एक फोन आया तो पता चला कि एक नई पहल इस गांव से हो रही है। रास्ता काफी लंबा था इसलिए सुबह जल्दी उठकर ही यात्रा पर निकल गया। एक कस्बे से होकर निकलता हुआ रास्ता एक गांव में जा पहुंचा वहां उसका नाम था जोडली यह राजस्थान के सीकर जिले के नीमका थाना में स्थित है। मेरी उत्सुकता उस कार्य को देखने के लिए और बढ़ चुकी थी कि इस गांव में संविधान को लेकर जागरुकता आखिरकार इतना कैसे है? घर ज्यादातर कच्चे थे, अधिकांश दलित बस्ती की यह ढाणी (गांव का छोटा रुप ), कुछ लोग अभी अपने काम धंधे पर जा रहे थे, महिलाएं पानी ला रही थी, बच्चे तैयार होकर स्कूल जाने की तैयारी में लगें थे। गाँव के इसी स्कूल में संविधान की उद्देशिका लगने वाली है। ( राजस्थान में प्रथम – संवैधानिक विचार मंच के अनुसार, स्कुल स्टाफ के अनुसार )
स्कूली बच्चे रोज पढ़ते हैं संविधान की उद्देशिका
अब मेरी नज़र गांव के मार्ग पर लगे एक बोर्ड पर पड़ी जिसपर लिखा था 'संविधान मार्ग'। तकरीबन 2 साल पहले इस गांव के युवाओं ने संवैधानिक विचार मंच बनाया था, ग्रामीणों को संविधान के प्रति सजग करने व अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से। संविधान की उद्देशिका का शिलालेख गांव के मुख्य मार्ग पर बनीं सरकारी स्कूल में लगने वाला था। हमें बताया गया कि यहाँ के स्कूल में छात्र – छात्राओं के बीच प्रतिदिन संविधान की उद्देशिका की प्रति साझा की जाती है। स्कूल के सामने के तरफ हरियाली है, दूसरे तरफ पहाड़ है। गांव के लोग एकत्रित हो चुके हैं, इन सबके पीछे संवैधानिक विचार मंच का युवा काफिला काम कर रहा है। इसके संस्थापक गीगराज जोडली जो लगातार संविधान के दायरे में रहकर काम करते हैं और बहुजन मुद्दों पर मुखर आवाज रखते हैं।
संवैधानिक विचार मंच बनाने का लक्ष्य
संवैधानिक विचार मंच की स्थापना सीकर के नीमकथाना क्षेत्र में हुई है, संवैधानिक विचार मंच को काम करते हुए लगभग 2 साल
का समय हो गया। संवैधानिक विचार मंच का लक्ष्य नागरिकों में संवैधानिक जागृति पैदा करना है ,संविधान की मूल भावना को लोगो
तक पहुंचाना ओर संवैधानिक समझ का युवा वर्ग तैयार करना,जिससे प्रत्येक नागरिक समान रूप से आर्थिक
व राजनीतिक रूप से मजबूत हो।
क्यों शुरू हुआ संवैधानिक विचार मंच ?
संवैधानिक विचार मंच के संस्थापक गीगराज जोड़ली बताते हैं कि संविधान के प्रति जागरूकता और सजगता को बढ़ाना और घर घर तक और गांव के बच्चे – बच्चे तक अपने अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना ही इस मंच का उद्देश्य है।
गीगराज के घर का कोई सदस्य उनके अलावा दसवीं पास नहीं है, उनके पिता साक्षर हैं, माता अनपढ़ है और ईंट भट्टे पर मजदूरी करते हैं। गीगराज का सपना पढ़ लिखकर डॉक्टर बनने का था लेकिन आर्थिक तंगी व भाई की बीमारी की वजह से वो पीएमटी नही कर सके,इसके बाद निजी नर्सिंग कॉलेज में छात्रवृत्ति बेस दाखिला लिया, जहाँ उन्हें छात्रों के हक की बातें करने पर कॉलेज प्रशासन द्वारा मारपीट एवं जातिसूचक गालियां दी गयी, इस घटना ने गीगराज को पूरी तरह से झकझोर कर दिया और उन्होंने वंचित और पिछड़े समाज को उनके हक और अधिकार के लिए जागरूक करने के लिए संवैधानिक विचार मंच का स्थापना किया।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.