क्या है राजस्थान मृतक शरीर का सम्मान अधिनियम, क्यों हो रहा है इसका विरोध?

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विधानसभा क्षेत्र सरदारपुरा में अधिनियम की धारा 16, 17 व 18 के तहत दर्ज हुआ पहला मामला।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
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जयपुर। राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने बीते दिनों प्रदेश में राजस्थान मृतक शरीर का सम्मान अधिनियम-2023 (Honour of Dead Body Bill, 2023) लागू किया था। संयोग से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) के विधानसभा क्षेत्र के पुलिस थाना सरदारपुरा में प्रदेश का पहला मामला अधिनियम के तहत दर्ज किया गया है। इसके बाद विपक्ष और सिविल सोसायटी के लोगों ने अधिनियम की आलोचना शुरू कर दी है।

प्रकरण के अनुसार पुलिस ने जोधपुर के सरदारपुरा थाना क्षेत्र निवासी कैलाश सोनी, जिनकी हाल में मौत हो गई थी। मृतक के शव का समय पर अंतिम संस्कार नहीं करने, मृतक शरीर का अपमान करने के आरोप में अधिनियम की धारा 16,17 व 18 के तहत 14 लोगों को नामजद करते हुए परिजनों व डेढ़ सौ अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर में मृतक के शव की आड़ में सरकार से रुपयों की मांग करने, रास्ता रोक कर आमजन को बाधा पहुंचाने एवं सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी में व्यवधान डाल कर उनको कार्य करने से रोकने का कृत्य के तहत आईपीसी की धारा 384, 143, 186, 188, 283 व 297 को भी शामिल किया है।

यह है मामला

थानाधिकारी जब्बर सिंह के अनुसार शहर में जूनी मंडी स्थित गंगाश्यामजी मंदिर में जन्माष्टमी पर्व के दौरान मटकी फोडने के दौरान हुए हादसे में कैलाश सोनी नाम का युवक घायल हो गया था। गत रविवार को कैलाश की जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। इस पर परिजनों ने भीड़ के साथ मिलकर मृतक का बिना पोस्टमार्टम कराए शव को प्राप्त कर लिया। परिजनों व भीड़ ने एक राय होकर अस्पताल के बाहर मुख्य मार्ग को जाम कर नारेबाजी की। इससे आमजन को असुविधा हुई। वहीं समय पर शव का अंतिम संस्कार नहीं कर नियमों का भी उल्लंघन किया।

इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज

सरदारपुरा थाने के एएसआई दीपालाल ने शव के साथ प्रदर्शन कर देर रात्रि तक रास्ता रोकने पर भाजपा नेता अतुल भंसाली, राजेन्द्र सोनी, दिलीप सोनी, नरेन्द्र सोनी, शिवकुमार, प्रेम, दत्तू सोनी, शिवप्रकाश सोनी, निर्मल सोनी, लनक सोनी, पूर्व पार्षद कृपाराम सोनी, सोनी समाज महामंत्री मोहन सोनी, सोनी समाज अध्यक्ष भेजराम सोनी, जितेन्द्र उर्फ जीतू सोनी, मृतक के परिजनों व अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई है।

एएसआई ने पुलिस थाने में दर्ज रिपोर्ट में बताया कि जन्माष्टमी के दिन गंगाश्यामजी मंदिर पर मटकी फोड़ने के कार्यक्रम के दौरान लोहे का भारी भरकम पिल्लर गिरने पर कैलाश सोनी घायल हो गया था, जिसको इलाज के लिए महात्मा गांधी अस्पताल जोधपुर में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद अस्पताल की मोर्चरी के बाहर सांत्वना देने के लिए परिजनों व ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई।

सूचना पर थानाधिकारी जब्बर सिंह मय पुलिस जाब्ता मौके पर पहुंचे। उक्त भीड़ में शामिल लोग सरकार से उचित मुआवजा लिए बिना कैलाश सोनी का शव अस्पताल की मोर्चरी से नहीं उठाने की बात कर रहे थे। उक्त भीड़ व परिजनों को थानाधिकारी ने समझाने की कोशिश की। इस दौरान जैसे जैसे अंधेरा बढ़ने लगा तो भीड़ भी बढ़ने लगी थी। इस पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने हालात से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया।

एएसआई दीपलाल ने रिपोर्ट में बताया कि दिन भर समझाइश के बाद भी मृतक के परिजनों व प्रदर्शन कर रहे लोगों ने शव को अंतिम संस्कार के लिए मोर्चरी से प्राप्त नहीं किया। पोस्टमार्टम भी नहीं करवाया। शाम होते ही मोर्चरी से बाहर आकर रेलवे स्टेशन से ओलंपिक मैदान की ओर जाने वाली मुख्य सड़क को जाम कर धरने पर बैठ गए।

मृतक के परिजन व भीड़ में शामिल लोग कहने लगे सरकार मृतक आश्रितों को एक करोड़ रुपया नकद, मृतक की पत्नी को स्थायी नौकरी, पूरे परिवार के भरण-पोषण की व्यवस्था जब तक सरकार नहीं करेगी। हम मृतक के शव को नहीं उठाएंगे। जब तक मांग पूरी नहीं हो जाती सड़क को जाम रखा जाएगा। मुख्य सड़क पर दरी बिछा कर बैठ गए। जिससे यातायात प्रभावित हुआ। समझाइश के बावजूद परिजन व भीड़ नहीं मानी। इसके बाद उपरोक्त कार्रवाई अमल में लाई गई।

कानून पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ

द मूकनायक ने दलित अधिकार केन्द्र जयपुर के सहायक निदेशक एडवोकेट चंदालाल बैरवा से अधिनियम को लेकर बात की। उन्होंने कहा- कानून के दो पहलू होते हैं। यह कानून के उपयोग व उसकी क्रियान्विती करने वाले की नियत पर निर्भर करता है कि वह कानून की पालना किस दृष्टिकोण से करता है। क्योंकि बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने भी यह कहा था कि मैंने बहुत अच्छा संविधान बनाया है, लेकिन अगर इसकी क्रियान्वित ठीक ढंग से नहीं हुई तो यह बेकार साबित होगा।

उन्होंने आगे कहान्- मांगे मनवाने के लिए विरोध-प्रदर्शन करना लोकतंत्र में विचार अभिव्यक्ति के अधिकार के अंतर्गत आता है। जीवन जीने के अधिकार के अंतर्गत आता है। पुलिस प्रशासन व सरकार अपनी जिम्मेदारी व कर्तव्य का निर्वाह ईमानदारी से नहीं करती तब जाकर लोग धरना-प्रदर्शन करते हैं। यहां राजस्थान सरकार ने राजस्थान मृतक शरीर का सम्मान कानूनी की आड़ में विचार अभिव्यक्ति के अधिकार का हनन किया है। इस कानून से सरकार, पुलिस व प्रशासन निरंकुश हो जाएगा। इस कानून से सबसे ज्यादा प्रभावित दलित समुदाय (dalit community) होगा। लोकतंत्र में ऐसे कानून लाकर सरकार जनता पर कुठाराघात कर रही है।

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