अलवर। राजस्थान के अलवर जिले के नौगांव में दलित अधिकार केन्द्र सदस्यों की ओर से सामुदायिक जागरूकता बैठक आयोजित की गई। केन्द्र के जिला समन्वयक शैलेष गौतम ने उक्त बैठक में बताया कि दलित एवं महिलाओं पर अत्याचारों की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। उनके साथ घोड़ी से उतरना, सार्वजनिक स्थलों से पानी नहीं भरने देना, दलितों की भूमियों पर अवैध कब्जे करना, जातिगत भेदभाव सहित हत्या, बलात्कार, यौन शोषण, शैक्षणिक एवं आर्थिक शोषण जैसी विभिन्न घटनाएं घटित हो रही है। दलित महिलाओं की स्थिति तो बेहद चिंताजनक है। महिलाओं को जाति, वर्ग और लिंग के आधार पर अलग थलग किया जाता है।
आगे बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत भेदभाव व छुआछूत का अन्त किया गया है, इसी के साथ आईपीसी, नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955, पॉस्को, जेजे एक्ट तथा अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 जैसे सख्त कानून बने हुए हैं। उक्त अधिनियमों के तहत सर्वप्रथम तो पुलिस थानों में मुकदमे दर्ज ही नहीं किए जाते हैं और जो मुकदमे दर्ज किए जाते हैं उनमें प्रशासन द्वारा लापरवाही बरती जाती है, जिसके कारण पीड़ितों को समय पर न्याय, सुरक्षा व सम्मान नहीं मिल पाता है और वो अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं। उक्त कानून व नियमों के अन्तर्गत लापरवाही बरतने वाले लोकसेवको के विरुद्ध भी कानूनी कार्यवाही करने का अलग से प्रावधान है किन्तु इसके बावजूद भी लोकसेवकों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही नहीं की जाती है।
बैठक में अत्याचार, हिंसा व शोषण के विरुद्ध न्याय प्राप्ति के लिए जागरूक होकर लड़ाई लड़ने का संदेश दिया गया।
बैठक में सामाजिक कार्यकर्ता चैनसुख, हवलदार, डॉ. नरेश कुमार, राजू मेघवाल ब्लॉक प्रभारी, नेतराम वर्मा ब्लाक अध्यक्ष भीम आर्मी, धर्मेन्द्र सांवरिया व शिवलाल आदि ने भी विचार रखे।
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