जयपुर। राजस्थान सचिवालय के निकट सरकार के योजना भवन के बेसमेंट में मिले करोड़ों रुपये और सोने की ईंट सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त निदेशक के हैं। विभाग के संयुक्त निदेशक वेद प्रकाश यादव ने यह रकम व सोना विभिन्न कामों के बदले अलग-अलग लोगों से रिश्वत के रूप में लिया है।
विभाग की अलमारी में मिली करोड़ों रुपये नकदी और सोने के मालिक का खुलासा होने के बाद अब पूरा प्रकरण एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) को हस्तांतरित कर दिया गया है। एसीबी ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त निदेशक वेद प्रकाश यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की है।
यह रिश्वत किस-किस से किस-किस काम के बदले ली गई है। एसीबी इसकी जांच करेगी। ऐसे में यह साफ है कि जिस किसी ने भी वेदप्रकाश को रिश्वत दी, उस पर भी कार्रवाई होगी।
जयपुर सूचना प्रौद्योगिक विभाग (डीओआईटी) में फाइलों के ऑनलाइन अपडेशन कार्य के दौरान योजना भवन के बेसमेंट में रखी अलमारी में 2 करोड़ 31 लाख 49 हजार पांच रुपये नकद और एक किलो सोने की ईंट मिली थी। इतनी बड़ी रकम और एक किलो सोना मिलने के बाद राज्य का उच्च लेवल का सरकारी सिस्टम भी सकते में था।
आनन-फानन में उसी रात 11 बजे मुख्य सचिव उषा शर्मा को पुलिस महानिरीक्षक उमेश मिश्रा, एडीजी पुलिस दिनेश एमएन और पुलिस कमिश्नर जयपुर आनंद श्रीवास्तव के साथ पत्रकारों को बुलाकर सचिवालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की जानकारी देनी पड़ी थी।
दो करोड़ से अधिक नकदी और एक किलो सोने की सिल्ली मिलने के साथ ही पुलिस ने पूछताछ के लिए विभाग के निचले स्तर के कर्मिकों से लेकर उच्च स्तर के अधिकारियों तक को हिरासत में लिया था। ऐसे लगभग 50 अधिकारी, कर्मचारियों को मौके पर ही रोक कर गहनता से पूछताछ की गई थी।
पुलिस के अनुसार नकदी व सोने की पूछताछ के लिए जिन 50 लोगों को रोका गया था। उनमें वेद प्रकाश यादव भी शामिल था। पूछताछ के दौरान आरोपी शांति के साथ अनभिज्ञता जाहिर कर पुलिस को गुमराह करता रहा।
घण्टों पूछताछ के बाद भी जब किसी ने भी इतनी बड़ी रकम व सोना अलमारी में रखने की जिम्मेदारी नहीं ली तो, पुलिस योजना भवन में लगे सीसीटीवी फुटेज खंगालना शुरू किया। सौ से अधिक फुटेज को पुलिस ने कई बार रिपीट कर देखा। सीसीटीवी फुटेज की गहन पड़ताल के बाद नजर आया कि आरोपी वेद प्रकाश यादव बेसमेंट में रखी अलमारी खोल कर पैसे निकलता नजर आया। फुटेज दिखाने के बाद संयुक्त निदेशक ने अलमारी में मिली रकम व सोना खुद का होने की बात स्वीकार की।
पुलिस ने खुलासा किया कि रिश्वत की राशि और सोना सरकारी कार्यालय की अलमारी में रखने का आरोपी वेद प्रकाश यादव सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग में सूचना सहायक के पद पर भर्ती हुए थे। वह एक के बाद एक पदोन्नति पाकर विभाग में संयुक्त निदेशक के पद पर पहुंच गया। खास बात यह है कि आरोपी के पास शुरू से ही स्टोर का चार्ज भी रहा है।
पुलिस के अनुसार आरोपी वेद प्रकाश यादव ने पूछताछ में बताया कि यह पैसे उसने अलग-अलग लोगों से रिश्वत के रूप में इकट्ठे किए थे। एसीबी व अन्य एजेंसियों की रेड से बचने के लिए रिश्वत की राशि को घर की बजाय कार्यालय के स्टोर की अलमारी में रखता था ताकि किसी को शक नहीं हो सके। आरोपी ने रिश्वत की राशि से यह सोना नोटबंदी के समय अम्बाबाड़ी से खरीदा था। वह यहां रिश्वत की रकम लम्बे समय से रख रहा था। जरूरत पड़ने पर वह यहां से राशि निकाल कर ले भी जाता था। सरकारी कार्यालय में रखी रिश्वत की राशि को अवकाश के दिन भी संभालने आता था। हालांकि विभाग की ऑनलाइन फाइल अपडेशन के कारण उसका राज खुल गया।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त निदेशक और स्टोर इंचार्ज वेदप्रकाश यादव के दो करोड़ रुपये व सोना स्वयं का होने की बात स्वीकारते ही पुलिस ने आरोपी के झोटवाड़ा स्थित आवास निगरानी में लेकर तलाशी शुरू कर दी है।
शुक्रवार दोपहर में अलमारी की तलाशी के दौरान दो बैग रखे मिले। जिन्हें खोलने पर 2.31 करोड़ रुपए और 1 किलो सोना मिला था। इतनी बड़ी रकम देख सकते में आए विभाग के अधिकारियों ने उच्चाधिकारियों के माध्यम से पुलिस व मुख्य सचिव को सूचना दी थी।
सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग में मोटी रकम मिलने की सूचना पर मुख्य सचिव ने पुलिस के आला अधिकारियों के साथ शुक्रवार को रात 11बजे सचिवालय में मीडिया को इसकी जानकारी दी थी। नकदी मिलने के बाद पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव ने अतिरिक्त कमिश्नर कैलाश बिश्नोई व एडिशनल डीसीपी रामसिंह शेखावत के नेतृत्व में टीम गठित की थी। टीम की पूछताछ व सीसीटीवी फुटेज से रिश्वत की राशि का राज खुल गया।
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