मध्य प्रदेश में बढ़ते बाल यौन अपराध: मुरैना में तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म, भोपाल में साहस से बच्ची ने खुद को बचाया

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों के खिलाफ अपराधों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। 2022 में देशभर में 1,62,449 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 के मुकाबले 8.7% अधिक है। इसमें मध्यप्रदेश की भी स्थिति गंभीर है, जहां लगातार बाल अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है।
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भोपाल। मध्यप्रदेश में बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। हाल ही में मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के पोरसा थाना क्षेत्र के एक गांव में तीन साल की मासूम बच्ची के साथ हुई दर्दनाक घटना ने राज्य की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बच्ची अपनी दादी के साथ खेत पर गई थी और घर लौटते वक्त गांव के ही 14 साल के किशोर द्वारा लालच देकर दुष्कर्म किया गया।

31 अक्टूबर की सुबह का यह वाकया पोरसा क्षेत्र के एक गांव में हुआ, जब दादी और नातिन खेत में काम के लिए गए थे। थोड़ी देर बाद, भूख लगने पर बच्ची अकेले ही घर लौटने लगी। इसी दौरान, गांव के एक नाबालिग ने मासूम को बहला-फुसलाकर गलत हरकत की। जब बच्ची घर पहुंची, तो उसकी स्थिति को देखकर मां समझ गई। इसके बाद बच्ची के परिजनों ने पोरस थाने जाकर पुलिस से शिकायत की। पुलिस ने बयान दर्ज किए और आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और दुष्कर्म के तहत मामला दर्ज कर उसे हिरासत में लिया।

भोपाल में बालिका ने साहस से बचाई जान

दूसरी घटना राजधानी भोपाल से है, यहाँ के बागसेवनिया क्षेत्र में दीपावली की रात हुई एक घटना में 10 वर्ष की बालिका ने साहस का परिचय देकर खुद को दरिंदगी का शिकार बनने से बचा लिया। आरोपी धर्मेंद्र अहिरवार ने बालिका को घर से बाहर एकांत में ले जाकर उसके साथ गलत करने का प्रयास किया। लेकिन बालिका ने साहस दिखाते हुए आरोपी की आंख में उंगली घुसेड दी जबतक आरोपी संभल पता बच्ची वहां से भाग निकली पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। बालिका के साहस और स्कूल से मिली शिक्षा ने उसे संकट से बचाया।

गुड टच-बैड टच शिक्षा आई काम

इस घटना में स्कूलों में बच्चों को सिखाए जाने वाले गुड टच और बैड टच का ज्ञान महत्वपूर्ण साबित हुआ, और इसी सीख से बच्ची ने अपने आप को बचाया। कक्षा चौथी में पढ़ने वाली बालिका को स्कूल में संकट से निपटने के टिप्स बताए गए थे, जो इस कठिन परिस्थिति में उसके लिए सहायक सिद्ध हुए। बच्ची ने पुलिस को बताया कि उसे स्कूल में बताया गया था, की ऐसी स्थिति में ऐसे अपनी सुरक्षा की जा सकती है।

NCRB के आंकड़े: बच्चों के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों के खिलाफ अपराधों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। 2022 में देशभर में 1,62,449 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 के मुकाबले 8.7% अधिक है। इसमें मध्यप्रदेश की भी स्थिति गंभीर है, जहां लगातार बाल अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है। अकेले राजधानी भोपाल में 2022 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 758 मामले दर्ज हुए, जो समाज में व्याप्त असुरक्षा को उजागर करते हैं।

पॉक्सो एक्ट के तहत सुरक्षा

भारत में बाल यौन शोषण से बच्चों को बचाने के लिए कड़े कानून मौजूद हैं। 2012 में लागू हुआ 'प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेन्सेस एक्ट' (पॉक्सो एक्ट) नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों को गंभीरता से लेता है और कठोर दंड का प्रावधान करता है। इस कानून के तहत किसी भी नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न, शोषण या दुष्कर्म की पुष्टि होने पर अपराधी को कठोर सजा का सामना करना पड़ता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के खिलाफ अपराधों में कमी लाने के लिए न केवल कड़े कानूनों की जरूरत है, बल्कि सामाजिक जागरूकता बढ़ाने की भी आवश्यकता है। विशेषकर ग्रामीण इलाकों में बच्चों को सुरक्षा और यौन शिक्षा के प्रति जागरूक करना जरूरी है ताकि वे किसी भी गलत हरकत का विरोध कर सकें और अभिभावकों को सतर्कता के साथ बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए।

सवालों के घेरे में प्रशासनिक व्यवस्था

यह घटना राज्य की पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है। बच्चियों और नाबालिगों के प्रति हो रहे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का कहना है, कानून और प्रशासन से अधिक, समुदाय और परिवार का सहयोग भी बाल अपराधों की रोकथाम में अहम भूमिका निभा सकता है। माता-पिता अपने बच्चों के साथ संवाद बनाए रखें, उनकी हरकतों पर ध्यान दें और बच्चों को किसी भी अप्रिय घटना के बारे में बताने के लिए प्रेरित करें।

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