राजस्थान: ग्रामीणों ने विरोध कर सार्वजनिक श्मशान में दफनाए शव को जेसीबी से निकलवाया बाहर

मृतक महिला का शव [फ़ाइल फोटो]
मृतक महिला का शव [फ़ाइल फोटो]
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पीड़ित परिजनों को धमकाते हुए कहा गया कि शव यहां से नहीं हटाया तो तुम्हारा हुक्का-पानी बंद।

बाड़मेर। "कितना है बदनसीब जफर दफ्न के लिए, दो गज जमीं भी न मिली कू-ए-यार में।।" आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की मशहूर गजल की पंक्तियों को चरितार्थ करती घटना राजस्थान के बाड़मेर जिले से प्रकाश में आई है। यहां गांव के ही लोगों द्वारा एक 90 वर्षीय बुजुर्ग महिला के शव को दो गज जमीन भी नसीब नहीं होने दिया गया।

बाड़मेर जिले के रामसर कुआ गांव निवासी एक बुजुर्ग महिला का शव सार्वजनिक श्मशान में दफनाने पर गांव के ही लोगों ने परिजनों को धमकाते हुए हुक्का-पानी बंद करने की धमकी दी, जिसके बाद परिजनों ने शव को जेसीबी से कब्र से निकाला और अपने खेत में जाकर दफनाया। उल्लेखनीय है कि, अतिपिछड़ा वर्ग में आने वाले 'ढाढी समाज' के लोग मृतकों के शव का दाह संस्कार नहीं करते हैं, बल्कि उनको दफनाते हैं।

ये है पूरा मामला

बाड़मेर जिला मुख्यालय से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर रामसर कुआ गांव स्थित है। स्थानीय निवासी अणक्षी देवी (90) पत्नी लाखाराम ढाढी की बीमार से गत माह की 27 तारीख को मौत हो गई थी। घरवालों ने वृद्धा के शव को गांव के सार्वजनिक श्मशान घाट में दफनाया था। 29 जून को गांव वालों को इसकी भनक लगी तो विरोध शुरू कर दिया। उन्होंने अणक्षी देवी के घरवालों को बुलाया और दफनाए शव को श्मशान घाट से बाहर ले जाने का दबाव बनाया।

पीडि़त परिवार का कहा है कि, विरोध कर रहे लोगों ने कहा कि — शव बाहर नहीं निकाला तो तुम्हारा गांव में हुक्का-पीना और रास्ता बंद करवा देंगे। ग्रामीणों की धमकी के बाद परिजन हैरान और परेशान हो गए। सामाजिक बहिष्कार के डर से परिजनों ने शव को जेसीबी की मदद से बाहर निकाला और खुद के खेत में दफना दिया।

मामले की जानकारी के लिए द मूकनायक ने थानाधिकारी बाड़मेर सदर जाकिर अली से सम्पर्क किया। अली ने बताया कि, "पीडि़त परिवार ने मामले में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है। प्रकरण की जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची थी।" पुलिस का दावा है कि, मृतका के परिजनों ने लिखित में दिया है कि उन्होंने गलती से वृद्धा का शव गोचर जमीन में दफना दिया था, जिसे गांव के लोगों के विरोध करने पर जेसीबी से निकलवाकर पुनः अपने खेत की जमीन में दफना दिया। हालांकि, परिजनों ने इसके विपरीत बयान दिए हैं।

गांव वालों ने धमकाया- परिजन

अणक्षी देवी के पोते जोगेन्द्र बताते हैं कि, दादी का शव सार्वजनिक श्मशान की जगह में दफनाया गया था। गांवों वालों के धमकाने व विरोध करने पर जेसीबी से खोदकर शव वापस बाहर निकालना पड़ा। बाद में अपने खेत में दफनाया। 

अणसी देवी के दूसरे पोते गणपत बताते हैं कि, "गांवों वालों ने धमकाया कि अगर शव बाहर नहीं निकाला तो तुम्हारा हुक्का-पीना और रास्ता बंद करवा देंगे। उनकी धमकी के आगे मजबूरन दफनाए शव को जेसीबी से बाहर निकालना पड़ा।"

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