जयपुर। देश में बढ़ती साम्प्रदायिक घटनाएं चिंताजनक है। अमन पसंद भारत में ऐसी घटनाएं देश की तरक्की में रोड़ा बन रही है। गंगा-जमुनी तहजीब वाले देश में सौहार्द कायम रखने के लिए राजस्थान की राजधानी जयपुर में दमन प्रतिरोध आन्दोलन, राजस्थान (दलित-आदिवासी-अल्पसंख्यक-महिला) संगठन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने "साम्प्रदायिक ताकतों भारत छोड़ो" के नारे के साथ शहीद स्मारक पर धरना-प्रदर्शन कर अमन का आह्वान किया।
प्रदर्शनकारियों ने धर्म-जाति के नाम पर नफरत फैलाने वाली ताकतों को ललकारते हुए कहा कि यह देश सभी धर्म, जाति व वर्गों को अपने आंचल में समेटे है। इसे बिखरने नहीं देंगे। क्योंकि भाईचारा और प्रेम से ही देश का अस्तित्व बच सकता है।
दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक, महिला, दमन प्रतिरोध आन्दोलन, राजस्थान के बैनर पर आयोजित प्रदर्शन में महिलाओं, मासूम बच्चियों के साथ लगातार बढ़ रही यौन हिंसा और नृशंस हत्या, दलित, आदिवासी अत्याचारों की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाई गई। मणिपुर में आदिवासियों और अल्पसंख्यकों पर हमलों का विरोध किया गया। मेवात क्षेत्र के हरियाणा में नूह जिले और आस-पास के इलाकों में साम्प्रदायिक तनाव और हिंसा के बाद आगजनी, हत्या, धार्मिक समूहों में साम्प्रदायिक टकराव पर गम्भीर चिन्ता और क्षोभ व्यक्त किया।
शहीद स्मारक पर हुए धरना प्रदर्शन में वक्ताओं ने कहा कि केंद्र की भाजपा-आरएसएस सरकार चुनावी फायदे के लिए बहुसंख्यक साम्प्रदायिक ताकतों को संरक्षण और प्रोत्साहन दे रही है। साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की घटिया राजनीति कर रही है। इससे अल्पसंख्यकों में असुरक्षा बोध और जन आक्रोश बढ़ रहा है।
का. तारा सिंह सिद्धू, मोहम्मद नाजिमुद्दीन, शमा परवीन, मंजू लता और महिपाल सिंह गुर्जर ने कार्यक्रम की सामूहिक अध्यक्षता करते हुए अपने विचार रखे। अध्यक्ष मण्डल के सदस्यों ने कहा कि राजस्थान में महिलाओं/मासूम बच्चियों के साथ लगातार बढ़ रही यौन हिंसा और नृशंस हत्याओं की घटनाएं चिंता जनक है। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि भीलवाड़ा जिले के कोटड़ी गांव में नाबालिग बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार करने के बाद कोयला भट्टी में जिंदा जला देने की हृदय विदारक घटना ने मानवता को कलंकित किया है।
करौली में एक दलित युवती की हत्या करके उसके शव को कुएं में फेंक देने, जोधपुर और बीकानेर के खाजूवाला में दलित महिलाओं के साथ बलात्कार, हिंसा और हत्याओं की निरंतर हो रही घटनाओं ने समाज को विचलित किया है। मणिपुर की घटनाओं को लेकर भी रोष प्रकट किया गया।
धरना-प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुये जमात-ए-इस्लामी हिन्द के प्रदेशाध्यक्ष मोहम्मद नाजिम ने कहा कि मेवात क्षेत्र के हरियाणा में नूह जिले और आस-पास के इलाकों साम्प्रदायिक तनाव और हिंसा के बाद आगजनी, हत्या, धार्मिक समूहों में साम्प्रदायिक टकराव, हरियाणा की भाजपा-आरएसएस सरकार की संदेहास्पद भूमिका प्रदर्शित करती है। यहां हरियाणा सरकार निष्पक्ष रूप से अपनी भूमिका को निभाने में पूरी तरह से विफल रही है।
समग्र सेवा संघ से जुड़े सवाईसिंह ने कहा कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में निष्पक्ष होकर साम्प्रदायिक गुंडा तत्वों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने के बजाय हरियाणा की भाजपा-आरएसएस सरकार असंवैधानिक रूप से एक पक्षकार की तरह से व्यवहार कर रही है। देश में एक के बाद एक लगातार घट रही साम्प्रदायिक तनाव की घटनाओं के पीछे एक सुनियोजित और सोची समझी साजिश नजर आती है।
एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स राजस्थान के महासचिव मुजम्मिल रिजवी ने कहा कि पूर्वी राजस्थान के सीमावर्ती अलवर और भरतपुर जिलों में भी साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति है। दमन प्रतिरोध आन्दोलन,राजस्थान इसकी कड़े शब्दों में निंदा करता है। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार को अतिरिक्त सतर्कता बरतते हुए समय रहते आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
हरियाणा के मेवात में फैलाई जा रही साम्प्रदायिक तनाव की आग कहीं राजस्थान को भी न झुलसा दे, इसके लिए राज्य के अलवर और भरतपुर जिलों में साम्प्रदायिक सद्भाव और भाईचारे के दमन प्रतिरोध आन्दोलन राजस्थान द्वारा शीघ्र ही सद्भावना कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
इस दौरान जयपुर-मुम्बई सुपरफास्ट ट्रेन में साम्प्रदायिक उन्माद से ग्रसित रेलवे सुरक्षा बल के एक पुलिसकर्मी द्वारा अपने एक अधिकारी और तीन निर्दोष मुस्लिम यात्रियों की निर्मम हत्या पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने इन घटनाओं को आरएसएस द्वारा देश में फैलाई जा रही साम्प्रदायिक घृणा का परिणाम बताया है।
वक्ताओं ने कहा कि इन घटनाओं की आड़ में देश और राज्य के अन्य हिस्सों में भी साम्प्रदायिक तनाव और हिंसा फैलाकर साम्प्रदायिक ताकतों द्वारा राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है। धरना-प्रदर्शन में मुंबई ट्रेन हादसे में मृतक शास्त्री नगर, भट्टा बस्ती निवासी असगर के परिवार लोग भी शामिल हुए।
वक्ताओं ने मणिपुर में पिछले लगभग तीन महीने से जारी प्रायोजित साम्प्रदायिक और जातीय हिंसा का आरोप लगाते हुए मणिपुर में आदिवासियों पर हो रहे अमानुषिक अत्याचारों पर चिंता प्रकट करते हुए सरकारों की भूमिका संदेहास्पद होने का आरोप भी लगाया। साथ ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय से मणिपुर देश में बढ़ रही साम्प्रदायिक घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की।
इस दौरान उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गांधीवादी प्रतिष्ठानों पर हमले का विरोध करते हुए प्रदर्शनकारियों ने सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े किए। वक्ताओं ने देश में कुछ साम्प्रदायिक, राजनीतिक, सामाजिक संगठन, दल और व्यक्ति अपने क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थों के लिए देश की एकता और अखंडता, सामाजिक-समरसता, आपसी भाईचारे को भी दांव पर लगाने की कोशिशों के खिलाफ अमन पसंद लोगों को आगाह किया।
तारा सिंह सिद्धू , मंजू लता, महावीर सिहाग, डॉ. गजेंद्र सिंह, निशा सिद्धू, कपिल, ममता जेटली, मोहम्मद इमरान, सबीहा परवीन, कामरेड सईदा, मोहर सिंह आदि ने भी अपने विचार रखे। मंच संचालन डॉ. संजय "माधव" ने किया।
दमन प्रतिरोध आन्दोलन, राजस्थान (दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक, महिला) संगठन के बैनर पर हुए धरना प्रदर्शन में समग्र सेवा संघ, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति, जमाते इस्लामी हिंद, ऐपवा, एनएफआईडब्ल्यू, एसआईओ, एसएफआई, यूथ फोरम, पीयूसीएल, संवैधानिक विचार मंच, एप्सो, राजस्थान बौद्ध महासभा, दलित शोषण मुक्ति मंच, आदिवासी जन अधिकार एका मंच, राजस्थान, भारत की जनवादी नौजवान सभा, एपीसीआर राजस्थान, राजस्थान नागरिक मंच, अखिल भारतीय किसान सभा, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, सपा आदि संगठन शामिल हुए।
साम्प्रदायिक ताकतों और दलित, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं पर अत्याचारों के ख़िलाफ़ राज्य स्तरीय कन्वेंशन होगा। कन्वेंशन में राज्य में सामंती-जातिवादी उत्पीड़न-अत्याचारों और साम्प्रदायिक ताकतों के मुकाबले की रणनीति तैयार की जायेगी। इसके लिए आगामी 16 अगस्त को दमन प्रतिरोध आंदोलन राजस्थान संगठन की बैठक आयोजित की जाएगी।
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