मध्य प्रदेश: अस्पताल में सफाई और मरीजों की सेवा करने की शर्त पर पॉक्सो आरोपी को जमानत

आरोपी युवक दो साल से नाबालिग को परेशान कर रहा था, पीछा कर करता था कमेंट, पीड़िता ने पुलिस में कराया था मामला दर्ज।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट.
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भोपाल। मध्य प्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट ने छेड़छाड़ और पॉक्सो एक्ट के आरोपी युवक को अस्पताल में सफाई करने की शर्त पर जमानत दी है। कोर्ट ने कहा- "आरोपी युवक हर शनिवार-रविवार भोपाल के जिला अस्पताल में सुबह 9 से 1 बजे तक सेवा देगा। ओपीडी में काम करने वाले कंपाउंडर्स की मदद करेगा। साफ-सफाई करेगा। मरीजों की हर संभव मदद करेगा। इससे उसे प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की शिक्षा मिल सकेगी। उसका उपयोग आपदा प्रबंधन के समय स्वयंसेवक के तौर पर किया जा सकेगा। इस तरह युवक सामाजिक जिम्मेदारी समझेगा और बेहतर नागरिक बनेगा।"

16 मई को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद पाठक ने यह आदेश दिया है। एक्सटॉर्शन के केस में युवक ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी। कोर्ट ने युवक को सशर्त जमानत दी है। इसके पहले भोपाल जिला न्यायालय ने युवक की जमानत खरिज कर दी थी। कोर्ट ने यह भी कहा- "आदेश का उल्लंघन करने पर जमानत निरस्त की जाएगी।"

दरअसल, 21 साल का अभिषेक शर्मा भोपाल के पिपलानी क्षेत्र का रहने वाला है। वह बीबीए फर्स्ट ईयर का छात्र है। 4 अप्रैल 2024 में पिपलानी थाने में साढ़े सत्रह साल की नाबालिग लड़की ने उसके खिलाफ शिकायत की थी। इसमें उसने बताया कि युवक पिछले दो साल से उसे परेशान कर रहा है। उसका पीछा करता है। उसे बेवजह फोन करता है और रास्ते में कमेंट भी करता है। यहां तक आरोपी ने अपने हाथ में लड़की के नाम का टैटू भी बनवा लिया था। आरोपी लड़के से परेशान होकर लड़की ने पुलिस में शिकायत की थी।

पुलिस ने अभिषेक के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और छेड़छाड़ की धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। युवक की ओर से भोपाल जिला कोर्ट में जमानत याचिका लगाई गई। यहां कोर्ट ने 13 अप्रैल 2024 को याचिका खारिज कर दी। 18 अप्रैल को युवक ने हाईकोर्ट में अर्जी लगाई। इस पर 16 मई को सुनवाई हुई। युवक के माता-पिता की ओर से तर्क दिया गया कि छात्र की पढ़ाई चल रही है। अगर उसे गंभीर सजा दी जाती है, तो करियर बर्बाद हो जाएगा। माता-पिता की ओर से बेटे के कृत्य पर माफी भी मांगी गई।

जिसके बाद कोर्ट ने शर्त के साथ जमानत दे दी। जस्टिस आनंद पाठक ने आदेश में कहा, 'छात्र को बेहतर नागरिक बनाने, उसकी उम्र और भविष्य को देखते हुए समाज सेवा का आदेश दिया गया है कि उसे समाज की मुख्य धारा में आने का अवसर मिल सके। युवक अस्पताल में मरीजों के लिए परेशानी का कारण नहीं बनेगा। अगर उसके दुर्व्यवहार या आचरण की जानकारी मिलने की शिकायत करता है, तो जमानत खारिज कर दी जाएगी।"

आदेश में हाईकोर्ट ने लिखा है कि भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी उसे बाह्य विभाग में कार्य करने की अनुमति प्रदान करेंगे। इसके बाद रिपोर्ट देंगे।

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