उत्तर प्रदेश। यूपी की राजधानी लखनऊ में सीएम आवास से 12 किमी दूर और पुलिस मुख्यालय से महज पांच किमी की दूरी पर दलित युवती से रेप का प्रयास किया गया। जब दलित युवती ने इसका विरोध किया तो आरोपियों ने उसे इमारत की नौंवी मंजिल से नीचे फेंक दिया, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई। यह आरोप मृत छात्रा की मां ने लगाए हैं। छात्रा लखनऊ में रहकर नीट की तैयारी कर रही थी. हालांकि इस मामले में पुलिस ने दो आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इसमें से एक आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, घटना के एक सप्ताह बाद भी पुलिस दूसरे आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। परिजनों ने द मूकनायक को बताया कि उन्होंने एससी, एसटी एक्ट की धारा बढ़ाने के लिए पुलिस को नई शिकायत दी है।
दरअसल, लखनऊ के गोमती नगर विस्तार स्थित सुशांत गोल्फ सिटी इलाके के सेलिब्रिटी मीडोज अपार्टमेंट की नौवीं मंजिल स्थित फ्लैट में पार्टी के दौरान बीती 21 जनवरी को देर रात बालकनी से एक छात्रा नीचे गिर गई, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई। इस मामले में 24 जनवरी को परिजनों ने बेटी के दोस्तों पर हत्या व रेप के प्रयास की एफआईआर दर्ज कराई है। छात्रा की मां का आरोप है कि दोनों आरोपियों ने पार्टी के बहाने उनकी बेटी को फ्लैट पर बुलाया। नशे में धुत होने के बाद बेटी से रेप का प्रयास किया। विरोध करने पर बालकनी से उसे नीचे फेंक कर हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपों की जांच शुरू की है।
मूलरूप से सीतापुर के रहने वाले यशेंद्र वर्मा ने ‘द मूकनायक’ को बताया कि उनकी 24 वर्ष की भतीजी सुशांत गोल्फ सिटी इलाके में किराये पर रहकर नीट परीक्षा की तैयारी कर रही थी। बीते रविवार को उसका दोस्त शुभम राय उसे लेकर सुशांत गोल्फ सिटी इलाके में स्थित सेलिब्रिटी मीडोज अपार्टमेंट निवासी समीर सिंह के फ्लैट नंबर 903 लेकर गया था। देर रात फ्लैट की बालकनी से छात्रा नीचे गिर गई थी। मौके पर ही उसकी मौत हो गई थी। समीर व शुभम का कहना था कि फोन पर बात करने के दौरान छात्रा गिर गई।
पहले जमकर शराब पी फिर वारदात को दिया अंजाम
जानकारी के मुताबिक, फ़्लैट पर शुभम राय और समीर सिंह ने पहले जमकर शराब पी थी। परिजनों का आरोप है कि नशे में धुत होने के बाद छात्रा के साथ अभद्रता व दुष्कर्म का प्रयास किया। जब उसने विरोध किया तो उसे बिल्डिंग से नीचे फेंक दिया। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है। फिलहाल मिली जानकारी के अनुसार, शुभम आईटी सेक्टर में है। वह एक कंपनी में इंजीनियर है। उसकी बहन भी नीट की तैयारी कर रही है। उसकी बहन और छात्रा एक ही कोचिंग में पढ़ती थीं। दोनों की दोस्ती है। अपनी बहन के जरिये ही शुभम छात्रा के संपर्क में आया था। शुभम मूलरूप से मऊ का रहने वाला है। वहीं आरोपी समीर सिंह मूलरूप से बलिया का रहने वाला है। वह पेशे से प्रॉपर्टी डीलर है।
एक सप्ताह बाद भी समीर सिंह को गिरफ्तार नहीं कर पाई है पुलिस
युवती के चाचा ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा- "पुलिस ने मेरी भतीजी का फोन कब्जे में लिया है। वह उसे हमें नहीं दिखा रहे हैं। एक सप्ताह बीत गया है, पुलिस हमें सीसीटीवी फुटेज भी नहीं दिखाई है। पुलिस इस मामले में समीर सिंह की मदद कर रही है। हो सकता है उसके मोबाइल से चैट डिलीट कद दी जाये। इससे आरोपियों का बचाव हो सकता है। पुलिस एक सप्ताह बाद भी समीर सिंह को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।"
इस मामले में द मूकनायक ने अपर पुलिस उपयुक्त (दक्षिण) शशांक सिंह से जानकरी लेनी चाही तो अधिकारी ने फोन नहीं उठाया.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की रिपोर्ट के आंकड़ों के मामले में 28 राज्यों में से उत्तर प्रदेश नंबर वन पर है, यहां पर महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 65,743 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र आता है, जहां 45,331 मामले और तीसरे नंबर पर राजस्थान में 45,058 मामले दर्ज किए गए। जबकि साल 2021 में यूपी में महिलाओं के खिलाफ 56,083 अपराध के मामले दर्ज किए गए, इसके बाद राजस्थान 40,738 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर रहा था।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में देशभर में महिलाओं के खिलाफ कुल 445,256 अपराध के मामले दर्ज किए गए, जो 2021 में दर्ज 428,278 से चार प्रतिशत अधिक है। इनमें से ज्यादातर मामले पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा मारपीट के आते हैं। इसके बाद अपहरण, रेप जैसे मामले हैं।
हाल ही में जारी हुई एनसीआरबी की रिपोर्ट 2022 के मुताबिक देश भर में पॉक्सो की धाराओं के तहत कुल 62,095 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं 2021 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 1,49,404 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 53,874 - 36.05 प्रतिशत - यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) के तहत थे। 2020 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 1,28,531 मामलों में से 47,221 POCSO मामले थे (36.73 प्रतिशत) और 2019 में 1,48,185 ऐसे मामलों में से 47,335 मामले (31.94 प्रतिशत) थे।
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