जयपुर। राजस्थान में बीकानेर जिले के खाजूवाला थाना इलाके में दलित युवती से गैंपरेप और हत्या के मामले में दागदार हुई खाकी एक बार फिर शर्मसार हुई है। इस बार राजस्थान के ही बारां जिले से पुलिस सिस्टम को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है।
बारां शहर के कोतवाली पुलिस थानांतर्गत एक पुलिस चौकी इंचार्ज हनीट्रैप गैंग का मास्टरमाइंड निकला है। गैंग में शामिल एक लड़की और कुछ लड़कों के साथ मिलकर आरोपी थानेदार लोगों को जाल में फंसा कर लम्बे समय से पैसे एंठने का काम कर रहा था। आरोपों की पुष्टि के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपी थानेदार रामदयाल मधुकर ने न्यायालय की शरण ली है। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार न्यायालय ने आरोपी थानेदार को जांच में सहयोग की हिदायत देते हुए गिरफ्तारी पर रोक की अर्जी पर आगामी सुनवाई की तारीख १७ अगस्त दी है। माना जा रहा है कि 17 अगस्त के बाद हनीट्रैप के आरोपी थानेदार की गिरफ्तारी हो सकती है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार राजस्थान के बारां शहर के कोतवाली थाने के अंतर्गत पुलिस चौकी में तैनात थानेदार रामदयाल मधुकर की मिलीभगत से कुछ बदमाशों ने एक गैंग बना रखी थी। नाबालिग लड़कों को फांसने के लिए गैंग में एक युवती को शामिल किया गया था। यह लड़की नाबालिग लड़कों को फोन करती, उन्हें मीठी बातों में उलझाती और मिलने के बहाने बुला कर डरा धमका कर वसूली करती। वसूली का पूरा खेल बारां की एक पुलिस चौकी में चलता था।
एक वर्ष पूर्व 6 जुलाई 2022 को अनजान लड़की ने नाबालिग लड़के को फोन किया। उसे अपनी बातों में फांस कर मिलने के लिए मंदिर के पास बुलाया। षड़यंत्र से अनजान किशोर बताए स्थान पर उससे मिलने पहुंचा। जहां लड़की और उसके दोस्त ने नाबालिग लड़के को पकड़ लिया, मोटरसाइकिल की चाबी छीन ली। कुछ देर में ही चौकी इंचार्ज रामदयाल मधुकर वहां पहुंचा और किशोर के साथ लड़की व उसके साथी को पुलिस चौकी ले गया।
चौकी में पहुंचते ही थानेदार ने सबसे पहले लड़के का मोबाइल फोन लेकर लड़की की तरफ से की गई कॉल को डिलीट कर दिया। इसके बाद उसके दादा को बुलाकर कहा कि यह लड़का दुष्कर्म के आरोप में जेल जाएगा। दस लाख रुपए में मामला रफादफा करवा दूंगा। दबाव बना कर किशोर के दादा से चौकी में ही 50 हजार रुपए ले लिए। शेष राशि डेढ़ लाख रुपए अगले दिन लाकर पोते को ले जाने की बात कही। इस दौरान गैंग के सदस्यों को भी बाहर भेज दिया।
हनीट्रैप का शिकार हुए नाबालिग लड़के का दादा अगले दिन कोटा एसीबी टीम के पास पहुंचा। जहां उसने सारी घटना विस्तार से बताई। इसके बाद एसीबी कोटा की टीम ने जाल बिछा कर वृद्ध द्वारा लगाए गए आरोपों का सत्यापन करवाया। सत्यापन के बाद एसीबी ने आरोपी थानेदार को एक लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।
इसके बाद वृद्ध ने गैंग का पर्दाफाश करने के लिए 9 जुलाई को बारां थाने में थानेदार रामदयाल मधुकर, लडकी सीमा मीणा व उसके दोस्त हेमराज सुमन और मेघराज वैष्णव के खिलाफ आईपीसी की धारा 379, 384, 388 व 120 बी में प्राथमिकी दर्ज करवा दी। जांच एसआई मानसिंह को दी गई।
मामला दर्ज करने के बाद एक साल जांच तक चली जांच में पता चला कि यह गैंग पहले भी ऐसे कई कारनामे कर चुकी है। हनीट्रेप का शिकार लोगों से पैसों का लेन-देन थानेदार के मार्फत होता था। इस मामले में पुलिस गैंग में शामिल लडक़ी सीमा मीणा, हेमराज, सुमन और मेघराज वैष्णव को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है, थानेदार मधुकर पर आरोप प्रमाणित होने पर उसे भी गिरफ्तार करने का प्रयास किया गया, लेकिन पुलिस गिरफ्त में आने से ही पहले आरोपी थानेदार हाईकोर्ट पहुंच गया। न्यायालय में अर्जी दाखिल कर बताया कि इसी मामले में एसीबी पूर्व में पकड़ चुकी है तो थाने में दर्ज केस में गिरफ्तारी नहीं की जाए। इस पर हाईकोर्ट ने 24 अप्रैल को गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए रिकॉर्ड मंगवाया है, अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी। पुलिस अपनी जांच रिपोर्ट पेश कर यह रोक हटवाने का प्रयास कर रही है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार आरोपी हेमराज के खिलाफ अलग-अलग थानों में 27 केस दर्ज हैं, जिनमें ऐक्सटॉर्शन के मामले भी हैं। मेघराज के खिलाफ भी एनडीपीएस, आर्म्स एक्ट व दुष्कर्म की धाराओं के 10 मुकदमे हैं। सीमा को हेमराज ने अपनी गैंग में शामिल किया।
पुलिस जांच में सामने आया है कि थानेदार मधुकर इस गैंग के पहले से संपर्क में था। लड़की से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई थी और न ही लड़की को कहीं ले जाकर दुष्कर्म किया गया था। यह पूरा आपराधिक षड्यंत्र था, जिसमें थानेदार की पूरी मिलीभगत थी। पुलिस ने लड़की समेत 3 जनों को गिरफ्तार कर लिया।
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