मणिपुर घटना को लेकर राजस्थान में आक्रोश, मूलनिवासी संगठन सदस्यों ने सड़कों पर उतर किया विरोध प्रदर्शन

मणिपुर में आदिवासी महिलाओं से ज्यादती के विरोध में राजस्थान का आदिवासी समाज सडकों पर उतर आया। मूलनिवासियों के अलग-अलग संगठनों ने विरोध प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। वहीं मूलनिवासियों के अधिकारों की रक्षा की मांग की।
जोधपुर में मणिपुर आदिवासी महिलाओं पर ज्यादती के विरोध में प्रदर्शन करते आदिवासी संगठन
जोधपुर में मणिपुर आदिवासी महिलाओं पर ज्यादती के विरोध में प्रदर्शन करते आदिवासी संगठन
Published on

जयपुर। मणिपुर हिंसा में जनजातियों पर ज्यादती के विरोध में राजस्थान में सड़कों पर उतरे आदिवासियों ने जिम्मेदार सरकारों को मौलिक अधिकार और नैतिकता की याद दिलाई। कहीं सड़कों पर उतरकर नारी शक्ति ने प्रदर्शन किया तो कहीं कैण्डल मार्च निकाले गए। राज्य के अलग-अलग जिलों में आदिवासी संगठनों ने प्रदर्शन कर जिला कलक्टरों को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। वहीं मूलनिवासियों के संवैधानिक अधिकरों की रक्षा की गुहार लगाई। भीम आर्मी ने भी मणिपुर हिंसा को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।

उदयपुर में आदिवासी एकता परिषद महिला प्रकोष्ठ राजस्थान के बैनर पर विभिन्न सामाजिक संगठनों ने मणिपुर हिंसा पर एतराज जताते हुए राष्ट्रपति के नाम उदयपुर में जिला कलक्टर को हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन सौंपा। राष्ट्रपति के नाम सम्बोधित ज्ञापन में बताया कि आप इस विशाल और विविध संस्कृतियों वाले देश की संवैधानिक प्रमुख और पांचवीं व छटी अनुसूची वाले आदिवासी क्षेत्रों की अभिरक्षक हैं।

उदयपुर में मणिपुर आदिवासी महिलाओं पर ज्यादती के विरोध में आदिवासी एकता परिषद महिला प्रकोष्ठ के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपते सामाजिक संगठन
उदयपुर में मणिपुर आदिवासी महिलाओं पर ज्यादती के विरोध में आदिवासी एकता परिषद महिला प्रकोष्ठ के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपते सामाजिक संगठन

देश भर के हम आदिवासी लोग पिछले ढाई महीने से मणिपुर में जारी हिंसा पर स्तब्ध और दुखी है। आदिवासी महिलाओं के साथ हुई हैवानियत अपराध के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। मणिपुर में ढाई महीने से चल रही हिंसा को रोकने के लिए तत्काल हर सम्भव प्रशासनिक और कानूनी सहायता दी जाए।

आदिवासी एकता परिषद महिला प्रकोष्ठ राजस्थान की राष्ट्रीय अध्यक्ष कुसुम रावत ने बताया कि मणिपुर में बंधक बनाई गई आदिवासी महिलाओं के साथ हैवानियत की सभी हदे पार कर दी गईं। यह कुकृत्य केवल आदिवासी समुदायों पर ही नहीं हुआ है। समूचे नागरिक समाज को जंझोड़ने वाला है। इस अपराध ने मानवता को भयानक घाव दिया है। उन्होंने कहा कि आदिवासी भारत वर्ष के निर्माता और मूलनिवासी है। हमें भारत का संविधान स्वीकार है। क्योंकि हम लोकतंत्र पर चलने वाले और लोकतंत्र जीने वाले लोग हैं।

उदयपुर में मणिपुर आदिवासी महिलाओं पर ज्यादती के विरोध में आदिवासी एकता परिषद महिला प्रकोष्ठ के नेतृत्व में प्रदर्शन करते सामाजिक संगठन
उदयपुर में मणिपुर आदिवासी महिलाओं पर ज्यादती के विरोध में आदिवासी एकता परिषद महिला प्रकोष्ठ के नेतृत्व में प्रदर्शन करते सामाजिक संगठन

उन्होंने आगे कहा कि अपने ही देश में आदिवासी लोगों को संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संगठित होकर सरकार तक बात पहुंचाना चाहते हैं तो उन्हें इस तरह की बर्बर कार्रवाइयों और हैवानियत का सामना करना पड़ता है। इस तरह की क्रूर और अमानुषिक घटनाएं न केवल किसी भी नागरिक समाज के लिए शर्मनाक है बल्कि भारतीय लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ किया गया सबसे जघन्य अपराध है।

यह भी पढ़ें-
जोधपुर में मणिपुर आदिवासी महिलाओं पर ज्यादती के विरोध में प्रदर्शन करते आदिवासी संगठन
मध्य प्रदेशः 16 दिन से भूख हड़ताल पर सफाईकर्मी, तबीयत बिगड़ी
जोधपुर में मणिपुर आदिवासी महिलाओं पर ज्यादती के विरोध में प्रदर्शन करते आदिवासी संगठन
मध्य प्रदेश: ओबीसी आरक्षण मामले की सुनवाई न्यूट्रल बेंच से कराने की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने लगाया 50 हजार का जुर्माना!
जोधपुर में मणिपुर आदिवासी महिलाओं पर ज्यादती के विरोध में प्रदर्शन करते आदिवासी संगठन
राजस्थान: विरोध के बीच खेजड़ी पर कुल्हाड़ी का वार!

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com