भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार में 12 साल या उससे कम उम्र की नाबालिग बच्चियों से बलात्कार के दोषियों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान है। लेकिन इसके बाबजूद नाबालिग से यौन अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे महीने में करीब 2 से 6 मामले तक दर्ज हो रहे है। हाल में प्रदेश के गुना जिले के म्याना थाना क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया, जिसमें 10 वर्षीय मासूम बच्ची के साथ जंगल में दुष्कर्म किया गया। यह घटना राज्य में बाल यौन अपराधों पर सख्त कानूनों की जरूरत और सामाजिक चेतना की आवश्यकता को एक बार फिर उजागर करती है।
बुधवार शाम को, बच्ची अपनी मां के साथ बाजार गई थी, जहां उन्हें मक्का बेचने और गेहूं पिसवाने का काम था। बाजार में एक अज्ञात व्यक्ति ने उनकी मां को बातों में उलझाया। उसने यह कहकर बच्ची की मां का ध्यान भटकाया कि एक दुकानदार ने उन्हें सौ रुपये कम वापस किए हैं। इस भरोसे में आकर, मां ने अपनी बेटी को उस व्यक्ति के साथ पैसे लेने भेज दिया। लेकिन, आरोपी बच्ची को अपने साथ जंगल की ओर ले गया।
रात लगभग 9:30 बजे बच्ची बेसुध हालत में जंगल में पाई गई। पुलिस और परिजनों की मदद से बच्ची को तत्काल जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसकी हालत बेहद गंभीर बताई। बच्ची को प्राथमिक इलाज के बाद भोपाल रेफर कर दिया गया है, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है।
सूचना मिलते ही पुलिस की टीम तुरंत हरकत में आई। म्याना और सिरसी थाना पुलिस के साथ अन्य थानों का बल भी मौके पर लगाया गया। पुलिस उपाधीक्षक विवेक अष्ठाना ने बताया कि आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं, और क्षेत्र की व्यापक तलाशी ली जा रही है। पुलिस हर संभव तरीके से आरोपी तक पहुँचने की कोशिश कर रही है, ताकि जल्द से जल्द बच्ची को न्याय मिल सके।
बच्ची के पिता ने बताया कि उनकी पत्नी मक्का बेचने और गेहूं पिसवाने के लिए बेटी को साथ लेकर बाजार गई थीं। फसल बेचने और गेहूं पिसवाने के बाद जब वे घर लौट रहे थे, तो रास्ते में उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति मिला। उसने उनकी पत्नी से कहा कि एक दुकानदार ने उसे पैसे कम लौटाए हैं, और भरोसे में लेकर उसकी बेटी को पैसे लाने के लिए अपने साथ ले गया। बच्ची को जब देर तक वापस नहीं लौटता देखा, तो परिजनों ने गांव के कुछ अन्य लोगों को साथ लेकर जंगल में उसकी तलाश शुरू की। कुछ घंटे बाद बच्ची उमरी क्षेत्र के जंगल में बेसुध अवस्था में मिली।
मध्य प्रदेश सरकार ने 2018 में एक सख्त कानून लागू किया था, जिसके तहत 12 वर्ष या उससे कम उम्र की नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा का प्रावधान है। भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) के तहत ऐसे अपराधों में कठोर दंड की व्यवस्था की गई है। इस कानून का उद्देश्य नाबालिगों के खिलाफ बढ़ते यौन अपराधों पर अंकुश लगाना और समाज में ऐसे अपराधों के खिलाफ एक सख्त संदेश देना है।
बावजूद इसके, राज्य में बाल यौन अपराधों में कोई विशेष कमी देखने को नहीं मिली है। प्रदेश में, हर महीने औसतन 2 से 6 नाबालिगों से दुष्कर्म के मामले दर्ज हो रहे है। यह दर्शाता है कि कानूनी सख्ती के बावजूद सामाजिक स्तर पर जागरूकता का अभाव बना हुआ है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि केवल सख्त कानून बनाने से बाल यौन अपराधों को नहीं रोका जा सकता। इसके लिए समाज में जागरूकता फैलाने और बच्चों तथा उनके परिजनों को आत्मरक्षा के उपाय सिखाने की जरूरत है। इसके अलावा, स्कूलों में भी बच्चों को अच्छे और बुरे स्पर्श की जानकारी देने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करना चाहिए ताकि बच्चे किसी भी संदिग्ध स्थिति में अपनी सुरक्षा के लिए सतर्क रह सकें।
इस घटना पर राज्य बाल संरक्षण आयोग ने संज्ञान लिया है द मूकनायक से बातचीत करते हुए आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही हमने गुना पुलिस अधीक्षक से जांच प्रतिवेदन भेजने के लिए पत्र लिखा है। उन्होंने आगे कहा, " शख्त कानून के प्रावधान के बाद भी लगातार नाबालिग से यौन अपराध की घटनाएं सामने आ रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। हम जांच प्रतिवेदन के बाद आगे की कार्रवाई करेंगे।"
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों के खिलाफ अपराधों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। 2022 में देशभर में 1,62,449 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 के मुकाबले 8.7% अधिक है। इसमें मध्यप्रदेश की भी स्थिति गंभीर है, जहां लगातार बाल अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है। अकेले राजधानी भोपाल में 2022 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 758 मामले दर्ज हुए, जो समाज में व्याप्त असुरक्षा को उजागर करते हैं।
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