केरल: यौन उत्पीड़न पर अभिनेत्रियों के बाद अब दलित कवियत्री ने उठाई आवाज — बताया पुकासा सचिव कैसे पार करते थे मर्यादा!

वर्तमान में पीडिता दलित स्टडीज विषय पर पीएचडी कर रही हैं. उन्होंने कहा- मैं कानूनी पहलुओं पर विचार कर रही हूँ। मुझे डर है कि अगर मैंने कानूनी कदम उठाए, तो इससे मुझे खतरा हो सकता है और मेरे अध्ययन पर भी असर पड़ सकता है।
केरल: यौन उत्पीड़न पर अभिनेत्रियों के बाद अब दलित कवियत्री ने उठाई आवाज — बताया पुकासा सचिव कैसे पार करते थे मर्यादा!
ग्राफिक- द मूकनायक
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तिरुवनंतपुरम - पूरोगमना कला साहित्य संघम (PuKaSa) के एक वरिष्ठ सदस्य पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली दलित कवियत्री का कहना है कि जब एक प्रमुख मलयालम अभिनेत्री को वर्तमान में एक हाई-प्रोफाइल यौन उत्पीड़न मामले में संघर्ष करना पड़ रहा है तो हाशिये के समुदाय से आने वाले महिला को न्याय के लिए कितना संघर्ष करना पड़ेगा.

पीडिता कवियत्री ने कहा, "जब किसी के पास लोकप्रियता, जाति और वर्ग के विशेषाधिकार होते हैं और तब भी वे न्याय के लिए संघर्ष कर रही हैं, तो मुझे क्या उम्मीद हो सकती है? मेरे पास केवल मेरी शिक्षा है। यह पूरी स्थिति मुझे निराश करती है".

गौरतलब है कि कवियत्री ने 2021 में पहली बार अपने #MeToo अनुभव को उजागर किया था। हाल ही में उन्होंने अपने आरोपों को फिर से उजागर किया जब उन्हें पता चला कि A. Gokulendran, जिन पर उन्होंने आरोप लगाया था, को दुबारा पूरोगमना कला साहित्य संघम (PuKaSa) का सचिव चुना गया है। यह संगठन, अपने प्रगतिशील दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है, जो सत्तारूढ़ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से जुड़ा हुआ है। कवियत्री ने कहा इस घटना ने उनके जख्मों को फिर से हरा कर दिया, जिससे उन्होंने एक बार फिर अपनी आवाज उठाने का निर्णय लिया।

वर्तमान में पीडिता दलित स्टडीज विषय पर पीएचडी कर रही हैं.

फरवरी 2017 में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में एक अभिनेत्री के साथ चलती कार में यौन शोषण की घटना सामने आई थी. इस घटना में अभिनेता दिलीप का नाम सामने आया था. जिसके बाद इसकी जांच के लिए सरकार ने हेमा कमेटी का गठन किया. इस कमेटी ने दिसंबर 2019 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी, जो अब पांच साल बाद सार्वजनिक की की गई है. इस रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. 

2021 में किया पोस्ट लेकिन कारवाई नहीं

सबसे पहले 25 फरवरी 2021 को पीड़िता ने सोशल मीडिया पर यौन उत्पीड़न की घटना के बारे में पोस्ट किया। तब PuKaSa ने एक अनौपचारिक समिति का गठन किया, जिसमें सुलेखा, ए.जी. ओलीना, और पी.एन. सरस्वती शामिल थीं। हालांकि, समिति ने पीड़िता से संपर्क किए बिना केवल संगठन की छवि को हुए नुकसान की रिपोर्ट दी।

एक TNIE रिपोर्ट के अनुसार, एक समिति सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें केवल नुकसान का आकलन करने के लिए कहा गया था। गोकुलेंद्रन को कुछ समय के लिए संगठन से हटा दिया गया, लेकिन अगस्त में आयोजित राज्य सम्मेलन में वह पुनः सचिव चुने गए। PuKaSa के महासचिव KP मोहनन ने बताया कि शिकायत न तो औपचारिक रूप से प्रस्तुत किया गया था और न ही रिपोर्ट किया गया था। उन्होंने कहा कि यदि मुद्दा औपचारिक रूप से उठता है, तो इसे जांचा जाएगा। जब समिति द्वारा पीड़िता के बयान को शामिल न करने पर सवाल उठाया गया, तो मोहनन ने कहा कि यह अनौपचारिक समिति थी और वे पीड़िता को ढूंढ नहीं पाए।

पीडिता ने पहली बार  25 फरवरी 2021 को सोशल मीडिया पर पूरोगमना कला साहित्य संघम के सचिव ए. गोकुलेंद्रन द्वारा उसके साथ यौन उत्पीड़न की घटना के बारे में पोस्ट किया।
पीडिता ने पहली बार 25 फरवरी 2021 को सोशल मीडिया पर पूरोगमना कला साहित्य संघम के सचिव ए. गोकुलेंद्रन द्वारा उसके साथ यौन उत्पीड़न की घटना के बारे में पोस्ट किया।

द मूकनायक के साथ बात करते हुए, कवियत्री ने कहा, "जब मैंने सार्वजनिक रूप से अपनी पोस्ट साझा की, तो मेरी सबसे अच्छी दोस्त ने यह कहते हुए मुझसे झगड़ा किया कि इससे वह भी प्रभावित हो सकती है। उस समय सिवाय मेरे भाई के मेरा परिवार ने मेरे पोस्ट्स के खिलाफ था। अभी भी मेरे परिवार को यह पसंद नहीं है कि मैं इसके बारे में बात करूँ क्योंकि वे इसे परिवार पर एक शर्म मानते हैं। बहुत से लोगों ने मुझे सुझाव दिया कि मुझे इसे दबा देना चाहिए था। एक दलित महिला के रूप में, बिना किसी पैसे और समर्थन के, मैं अकेले लड़ना बहुत मुश्किल महसूस करती हूँ।"

कवियत्री ने PuKaSa से न्याय की उम्मीद में अपनी निराशा व्यक्त की, वह कहती है मैं संगठन की सदस्य नहीं हूँ और CPM पार्टी के सदस्य इस घटना के बाद मुझसे बात करने में हिचकिचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाचार को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा, "मैं कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही हूँ। मैंने परिवार खासकर अपने रिश्तेदारों के दबाव का सामना किया है। मैं PuKaSa की सदस्य नहीं हूँ, और घटना के बाद से मुझे गैसलाइट, मैनिपुलेट किया गया, पीड़ित होकर भी मुझे हीदोषी ठहराया गया और बहिष्कृत किया गया।"

यौन टिप्पणी से लेकर अनुचित शारीरिक संपर्क के आरोप

द मूकनायक को अपने साथ बीती बातों का जिक्र करते हुए पीडिता ने कहा , " यह घटनाएं 2009 से 2011-2012 के बीच की हैं, जब मैं एक नाबालिग थी। इस दौरान उसने कई मौकों पर यौन संकेत देने वाली टिप्पणियाँ कीं और मुझे अनुचित तरीके से छुआ।

मैं उसे पुकासा के कैंप में मिली। शुरू में वह पिता जैसे व्यक्तित्व के थे, लेकिन मेरे पिता की मृत्यु के बाद उनके व्यवहार में बदलाव आ गया। मैंने 14 साल की उम्र में एक कविता संग्रह प्रकाशित किया था, लेकिन उसके व्यवहार के कारण उत्पन्न डर और आघात के कारण मैंने लंबे समय तक लेखन से दूर रहना पड़ा। अब मैं फिर से लिख रही हूँ, लेकिन इसके बाद कुछ भी प्रकाशित नहीं किया है। जब मैं उच्च माध्यमिक अध्ययन कर रही थी, तो मैंने अम्बलपुझा में एक कैंप में भाग लिया। वहां 'वह' भी था। मैं एक दोस्त के साथ गई थी। उसने मुझे बोला कि मैं अपने दोस्त को अलग जाने दूँ और मैं उसके साथ जाऊं। लेकिन मैंने मना कर दिया, क्योंकि मैं अपनी माँ का इंतजार कर रही थी जो हमें लेने आ रही थीं। उसने हमें बस स्टैंड तक ले जाने का प्रस्ताव दिया, और रास्ते में भीड़ का फायदा उठाते हुए उसने मुझे अनुचित तरीके से छुआ।"

पीडिता आगे बताती हैं कि , " एक और घटना पतनमतिट्टा में एक पुस्तक मेले के दौरान हुई। उसने मुझे बताया कि उसने बचपन में एक नन के साथ यौन संबंध बनाए थे और सेक्स कोई अपराध नहीं है। फिर उसने प्रसिद्ध लेखक सारा जोसेफ का उदाहरण देते हुए कहा कि महिलाएं अपने लेखन में महिला शरीर और यौन अंगों, जैसे 'मुला' (स्तन) के बारे में लिखने में संकोच करती हैं। इसके बाद, अगले साल लाइब्रेरी काउंसिल द्वारा आयोजित पुस्तक मेले में मुझे कविता पढ़ने के लिए आमंत्रित किया गया। मैं वहां गई और मैंने अपनी पूरी कोशिश की कि उसे टाल सकूं, लेकिन वह मुझे कविता पढ़ते समय ढूंढ ही लिया। वहां एक लाइव इवेंट था जिसमें मैंने 'यद्यपि तुमने मुझसे सब कुछ मूल्यवान ले लिया, तुमने मुझे छोड़ दिया' (अनुवादित रूप में) जैसी पंक्तियाँ पढ़ीं। फिर उसने यौन संदर्भ में पूछा कि क्या उन्होंने सब कुछ मूल्यवान ले लिया। मुझे शर्म आ रही थी, इसलिए मैं इसे किसी के साथ साझा नहीं कर सकी। कुछ महीने बाद मुझे मजबूरन उसके बुक स्टोर पर जाना पड़ा। मैंने अपने छोटे भाई-बहन को साथ चलने को कहा। जब हम वहां पहुंचे, तो उसने कहा कि अगर मेरी बहन वहां नहीं होती तो वह मुझे यौन विषयक किताबें दे सकता था। उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं उसे पहचानती हूँ, मैं रो पड़ी और उस रेस्तरां से चली गई जहां हम सब डिनर करने गए थे। इसके बाद मैंने 2016 तक कैंपों में जाना बंद कर दिया, जहां मुझे फिर से उससे मिलना पड़ा। इन घटनाओं ने मेरे मन में दीर्घकालिक पहुँचाया।"

पीडिता ने द मूकनायक को कहा, " मैं कानूनी पहलुओं पर विचार कर रही हूँ। मुझे डर है कि अगर मैंने कानूनी कदम उठाए, तो इससे मुझे खतरा हो सकता है और मेरे शोध/अध्ययन पर भी असर पड़ सकता है।"

TNM की एक रिपोर्ट के अनुसार, जब गोकुलेंद्रन से टिप्पणी के लिए संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि 2021 के आरोपों के बाद उन्हें PuKaSa की गतिविधियों से अस्थायी रूप से हटा दिया गया था, और एक जांच की गई थी। उन्हें बाद में सूचित किया गया कि मामले को सबूत की कमी के कारण बंद कर दिया गया था। गोकुलेंद्रन ने कहा कि महिला ने उनकी कार्रवाईयों या बातचीत को गलत तरीके से समझा, लेकिन उन्होंने किसी अनुचित इरादे का खंडन किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी पीड़िता से निजी स्थान पर संपर्क नहीं किया और आरोपों के सामने आने के बाद दूसरों के साथ स्वतंत्र रूप से बातचीत करना बंद कर दिया। उन्होंने व्यक्त किया कि उनके वर्तमान स्पष्टीकरण को विश्वास के लायक नहीं माना जाएगा और केवल बहाने के रूप में देखा जाएगा।

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