भोपाल। मध्य प्रदेश के ग्वालियर हाईकोर्ट में दुष्कर्म के चलते गर्भवती हुई नाबालिग ने गर्भपात कराने की कोर्ट से गुहार लगाई। गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान पीड़िता ने जज से कहा कि वह बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती। इसके बाद कोर्ट ने नाबालिग को गर्भपात की अनुमति प्रदान की है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि नाबालिग ने जीवित शिशु को जन्म दिया तो उसकी पहचान गोपनीय रखी जाए। कोर्ट में नाबालिग की बड़ी बहन, शिशु को गोद लेने की इच्छा जता चुकी है, वहीं कोर्ट ने इस मामले में बच्चे को गोद देते समय बहन को प्राथमिकता दिए जाने के निर्देश दिया है।
कोर्ट ने इसके साथ ही नवजात का डीएनए सैंपल भी लिए जाने के निर्देश भी दिए हैं। दरअसल, ग्वालियर के पुलिस थाना भंवरपुरा में नाबालिग की शिकायत पर पुत्तो सिंह गुर्जर के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया था। दुष्कर्म के चलते नाबालिग गर्भवती हो गई। उसकी बड़ी बहन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए गर्भपात करने की अनुमति मांगी थी।
गुरुवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की सीलबंद रिपोर्ट का अवलोकन किया, जिसमें नाबालिग का जल्द से जल्द गर्भपात कराने की अनुशंसा की गई। चूंकि, सुनवाई के दौरान नाबालिग कोर्ट में उपस्थित रही और गर्भपात कराने की बात पर अडिग रही। वहीं, नाबालिग की बड़ी बहन की इच्छा थी कि वह बच्चे को जन्म दे, ताकि वह उसे गोद ले सके।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए विधि विशेषज्ञ एवं अधिवक्ता मयंक सिंह ने बताया कि कोर्ट ऐसे मामलों को संवेदनशील मानकर निर्देश देती है। चूंकि पीड़िता नाबालिग है इसलिए उसकी बड़ी बहन उसकी गार्जियन मानी जाएगी। इसलिए बहन ने ही इस मामले में कोर्ट से गर्भपात की मांग की है। अब यह फैसला पीड़िता का होगा कि वह गर्भपात कराना चाहती है या नहीं। दोनों ही स्थिति में नवजात का डीएनए टेस्ट किया जाएगा जिसके आधार पर आरोपी को सजा मिल सके। ऐसे मामलों में कोर्ट सार्वजनिक रूप से सुनवाई नहीं करती है। पीड़िता और बच्चे की पहचान छुपाना अनिवार्य होता है।
मध्य प्रदेश नाबालिग लड़कियों से दुष्कर्म के मामले में नंबर वन पर है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की साल 2021 की रिपोर्ट में देश में नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म के 33036 तो मध्य प्रदेश में 3515 मामले दर्ज हुए। जबकि कुल ज्यादती के मामलों में 6462 एमपी में ही हुए। रिपोर्ट के मुताबिक हर तीन घंटे में एक बच्ची से दुष्कर्म हुआ। साल 2020 में भी यही स्थिति थी। तब 5598 दुष्कर्म के केस दर्ज हुए थे, इनमें 3259 नाबालिग बच्चियों के थे। साल 2020 में भी एमपी देश में नंबर वन था।
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