जयपुर। 14 अक्टूबर 1956 को बाबा साहब अंबेडकर ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी। यह दिन समाज के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन की महत्ता को समझते हुए डॉ. अम्बेडकर अनुसूचित जाति अधिकारी कर्मचारी एसोसिएशन (अजाक) ने जयपुर के सिरसी रोड स्थित बौद्ध विहार में एक मंगल मैत्री कार्यक्रम आयोजित कर बुद्ध वंदना तथा गौतम बुद्ध के जीवन और दर्शन पर एक चिंतन-मंथन किया। इस दौरान सामूहिक भोज भी हुआ।
कार्यक्रम में पूर्व आईपीएस सत्यवीर सिंह ने कहा कि हम बाबा साहब के प्रयासों से लाभान्वित होने वाले लोग हैं। हम सब की जिम्मेदारी है की आने वाली पीढ़ी को शिक्षित करें। परिष्कृत करें और आगे लेकर जाए। हमारी तो सांसों का भी यदि कोई कारण है, तो वह बाबा साहब हैं। बाबा साहब जैसी महान विभूति ने आज के दिन बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी इसीलिए हम इस दिन को सेलिब्रेट करने इकट्ठे हुए हैं।
पूर्व आईपीएस सत्यवीर सिंह ने कहा, हमारी जिम्मेदारी है कि बाबा साहब के बताये गए मार्ग पर चले और उनके द्वारा सुझाए हुए वैज्ञानिक धर्म बौद्ध धर्म को माने। इसी धर्म के आदर्शों पर चलकर हमारे समाज का उत्थान करें।
इस अवसर पर सैकड़ों लोग उपस्थित रहे, जिनमें पूर्व न्यायाधीश टेकचंद राहुल, पीएम बौद्ध, मनीषा बौद्ध, प्रज्ञा मित्र बौद्ध, लक्ष्मी नारायण बौद्ध, विनय बौद्ध आदि समस्त महानुभवों ने अपने विचार रखें।
इस कार्यक्रम में चंदन जांगिड़, भुवनेश जांगिड़, कमलकांत अग्रवाल, वीणा शर्मा, मोहन शर्मा, शशिकांत शर्मा, संतोष दायमा, जगदीश केडवाल, सुमन भंवरिया, मुकुल सिंह, त्रिशला सिंह, तरुणा सिंह, कांता सिंह, सुमन देवठिया, कश्मीरा गुलशन, उमा देवी, सविता राघव, मुनेश शर्मिला, बीना संतोष, सुषमा देवकरण, राजकुमार, विष्णु वर्मा, ज्ञान प्रकाश नैना, उमेश कुमार देवदत्त, श्री राम बड़कोडिया, रोहित मीणा, बीएल मीणा, जगदीश केडवाल, जिले सिंह, मांगीलाल बुनकर, गोविंद भाटी, राजेंद्र वर्मा, श्रवण कुमार वर्मा, सूरजमल वर्मा, आर एम असवाल, महावीर असवाल, जेपी बुंदेला, पूरणमल बेरी, शीशराम चावला, जगन जाटव, लक्ष्मी नारायण भंवरिया, मोहनलाल वर्मा, रामनिवास राघव, मातादीन सांभरिया, सूरजमल वर्मा, बाबूलाल गुराडिया, अमृतलाल अटोरिया, सोमनाथ मांड्या, ओमप्रकाश, गोविंदराम भाटी, हुकुमचंद, डीके बंसीवाल, मुंशी राम, राजेश गोठवाल, दीपक कांटीवाल, श्रवण कुमार, रामनारायण आदि श्रेष्ठिजनों ने शिरकत की।
अंत मे भंते करुणा सागर ने मेडिटेशन के ऊपर अपने विचार रखें। मनीषा बौद्ध ने एक बहुत ही सुंदर गीत भी गया और महिलाओं को पाखंड से दूर रहने का आग्रह किया। उसके बाद सभी ने सहभोज किया और भवतु सब्ब मंगल की कामना की।
अजमेर जिले के निवासी एवं लेखक डॉ. गुलाब चन्द जिन्दल 'मेघ' कहते हैं कि, सन 1956 के अक्टूबर माह की 14 तारीख को अशोका विजया दशमी के महान पर्व पर भारत के मानव जीवनदाता डॉ. भीमराव आंबेडकर साहब ने अपनी पत्नी डॉ. सविता आंबेडकर के साथ नागपुर में बौद्ध धर्म (धम्म) ग्रहण/अंगीकृत किया था। डॉ. भीमराव आंबेडकर साहब और उनकी पत्नी डॉ. सविता आंबेडकर को लाखों लोगों के बीच बौद्ध धम्म की दीक्षा कुशीनगर के भदंत चंद्रमणि महाथेरो ने दी थी।
उल्लेखनीय है कि डॉ. आंबेडकर साहब ने बौद्ध धर्म ग्रहण करने का दिन अशोका विजया दशमी पर्व को चुना था जो वर्ष 1956 में 14 अक्टूबर का दिन था।
जैसा हम जानते हैं कि, महान व्यक्ति असाधारण कार्य करते हैं और उस कार्य का दिन, स्थान, अवसर भी असाधारण ही होता है। इसी प्रकार महामानव डॉ. आंबेडकर साहब ने भी बौद्ध धर्म ग्रहण करने का दिन अशोका विजया दशमी पर्व और मूलनिवासियों की ऐतिहासिक नगरी नागपुर की पवित्र धरती को चुना।
डॉ. आंबेडकर साहब ने हिन्दू धर्म (सनातन धर्म) छोड़कर सामाजिक समानता, श्रेष्ठ आचरण, वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित भारत की सरजमीं पर पल्लवित विश्व व्यापी बौद्ध धर्म स्वीकार किया था। और इसी दिन डॉ. आंबेडकर साहब को बौद्ध भिक्षु के तौर पर दीक्षा भी प्रदान की।
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