तहरीर दी मगर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पीड़िता के पिता ने जनसुनवाई पोर्टल पर भी इसकी शिकायत की, लेकिन एट कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक नरेंद्र कुमार गौतम ने मामले में समझौता करने का दबाव डाला और उसे परेशान किया। इससे आहत होकर रेप पीड़िता के पिता ने सोमवार सुबह घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। 

उत्तर प्रदेश में रेप के आंकड़े चौकाने वाले

रेप के मामलों में यूपी तीसरे नंबर पर है। वर्ष 2021 में देश में बलात्कार के 36 लाख 63 हजार 360 FIR दर्ज हुए । इसमें यूपी में 3 लाख 57 हजार 905 FIR दर्ज हुई थी।

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