जयपुर। बीते कई दिनों से माली, सैनी, कुशवाह, शाक्य और मौर्य समाज के लोग 12 प्रतिशत अलग से आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। 21 अप्रैल से भरतपुर जिले से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 21 जाम कर धरना दिया जा रहा है। इस बीच सोमवार को फूले आरक्षण संघर्ष समिति के लोगों के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की जयपुर में सकारात्मक चर्चा हुई। हालांकि आंदोलन अभी जारी रहेगा।
राजस्थान में 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे माली, सैनी, कुशवाह, शाक्य और मौर्य जातियों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति के साथ ही जनगणना को लेकर भी आंदोलनकारी मांग कर रहे थे।
आंदोलन के दौरान फूले आरक्षण संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलित जातियों के आर्थिक, सामाजिक सर्वे और जनगण की मांग की थी। आंदोलनकारियों की मांग पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीते दिनों इन जातियों के सर्वे के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को पत्र लिखा था।
मुख्यमंत्री की चिट्ठी के आधार पर ही सोमवार को फूले आरक्षण संघर्ष समिति संयोजक मुरारी लाल सैनी के नेतृत्व में 21 सदस्य प्रतिनिधि मंडल की ओबीसी आयोग अध्यक्ष जस्टिस भवँरू खां के साथ वार्ता हुई। वार्ता के दौरान अलग 12 प्रतिशत आरक्षण को मांग कर रही माली, सैनी, कुशवाह, शाक्य और मौर्य जातियों के सर्वे के लिए समस्त जिला कलक्टरों को पत्र लिखने पर सकारात्मक सहमति बनी है। 10 दिन में जिला कलक्टरों की रिपोर्ट आने के बाद आयोग सर्वे का काम शुरू करेगा।
सोमवार जयपुर में हुई वार्ता के बाद फूले आरक्षण संघर्ष समिति संयोजक मुरारी लाल सैनी ने कहा कि माली, सैनी, कुशवाह, शाक्य, मौर्य समाज के आरक्षण की मांग नवम्बर 2013 से चल रही है। सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को चिट्ठी भेजी थी।
आज जयपुर में माली, सैनी, कुशवाह, शाक्य, मौर्य समाजो का प्रतिनिधित्व कर रहे फूले आरक्षण संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल की अन्य पिछड़ा आयोग के साथ बैठक हुई है।
संयोजक मुरारी लाल सैनी ने कहा कि बैठक में तय हुआ है कि ओबीसी आयोग उक्त जातियों के सर्वे के लिए कलक्टरों को चिट्ठी लिखेगा। आयोग कलक्टरों को पत्र लिखने के लिए 15 दिन का समय दे रहा था। जबकि हमने 10 दिन में ही कलक्टरों को चिट्ठी लिख कर रिपोर्ट लेने का निवेदन किया है। आयोग ने हमारे निवेदन को स्वीकार लिया है। हमने 10 दिन में कलक्टरों की रिपोर्ट लेकर एक महीने में सम्पूर्ण सर्वे की बात कही है।
ओबीसी आयोग अध्यक्ष जस्टिस भवँरू खां ने कहा फूले आरक्षण संघर्ष समिति का प्रतिनिधि मण्डल हमारे पास आया था। सरकार की चिट्ठी के ऊपर हमने इनकी सुनवाई की। इन्होंने जल्दी से जल्दी समाज की स्थिति की सर्वे रिपोर्ट मांगी है। हमने 15 दिन के लिए कहा, लेकिन इन्होंने 10 दिन के लिए कहा। हमने इनके प्रतिवेदन के परीक्षण के लिए कहा है। परीक्षण के लिए हम जिला कलक्टरों को पत्र लिख रहे हैं। 10 दिन में कलक्टर इन जातियों की स्थिति की रिपोर्ट सौपेंगे।
राजस्थान में माली-सैनी, कुशवाह, काश्य और मौर्य जाति के लोग अलग से 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। यह जातियां फूले आरक्षण संघर्ष समिति के बैनर तले 21 अप्रैल से जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग 21 को जाम कर बैठे हैं।
सोमवार को 11वें दिन भी आंदोलनकारी हाइवे जाम कर बैठे रहे। माली-सैनी, कुशवाह, काश्य, मौर्य जाती को अलग से 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन कब तक चलेगा? यह सोमवार को आयोग से सकारात्मक चर्चा के बाद भी स्पष्ट नहीं हो सका।
फूले आरक्षण संघर्ष समिति संयोजक मुरारी लाल सैनी ने कहा कि अभी हमारा आंदोलन चल रहा है। हम 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे हैं। आंदोलन कब तक चलेगा इस पर सैनी ने कहा कि यह संघर्ष समिति और समाज मिलकर तय करेगा।
भरतपुर जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 21 पर आंदोलन स्थल के निकट 25 अप्रैल को एक आंदोलनकारी मोहनलाल सैनी का पेड़ से लटका शव मिला था। शव की जेब मे एक पर्ची मिली थी। इसमे लिखा था 12 प्रतिशत आरक्षण लेकर रहेंगे।
आंदोलित समाज ने पहले मृतक के परिवार को एक करोड़ की आर्थिक मदद के साथ परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी की मांग की थी। इसके बाद शनिवार को कई दौर की वार्ता के बाद पुलिस ने शव के साथ आंदोलन नहीं करने की गारंटी पर परिजनों को शव दिया था। इसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया।
फूले आरक्षण संघर्ष समिति संयोजक मुरारी लाल सैनी ने कहा कि मोहन लाल को सरकार ने कुछ नहीं दिया, लेकिन समाज ने शहीद का दर्जा दे दिया है। उन्होंने कहा कि मोहनलाल की समाज हित में पहली शहादत है।
विजय बैंसला ने राजस्थान के टोंक जिले में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हमें पता चला है कि एमबीसी (विशेष पिछड़ा वर्ग) के 5 प्रतिशत आरक्षण में छेड़छाड़ कर कुछ जातियों को शामिल किया जा सकता है। एमबीसी समाज इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। 73 लोगों की शहादत के बाद एमबीसी वर्ग को यह आरक्षण मिला है।
उन्होंने कहा यह अच्छी बात है। राजस्थान में जो लोग पिछड़े समाज से हैं उन्हें आगे आना चाहिए। जो आरक्षण के हकदार है उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए। पिछड़ों को आगे लाने के लिए सरकारों को भी जरूरी कदम उठाने चाहिए। मैं यह नहीं कहता है कि केवल गुर्जर समाज पिछड़ा है। और भी समाज पिछड़े हैं। उन्हें आरक्षण दे। हमें कोई एतराज नहीं, लेकिन हमारे आरक्षण से छेड़छाड़ नहीं हो।
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति अध्यक्ष विजय बैंसला ने कहा कि केंद्र सरकार एमबीसी आरक्षण को 9वी अनुसूची में शामिल करें। यह समाज की मांग है। उन्होंने एमबीसी से आने वाले राजस्थान के सांसदों से भी आह्वान किया कि वह केंद्र में इसकी आवाज उठाना चाहिए। विशेष कर वह सांसद जो, एमबीसी वर्ग के मतों से जीत कर आते हैं।
उन्होंने राज्य सरकार से भी आह्वान किया कि गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान जो भी समझौते हुए उन्हें लागू करें। कहीं ऐसा नहीं हो कि समझौते लागू करने के लिए संघर्ष कर एक और समझौता करना पड़े। फिर उसका भी क्रियान्वयन नहीं हो सके।
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