कांग्रेस-भाजपा के संकल्प पत्रों में पत्रकारों की प्रमुख मांग 'पत्रकार सुरक्षा कानून' नदारद

आईएफडब्ल्यूजे पत्रकार संगठन ने जताया रोष, पत्रकारों को पहले कांग्रेस और अब भाजपा ने किया निराश
जयपुर में पत्रकार सुरक्षा कानून के लिए पैदल मार्च करते जर्नलिस्ट
जयपुर में पत्रकार सुरक्षा कानून के लिए पैदल मार्च करते जर्नलिस्ट( फाइल फोटो )
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जोधपुर/जयपुर- राजस्थान चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से गुरुवार को जारी हुए राजस्थान संकल्प पत्र में पत्रकारों को सुरक्षा देने के लिए कानून बनाए जाने का कोई जिक्र नहीं है।

पत्रकार सुरक्षा कानून बनाए जाने की लगातार मांग कर रहे आई एफ डब्ल्यू जे संगठन (इंडियन फेडरेशन वर्किंग जर्नलिस्ट्स ) ने इस पर अपना गहरा रोष व्यक्त किया है।

संगठन के जोधपुर जिला इकाई अध्यक्ष सुभाष सिंह चौहान ने बताया कि राजस्थान स्तर पर इसी कांग्रेस सरकार में सैकड़ों बार ज्ञापन/ पत्र , मेल , टि्वट कर उसके पश्चात भी सकारात्मक रुख दिखाई नहीं देने पर आई एफ डब्ल्यू जे के आव्हान पर सैकड़ों पत्रकारों ने दो बार जयपुर विधानसभा का घेराव एवं रैली निकालकर कानून बनाए जाने की मांग की।

परन्तु मात्र आश्वासन के पत्रकारों की सुरक्षा पर उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।

वहीं राजस्थान चुनाव 2023 में कांग्रेस एवं भाजपा को संगठन की ओर से संकल्प पत्र जारी करने पर आईएफडब्ल्यूजे ने उन्हें अपना मांग पत्र सौंप कर पत्रकार सुरक्षा कानून बनवाए जाने का घोषणा बिंदु जारी करने की मांग की थी।

पत्रकार कब तक यूं ही अपमानित होते रहेंगे और पिटते और मरते रहेंगे ?

विगत साढ़े छह वर्षों में राजस्थान प्रदेश के पत्रकारों पर हमलों की सैकड़ों घटनाएं घटित हो चुकी हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के घोषणा पत्र में राजस्थान के पत्रकारों के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने का विषय प्रमुखता से सम्मिलित किया गया था।

परन्तु 5 वर्षों तक अशोक गहलोत सरकार ने इस ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया।

इन पांच वर्षों में पुलिस के साथ मिलकर पत्रकारों पर बजरी , शराब , खनन ,भू माफियाओं और सरकारी कार्यों में ठेकेदारों द्वारा घटिया सामग्री की खबरें उजागर होने पर उनके गुंडों द्वारा पत्रकारों पर एससी-एसटी और अन्य झूठे मुकदमे , धमकियां , हमलों की अनगिनत वारदातें हुई।जिससे जान जोखिम में डालकर फील्ड में कार्य करने वाले पत्रकार अपमानित किए गए , मार-पीट के शिकार हुए , थाने कोर्ट कचहरी के चक्कर काटते दिखाई दिए और कईयों की तो गंभीर चोटों के कारण जान तक जाते जाते बची. पत्रकारों का कहना है ऐसे में भाजपा के घोषणा पत्र में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने का जिक्र न होना अब प्रदेश के पत्रकारों में असुरक्षा की भावना को और भी अधिक बढ़ाएगा।

क्या इस असुरक्षित वातावरण में पत्रकार लोकतंत्र की रक्षा में निष्पक्ष होकर लिख और बोल सकेंगे...?

जयपुर में पत्रकार सुरक्षा कानून के लिए पैदल मार्च करते जर्नलिस्ट
राजस्थानः सैकड़ों पत्रकारों ने सड़क पर उतर क्यों की सुरक्षा कानून की मांग?

आईएफडब्ल्यूजे पत्रकार संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेशाध्यक्ष उपेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि देश में महाराष्ट्र के बाद पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने वाला छत्तीसगढ़ दूसरा राज्य बन गया है। हम भी लगातार प्रयासरत है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश में जहां भी जा रहे है वहां-वहां संगठन से जुड़े साथी उन्हें सुरक्षा कानून को लेकर ज्ञापन सौंप रहे है।

आई एफ डब्ल्यू जे संगठन द्वारा पत्रकार सुरक्षा कानून को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखे गए पत्रों के प्रतिउत्तर में प्राप्त पत्रों में पत्रकारों की सुरक्षा को महत्वपूर्ण मानते हुए इसे राज्य सरकार का दायित्व बताया गया था।

जबकि उनके दल के नेता पत्रकारों को आंदोलित देखकर अक्सर कहा करते थे कि भाजपा के सत्ता में आने पर वह पत्रकार सुरक्षा कानून अवश्य लागू कराएंगे , अब खुद उनके ही दल के घोषणापत्र में पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग गायब हैं

क्या वह इस पर पुनर्विचार के लिए अपने वरिष्ठ नेताओं को लिखेंगे , क्या उनके लिए पत्रकारों के सम्मान और सुरक्षा से जुड़ा यह विषय महत्वपूर्ण है ? या हमेशा कि तरह पत्रकारों को अपनी चिकनी-चुपडी बातों से बरगलाते रहेंगे...?

पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग पर सभी पत्रकार हों एकजुट

आई एफ डब्ल्यू जे संगठन ने राज्य के प्रत्येक पत्रकार से आव्हान किया हैं कि वह अपने विधानसभा उम्मीदवारों से यह प्रश्न अवश्य पूछें कि पत्रकारों की सुरक्षा और सम्मान से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण विषय ' पत्रकार सुरक्षा कानून ' पर उनका क्या मत है। और क्या जब वह जीतकर जाएंगे, तब विधानसभा में इस बात को उठाएंगे ... ?

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