जयपुर। राजस्थान के उदयपुर जिले के मावली थाना क्षेत्र के एक गांव में पड़ोसी की हैवानियत का शिकार बनी 9 वर्षीय आदिवासी बालिका की हत्या व बलात्कार के आरोपी कमलेश को गत रविवार शाम को पुलिस ने गिरफ्तार कर हवालात में डाल दिया, इसके बावजूद सम्बन्धित थाना पुलिस की भूमिका को लेकर लोग सन्देह जता रहे हैं। आरोप है कि बालिका 29 मार्च को सुबह गुम हुई थी। शाम तक पुलिस टालती रही। दिनभर घुमाने के बाद 29 मार्च की शाम को गुमशुदगी दर्ज की, लेकिन बालिका को तलाशने में कोई सहयोग नहीं किया।
उदयपुर भीम आर्मी जिला महामंत्री रोशन लाल मेघवाल ने बताया कि शनिवार को कच्चे खण्डहर से बदबू आई तो लोगांे को शक हुआ। गांव वालों ने जाकर देखा तो बोरे में मानव शरीर के टुकड़े मिले। यह टुकड़े गुम हुई नाबालिग के थे। बाद में सूचना देकर पुलिस को मौके पर बुलाया गया था।
पुलिस बहुत कुछ छिपा रही
भीम आर्मी जिला महामंत्री रोशनलाल मेघवाल ने कहा कि नाबालिग बालिका हत्याकांड से जुड़े कई अहम तथ्यों को पुलिस छिपा रही है। पुलिस एक तरफ कह रही है कि आरोपी पहले लालच देकर नाबालिग लड़की को अपने घर ले गया। वहां उसने उसके साथ बलात्कार कर बेरहमी से हत्या की। घर में ही धारदार हथियार से शरीर के 10 टुकड़े कर घर में रखे रखा। जब घर में बदबू फैलने लगी तो शव के टुकड़ों को थैलो में भरकर खण्डहर में फेंक दिया।
सवाल यह है कि आरोपी ने तीन से चार दिन शव के टुकड़ांे को घर में रखे रखा। धारदार हथियार से लड़की के टुकड़े करने पर घर में खून भी फैला होगा तो क्या आरोपी के परिजनों को इसकी भनक नहीं थी। उन्होंने इस जघन्य अपराध को छिपा कर अपराधी बेटे का साथ क्यों दिया। फिर पुलिस अभी तक मां-बाप की भूमिका को लेकर खुलासा क्यों नहीं कर रही है। कहीं पुलिस राजनीतिक दबाव में आरोपियों का बचाव तो नहीं कर रही है।
ज्ञापन सौंप कर निष्पक्ष जांच की मांग
मावली प्रकरण में भीम आर्मी भारत एकता मिशन प्रदेश सचिव लाला मेघवाल के नेतृत्व में सोमवार को भीम आर्मी उदयपुर, मेघवाल समाज युवा जाग्रति मंच, राष्ट्रीय मेघवाल परिषद उदयपुर राजस्थान, अदिवादी महासभा मावली, मेघवाल समाज सेवा संस्थान, आम मेवाड़ भील समाज आदि संगठनों ने मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंप कर निष्पक्ष जांच की मांग की।
बहुजन सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियो ने ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री से कहा कि मावली में 9 वर्षीय आदिवासी नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के बाद हत्याकांड से क्षेत्र के सर्वसमाज में रोष है। सर्वसमाज मांग करता है कि आरोपियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा दी जाए। केस ऑफिसर स्कीम के तहत जांच कर फास्ट ट्रेक न्यायालय में सुनवाई की जाए। इसके अलावा पीडि़त परिवार को अविलम्ब 50 लाख रुपए की आर्थिक मदद व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। पीडि़त परिवार की जान माल की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं। ग्रामीणों ने बताया कि आरोपी का मकान पीडि़त के घर के सामने है। ऐसे में कभी भी पीडि़त परिवार पर हमला होने की बात से इनकार नहीं कर सकते।
न्याय प्रणांली को लेकर फिर उठ रहा सवाल
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर जति व धर्म के आधार पर पीडि़तों को न्याय देने के आरोप लगते रहे हैं। विशेष कर जब पीडि़त पक्ष दलित, आदिवासी या मुस्लिम समाज से हो तो राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का न्याय का तरीका बदल जाता है। चाहे पीडि़त नासिर और जुनैद हो या फिर कार्तिक भील, ओमप्रकाश रैगर, जितेंद्र मेघवाल इनके लिए गहलोत सरकार में आर्थिक मदद या सरकारी नोकरी के अलग पैकेज है। भीम आर्मी शक्ति एकता मिशन के प्रदेश सचिव लाला मेघवाल कहते हैं कि जब उदयपुर में ही मुख्यमंत्री की जाति के एक व्यक्ति की हत्या होती है तो सीएम खुद पीडि़त परिवार से मिलकर 50 लाख आर्थिक मदद के साथ ही पीडि़त परिवार के दो सदस्यों को सरकारी नौकरी देते हैं यहां कोई शक नहीं कि सरकार की नजर में दलित, अदिवासी, व मुस्लिमांे की जान की कीमत अलग है। अन्य जातियों के लिए अलग है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि राजस्थान सरकार अदिवासी पीडि़त परिवार को भी सरकारी नौकरी व 50 लाख की आर्थिक मदद के साथ ही आरोपी को फांसी की सजा दिलाने की खुद मॉनिटरिंग करे।
व्यस्त हूं, बात नहीं कर सकता
द मूकनायक ने मावली थानाधिकारी से फोन पर बात कर अब तक की गई कार्रवाई की जानकारी चाही तो उन्होंने कहा में व्यस्त हूं। बात नहीं कर सकता। इसके बाद फोन काट दिया।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.