जयपुर। दलित महिला शिक्षक हेमलता बैरवा निलंबन प्रकरण में शिक्षा विभाग सक्षम न्यायालय द्वारा जारी शो कॉज नोटिस (कारण बताओ नोटिस) का जवाब देने से बच रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी बारां ने दावा किया है कि उन्हें ऐसा कोई भी नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है। इधर, न्यायालय ने पांच दिन पहले ही नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
महिला शिक्षक ने नियम विरुद्ध निलंबन व जिला मुख्यालय से 600 किलोमीटर दूर शिक्षा निदेशक बीकानेर कार्यालय में पदस्थापन के आदेश को न्यायालय में चुनौती दी है।
द मूकनायक ने प्रारंभिक जिला शिक्षा अधिकारी बारां पीयूष शर्मा से न्यायालय द्वारा जारी शोकॉज नोटिस के संबंध में बात की। उन्होंने कहा-"महिला शिक्षक हेमलता बैरवा मामले में मुझे किसी भी तरह का नोटिस नहीं मिला है।"
गणतंत्र दिवस पर राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लकाड़ाई जिला बारां में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सरस्वती की पूजा से इनकार कर शिक्षा की देवी सावित्रीबाई फुले बताने पर जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक बारां ने हेमलता बैरवा के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई का हवाला देते हुए निलंबित किया था। निलंबन काल में मुख्यालय शिक्षा निदेशक कार्यालय बीकानेर किया था।
प्रारंभिक जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश से पहले राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का भी एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिसमें उन्होंने कथित तौर पर हेमलता को सभा स्थल से निलंबित करने का मौखिक आदेश जारी किया था। इसके बाद शिक्षा अधिकारी ने निलंबन का आदेश जारी किया। इसे लेकर शिक्षक संगठनों ने भी कड़ा ऐतराज जताया था।
प्रारंभिक जिला शिक्षा अधिकारी बारां के इस आदेश को नियम विरुद्ध बताते हुए अधिवक्ता बाबू लाल बैरवा ने हेमलता की ओर से न्यायालय प्रशासनिक अधिकरण (सेवा मामले अपीलीय अधिकरण) के समक्ष अपील दायर की।
अधिवक्ता का कहना है कि हेमलता प्रबोधक हैं। तृतीय श्रेणी शिक्षक के समान है। नियमानुसार तृतीय श्रेणी शिक्षक को जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक अपने कार्यक्षेत्र से बाहर पदस्थापित नहीं कर सकते। जबकि जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक बारां ने हेमलता बैरवा को गृह जिले से 600 किलोमीटर दूर शिक्षा निदेशक कार्यालय बीकानेर पदस्थापित किया है।
हेमलता बैरवा की अपील पर सुनवाई करते हुए सक्षम न्यायालय ने प्रारंभिक शिक्षा आयुक्त जयपुर, शिक्षा निदेशक बीकानेर तथा जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक के नाम शोकॉज नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अधिवक्ता बाबू लाल बैरवा ने कहा कि नोटिस पहुंचने में देरी को लेकर पता करेंगे। कहां चूक हुई है या फिर अधिकारी गुमराह कर रहे हैं।
आपको बता दें कि गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को राजस्थान के बारां जिले के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लकड़ाई के कार्यरत दलित महिला शिक्षक (प्रबोधक) गणतंत्र दिवस समारोह का संचालन कर रही थीं। इस दौरान मंच पर महात्मा गांधी के साथ बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर व समाजसेवी सावित्रीबाई फुले के चित्र भी लगाए गए थे। कार्यक्रम के दौरान गांव के कुछ मनबढ़ लोग स्कूल परिसर में घुसे व कार्यक्रम को रोक कर मंच पर सरस्वती देवी का चित्र लगाने पर जोर देने लगे। इस पर दलित शिक्षक व ग्रामीणों के बीच विवाद बढ़ गया।
इनके बीच कहासुनी का एक वीडियो भी वायरल हुआ। वायरल वीडियो में जहां ग्रामीण सरस्वती की पूजा की बात कर रहे हैं। वहीं दलित महिला शिक्षक संविधान का हवाला देकर पूजा से इनकार करती दिखाई दे रही है। बहस के दौरान दलित महिला शिक्षक बच्चों की देवी सावित्रीबाई फुले को बताती है, जबकि ग्रामीण शिक्षा की देवी सरस्वती को बताते हैं।
विवाद बढ़ा तो पुलिस ने मौके पर पहुंच कर मामला शांत कराया था। घटना के अगले दिन दलित महिला शिक्षक ने अपने ही स्कूल के दो शिक्षकों सहित कुछ ग्रामीणों को नामजद करते हुए संबंधित पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। वहीं ग्रामीणों ने महिला शिक्षक पर धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। दोनों मामलों की जांच अभी तक पुलिस के पास लंबित है।
इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद दलित सामाजिक संगठनों सहित शिक्षक संगठनों ने भी हेमलता के खिलाफ हुई एक तरफा कार्रवाई का विरोध किया था। राज्य भर में प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री व राज्यपाल के नाम निलंबन निरस्त करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपे गए, लेकिन दलित महिला शिक्षक पर की गई कार्रवाई को वापस नहीं लिया गया। इसके बाद हेमलता बैरवा ने न्यायिक लड़ाई का निर्णय लिया।
इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद दलित सामाजिक संगठनों सहित शिक्षक संगठनों ने भी हेमलता के खिलाफ हुई एक तरफा कार्रवाई का विरोध किया था। राज्य भर में प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री व राज्यपाल के नाम निलंबन निरस्त करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपे गए, लेकिन दलित महिला शिक्षक पर की गई कार्रवाई को वापस नहीं लिया गया। इसके बाद हेमलता बैरवा ने न्यायिक लड़ाई का निर्णय लिया।
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