भोपाल। चलती ट्रेन में महिला से हुए दुष्कर्म मामले में कोर्ट ने आरोपी को उम्र कैद की सजा सुनाई है। आरोपी ट्रेन के पेंट्री कार का मैनेजर था। प्रदेश के नर्मदापुरम में करीब डेढ साल तक चले इस मुकदमे में प्रथम अपर सत्र न्यायालय इटारसी हर्ष भदौरिया ने गवाहों, डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर आरोपी भूपेंद्र सिंह को उम्र कैद की सजा विभिन्न धाराओं में सुनाई।
हालांकि ट्रायल के दौरान पीड़िता ने अपने बयान बदले और आरोपी को पहचानने से भी इंकार किया लेकिन डीएनए रिपोर्ट के पॉजिटिव पाए जाने पर जज ने आरोपी को सजा सुना दी। घटना 11 फरवरी 2022 में संपर्क क्रांति एक्सप्रेस में हुई थी। पैंट्री कार मैनेजर भूपेंद्र सिंह तोमर को कोर्ट ने उम्रकैद के साथ ही 5 हजार रुपए का अर्थदण्ड भी लगाया है। इसके साथ ही मारपीट की धारा 323, जान से मारने की धमकी 506 के तहत 2 साल की सजा सुनाई गई है।
दरअसल मामला 11 फरवरी 2022 का है। 21 साल की पीड़िता पुरानी दिल्ली की रहने वाली है। 9 फरवरी को वह दिल्ली से मुंबई गई थी। युवती लौटते वक़्त यशवंतपुर-निजामुद्दीन संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के AC कोच में बैठ गई। वह फर्श पर ही कंबल बिछाकर सो गई। रात करीब 8 बजे मैनेजर भूपेंद्र सिंह ने उसे उठाया, बोला- यहां क्यों सो रही हो, जनरल डिब्बे में सीट खाली है। जाकर सो जाओ। वह युवती को जबरन जनरल बोगी की तरफ ले गया। कैंटीन वाले डिब्बे के पास जाकर युवती को वहीं सोने को कह दिया। कुछ देर बाद मैनेजर ने युवती को उठाकर पैंट्री कार में ले गया। उसके साथ बलात्कार किया। इस दौरान जब पीड़िता ने विरोध किया तो मेनेजर ने उसे ट्रेन से बाहर धक्का देकर फैंकने की बात कही जिसके बाद पीड़िता रोती हुई अपना सामान उठाकर दूसरे डिब्बे में चली गई।
पीड़िता ने ट्रेन के अन्य यात्रियों को घटना के बारे में बताया था। ट्रेन के भोपाल आने के बाद पीड़िता ने स्टेशन पर शिकायत की थी। रेलवे पुलिस ने ट्रेन के पैंट्री कार के मैनेजर के खिलाफ दुष्कर्म, मारपीट सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था। घटना के बाद आरोपी मैनेजर ट्रेन के दूसरे कोच में जाकर छिप गया था। उसे झांसी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने दलील कि आरोपी ने ट्रेन के पैंट्री कार के मैनेजर रूप में कार्य करते हुए रेप जैसा गंभीर अपराध किया है, जो किसी भी दशा में न्यूनतम दंड के योग्य नहीं है।
मामला करीब डेढ़ साल कोर्ट में चला। कोर्ट ने साक्ष्य और डीएनए रिपोर्ट के आधार पर फैसला सुनाया है। प्रथम अपर सत्र न्यायालय इटारसी हर्ष भदोरिया द्वारा आरोपी भूपेंद्र सिंह तोमर (32) निवासी ग्राम मानसिंहपुरा मुरैना को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिए गए बयान में पीड़िता ने कहा कि भूपेंद्र सिंह तोमर वह व्यक्ति नहीं है, जिसने उसके साथ ट्रेन में गलत काम किया था। पुलिस ने गलत आदमी को पकड़ लिया है। किसी फौजी ने उसके साथ गलत काम किया है। पीड़िता से पूछा गया कि जब जेल में उसके साथ गलत करने वाले व्यक्ति की पहचान कराई गई थी, तब उसने आरोपी को पहचान लिया था। सहमति भी जताई थी। तब पीड़िता ने थोड़ी देर मौन रहने के बाद कहा था कि उसके साथ फौजी ने गलत किया है, मैनेजर ने नहीं, लेकिन अभियोजन ने जब पूछा, तो पीड़िता ने स्वीकार किया है कि आरोपी से उसका राजीनामा हो गया है, इसलिए वह कोर्ट में ऐसे बयान दे रही है। जबकि पीड़ित युवती ने पेंट्री कार के मैनेजर के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था जिसे रेलवे पुलिस ने झांसी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था।
ट्रेन में पीड़िता के साथ हुए रेप के बाद पुलिस ने मेडिकल कराया था सैंपल भी एकत्र किए थे। पैंट्री कार के मैनेजर का भी मेडिकल कराकर सैंपल को डीएनए रिपोर्ट के लिए लैब भेजा गया था। डीएनए रिपोर्ट में आरोपी भूपेंद्र सिंह तोमर के कपड़ों से लिए गए सैंपल पीड़िता के सैंपल से मैच कराए गए। डीएनए रिपोर्ट में मैनेजर के मानव शुक्राणु पाए जाने के बाद आरोपी को दोष सिद्ध पाया गया। इस पूरे मामले में डीएनए रिपोर्ट का पॉजिटिव पाए जाने पर ही कोर्ट ने बलात्कार का दोषी पाया।
मामले में एडीपीओ एचएस यादव ने बताया इस केस में सजा दिलाने में डीएनए रिपोर्ट, पुलिस द्वारा तैयार किए दस्तावेज ही महत्वपूर्ण साबित हुए। पीड़िता ने आरोपी को पहचानने से मना कर दिया था। हालांकि, पीड़िता तहसीलदार के समक्ष जेल में आरोपी को पहचान चुकी थी कि भूपेंद्र ने उसके साथ रेप किया है, इसलिए कोर्ट में पहचानने में आनाकानी व मना करने के बावजूद दस्तावेज व डीएनए रिपोर्ट को झुठला नहीं पाएं। वहीं केस में 15 गवाह, 49 दस्तावेज और जांच रिपोर्ट तैयार की गई। पीड़िता, और उसकी मां, ट्रेन के यात्री, पुलिस, डॉक्टर समेत 15 गवाहों की गवाही हुई। जिसके बाद कोर्ट ने पेंट्री कार के आरोपी मैनेजर को उम्र कैद की सजा सुनाई।
पिछले महीने ही मध्य प्रदेश के खंडवा में कोर्ट ने नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने पर पति को दस साल की सजा सुनाई थी। इस मामले में भी कोर्ट ने डीएनए रिपोर्ट मुख्य साक्ष्य के रूप में लिया था।
दरअसल खंडवा में नाबालिग माँ ने बच्चे को जन्म दिया था। जिसके बाद जिला न्यायालय ने पति को नाबालिग से शारीरिक संबंध बनाने का दोषी मानते हुए दस साल की सजा सुनाई थी। सजा का आधार नाबालिग से जन्मी संतान बनी थी। संतान और आरोपी के डीएनए रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई, इसी से साबित हुआ कि आरोपी ने लड़की के नाबालिग रहते हुए शारीरिक संबंध बनाए। कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी नाबालिग पत्नी ने आरोपी पति का बचाव किया। लेकिन मेडिकल साक्ष्य के आधार पर आरोपी दोषी पाया गया।
खंडवा में विशेष न्यायालय (पॉक्सो) प्राची पटेल की कोर्ट ने आरोपी को दस वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी। अभियोजन की ओर से मामले की पैरवी एडीपीओ रूपेश तमोली ने की थी। घटना 20 अक्टूबर 2018 की है। तब नाबालिग के पिता ने बेटी की गुमशुदगी थाना कोतवाली पर दर्ज कराई थी। पुलिस ने छानबीन की तो बेटी को पीथमपुर में आरोपी सावन के कब्जे से मुक्त कराया था। 20 अक्टूबर को पीड़िता अपनी नानी के साथ बस से इंदौर जा रही थी, तभी वह रास्ते में उतर गई और दूसरी बस से अपने प्रेमी सावन के साथ इंदौर होकर पीथमपुर चली गई थी। और उसने अपने प्रेमी से मन्दिर में शादी कर ली थी।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए विधि विशेषज्ञ एवं अधिवक्ता मयंक सिंह ने बताया कि कोर्ट घटना के हर एक पहलू को देखता है। फरियादी बयान बदले या साक्ष्य प्रभावित किये गए हो लेकिन डीएनए रिपोर्ट और डॉक्टर, आईओ सभी के बयानों के बाद ही कोर्ट फैसला करता है। डीएनए रिपोर्ट एक टीम के द्वारा की गई जांच है, एक्सपर्ट ओपीनियन में कोर्ट इसे मान्यता देता है। इसलिए बाद में भले ही फरियादी बयान बदल दे लेकिन दोष सिद्ध हो जाएगा। इन मामलों में आरोपी को संदेह का लाभ मिल पाना नहीं के बराबर होता है।
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