भोपाल। मध्य प्रदेश के खंडवा में एक आदिवासी युवती के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया है। आरोपी ने मजदूरी करने के दौरान युवती से दोस्ती कर ली। फिर पीड़िता के घर आ धमका और शादी करने का वादा करके युवती का अपहरण कर उसे तेलांगना ले गया। जहां बंद पड़ी एक जिनिंग फैक्ट्री के कमरे में कैद रखा। एक हफ्ते तक उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता ने जब-जब विरोध किया, उसके साथ मारपीट की। जैसे-तैसे उसके चंगुल से छूटकर पीड़िता खंडवा पहुंची और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
मामला खंडवा के आदिवासी बहुल क्षेत्र खालवा का है। पुलिस के मुताबिक, 18 वर्षीय पीड़िता ने अपहरण कर तेलंगाना ले जाकर दुष्कर्म होने की शिकायत की है। पीड़िता ने पूछताछ में बताया कि, कालामखुर्द का रहने वाले विक्की बंजारा ने मेरे घर आकर शादी का प्रस्ताव दिया था। मैंने इंकार कर दिया तो वह जान से मारने की धमकी देकर शादी के लिए विवश करता रहा। वह मुझे बाइक पर बैठाकर खंडवा रेलवे स्टेशन ले गया। उसका दोस्त गोपी हमें छोड़ने गया था। फिर ट्रेन में बैठकर विक्की मुझे तेलांगना ले गया। जहां सुनसान इलाके में एक जिनिंग फैक्ट्री थी। वहां एक कमरे में मुझे कैद कर दिया और बार-बार मेरे साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता ने पुलिस को बताया कि वह उसके साथ मारपीट करता था। एक दिन मौका पाकर वह भाग निकली पर खंडवा पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई।
एसआई सरोज मुवेल ने बताया कि पीड़िता की शिकायत पर आरोपी विक्की बंजारा और उसके साथी गोपी पर मामला दर्ज कर लिया है। गोपी ने पीड़िता के अपहरण के दौरान विक्की बंजारा का साथ दिया। वह उन्हें स्वयं की बाइक से खालवा होते हुए खंडवा छोड़ने आया था। खालवा पुलिस ने अपहरण, दुष्कर्म, बार-बार दुष्कर्म, शादी के लिए विवश करने, मारपीट, जान से मारने की धमकी देने सहित एट्रोसिटी एक्ट में मामला दर्ज किया है।
पुलिस के मुताबिक आरोपी और पीड़िता का परिवार तेलांगना में मजदूरी करने गए थे। तेलांगना में मजदूरी के दौरान आरोपी ने पीड़िता से पहचान कर ली थी। क्योंकि पीड़िता के मामा और आरोपी का गांव एक ही है। जब पीड़िता अपने मामा के घर गई तो इस बात का आराेपी विक्की बंजारा को पता चल गया। और दोनों संपर्क में आए इसके बाद आरोपी ने अपराध को अंजाम दिया।
खंडवा में एक किशोरी से शारीरिक संबंध बनाने पर उसके प्रेमी को कोर्ट ने बीस साल की सजा सुनाई है। मामले में डीएनए रिपोर्ट सजा का आधार बनी। प्रेमिका ने प्रेमी का समर्थन करते दुष्कर्म की घटना से इंकार किया था लेकिन डीएनए रिपोर्ट पाजीटिव होने से कोर्ट में दोष सिद्ध हो गया। कोर्ट ने इसे दुष्कर्म मानते हुए आरोपी युवक अभय सिंह को बीस साल की सजा सुनाई है।
दरअसल विशेष न्यायालय पाक्सो न्यायाधीश प्राची पटेल ने यह फैसला सुनाया है। युवक को सश्रम कारावास से दंडित किया गया है। मामला पिपलौद थाना क्षेत्र के ग्राम लुन्हार का है। अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी हरिप्रसाद बांके ने बताया कि घटना 28 जून 2019 की है। इस दिन रात करीब आठ बजे 15 वर्षीय किशोरी घर से यह शौच के लिए निकली थी। इसके बाद वह वापस नहीं आई तो माता-पिता उसकी तलाश करने लगे। गांव और रिश्तेदारों के यहां नहीं मिलने पर अगले दिन पिपलौद थाने में अज्ञात युवक पर बेटी के अपहरण कर ले जाने का केस दर्ज करवाया था। 19 जुलाई को अभयसिंह के पास किशोरी मिली थी। पुलिस ने किशोरी को स्वजन के हवाले करने के साथ ही उसके बयान दर्ज किए थे। किशोरी का कहना था कि वह अभय को करीब एक साल से जानती थी। चालीसगांव में मजदूरी कर दोनों साथ रहे रहे थे। इस दौरान अभय ने उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाए। पीड़िताम नाबालिग होने के कारण दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया।
किशोरी के बयान के आधार पर पुलिस ने अभय पर दुष्कर्म की धारा 376 (3) बढाई थी। पुलिस ने किशोरी और आरोपित अभय का डीएनए टेस्ट करवाया था। इसमें जांच रिपोर्ट पाजीटिव आई थी। इस मामले में कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान किशोरी ने अपने प्रेमी का बचाव किया था, लेकिन डीएनए जांच रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई थी कि उसके साथ अभय ने दुष्कर्म किया था। अभय को सजा दिलाने के लिए यह जांच रिपोर्ट मुख्य आधार बनी। आरोपी को नाबालिग होने के साथ शारीरिक संबंध बनाने का दोषी पाते हुए कोर्ट ने बीस वर्ष की सजा सुना दी।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए विधि विशेषज्ञ एवं अधिवक्ता मयंक सिंह ने बताया कि कोर्ट घटना के हर एक पहलू को देखता है। फरियादी बयान बदले या साक्ष्य प्रभावित किए गए हो लेकिन डीएनए रिपोर्ट और डॉक्टर, आईओ सभी के बयानों के बाद ही कोर्ट फैसला करता है। डीएनए रिपोर्ट एक टीम के द्वारा की गई जांच है, एक्सपर्ट ओपीनियन के रूप में कोर्ट इसे मान्यता देता है। पीड़िता नाबालिग है इसलिए उससे शारीरिक संबंध स्थापित करना दुष्कर्म माना जाएगा।
नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार आदिवासियों पर अत्याचारों के मामले में प्रदेश नम्बर एक पर है। इसके साथ ही साल 2021 में बाल यौन शोषण के कुल 33 हजार 36 मामले सामने आए थे। इनमें से अकेले मध्य प्रदेश में ही 3515 मामले थे। इसी तरह महिलाओं से कुल रेप के मामले 6462 दर्ज हुए थे। बाल यौन शोषण के मामले में 2020 में भी एमपी टॉप पर था। तब कुल 5598 मामले रेप के दर्ज हुए थे। इसमें 3259 रेप के मामले छोटी बच्चियों से संबंधित दर्ज हुए थे। रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में मध्य प्रदेश में 17,008 बच्चे क्राइम के शिकार हुए थे।
मध्य प्रदेश में आदिवासी और दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले भी बढ़ रहे हैं। 2021 में यहां एससी/एसटी एक्ट के तहत 2627 मामले दर्ज हुए। 2020 की तुलना में करीब 9.38 फीसदी अधिक है। तब 2401 मामले आए थे। दलितों से अत्याचार के कुल 7214 इस बार दर्ज हुए हैं।
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