जयपुर- सत्ता में वापसी के संकल्प के साथ चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस पार्टी मेंअब दिग्गज नेताओं की नाराजगी परेशानी बढाने लगी है। टिकट कटने के बाद सचिन पायलट के करीबी माने जाने वाले बसेड़ी (धौलपुर) से विधायक एवं अनुसूचित जाति आयोग अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा (Khiladi Lal Bairwa) ने राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे पत्र में अनुसूचित जाति वर्ग को न्याय नहीं दिला पाने के कारण आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की बात लिखी गई है। हालांकि राजनीति की चौपालों पर इस्तीफा देने का कारण टिकट नहीं मिलना बताया जा रहा है।
आपको बता दें कि राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के लिए कांग्रेस की ओर से जारी की गई सूची में धौलपुर जिले की बसेड़ी विधानसभा (एससी) सीट से पार्टी ने वर्तमान विधायक एवं राज्य एससी आयोग अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा का टिकट काट दिया। कांग्रेस पार्टी ने देर शाम को जारी की चौथी सूची में संजय जाटव को प्रत्याशी घोषित किया है।
संजय गत करौली-धौलपुर लोकसभा सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें वर्तमान सांसद और भाजपा प्रत्याशी डॉ.मनोज राजौरिया ने शिकस्त दी।
टिकट कटने के बाद सचिन पायलट के करीबी माने जाने वाले खिलाड़ी लाल बैरवा ने राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
खिलाड़ी लाल बैरवा ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे अपने त्यागपत्र में कई बातों का जिक्र किया है। उन्होंने अनुसूचित जाति के लोगों को न्याय दिलाने में सफल नहीं होने की वजह से यह कदम उठाया है।
बसेड़ी विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा पिछले दिनों अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहे थे। उन्होंने सीएम अशोक गहलोत पर भी टीका-टिप्पणी करने कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे पत्र में एससी आयोग अध्यक्ष ने लिखा कि उनके द्वारा राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष का पद संभालने के बाद राजस्थान के सभी जिलों का लगभग दो बार दौरा करने के बाद अनुसूचित जातियों के पीडि़त व्यक्तियों की परिवेदनाओं का निस्तारण करने का प्रयास किया गया।
जन सुनवाई व जिलों के भ्रमण के दौरान पाया कि अनुसूचित आयोग को वैधानिक दर्जा दिया जाता है, तो प्रदेश के अनुसूचित जाति वर्ग के पीड़ितों को त्वरित, निष्पक्ष एवं पारदर्शी न्याय दिलवाया जा सकता है।
आयोग के अध्यक्ष की हैसियत से पीड़ित व्यक्तियों को न्याय दिलाना पदीय कर्तव्य होता है। अनुसूचित जाति के पीड़ित व्यक्तियों की परिवेदना का त्वरित एवं निषपक्ष निस्तारण नहीं करवाया जाता है, तो अनुसूचित जाति वर्ग में सरकार के सुशासन के प्रति विपरीत प्रभाव एवं असंतोष बढ़ता है। प्रयासों के बावजूद आयोग को वैधानिक दर्जा नहीं दिए जाने, राजस्थान के कांग्रेस नेताओं द्वारा (20 प्रतिशत) अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों की आवाज दबाने, व इन्द्र मेघवाल व जितेन्द्र मेघवाल जैसे प्रकरण व अन्य मामलों में अत्याचार पर न्याय दिलाने से मुखर आवाज प्रस्तुत करने, आजादी के बाद से अनुसूचित जाति वर्ग की जमीनों पर राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लोगों द्वारा किए गए कब्जे हटवाने, ऑपरेशन समानता अभियान चलाने पर अभियान को दबाने का प्रयास करने, से व्यथित होकर आयोग के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे रहा हूं।
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