जोधपुर- भारत के संविधान की प्रस्तावना में "हम भारत के लोग" शब्द का प्रयोग देश की आम जनता को संबोधित करते हुए संवैधानिक अधिकार प्रदान करता है। देश की संसद द्वारा बनाया गया कानून यदि संविधान के मूल्यों के खिलाफ है, तो न्यायपालिका द्वारा न्यायिक पुनरावलोकन किया जाता है। यह बात मुख्य-अतिथि एवं ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के अखिल भारतीय महासचिव एवं उच्चतम न्यायालय के सीनियर एडवोकेट पी.वी. सुरेंद्रनाथ ने ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन (एआईएलयू) जोधपुर के बैनर तले राजस्थान हाईकोर्ट हैरिटेज जोधपुर परिसर में "न्याय की बुनियादी अवधारणाऐं और हमारा संविधान" विषय पर आयोजित कार्यशाला में कही।
उन्होंने कहा कि इसे और मजबूत किए जाने की आवश्यकता है। संविधान द्वारा स्थापित न्याय के प्रावधानों के लिए न्यायपालिका को हमेशा हस्तक्षेप से मुक्त रह निष्पक्ष रहने की महत्ती आवश्यकता है।
ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन (एआईएलयू) जोधपुर के अभिभाषक संघों के चुने हुए पदाधिकारियों के अभिनंदन समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने कहा कि दुनिया का महानतम लोकतंत्र एक सुदृढ संविधान की बुनियाद पर खड़ा है। इसलिए तमाम विभिन्नताओं के बाबजूद हम अटूट रह कर प्रगति के पथ पर चलते रहे। भारतीय संविधान के "प्राण" उनकी प्रस्तावना पर नजर डालने पर संविधान निर्माताओं की दूरदृष्टि का अंदाजा लगाया जा सकता है।
उन्होंने संविधान की रक्षा के लिए भारतीय न्यायपालिका के योगदान को विस्तार से रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हमारी न्यायपालिका हमेशा निष्पक्ष और निडर होकर खड़ी रही। जिससे जनता की आवाम को यह भरोसा हो गया कि उनके साथ कभी भी अन्याय नहीं होगा। ऐसी परिस्थिति कभी पैदा न होने दी, जो संविधान और लोकतंत्र के लिए घातक हो। इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने पाकिस्तान और भारत की तुलना करते हुए आगे कहा कि दो देशों का जन्म एक साथ हुआ था, लेकिन भारतीय की ताकत से हम सफल लोकतंत्र बन कर आगे बढ़े। जबकि पाकिस्तान हर दृष्टि से पिछड़ गया।
संविधान में संशोधन की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इससे हम निरन्तरता से आगे बढे हैं। 1976 में 42वें संविधान संशोधन के माध्यम से समाजवाद एवं पंथनिरपेक्ष शब्द को जोड़ा गया। जिससे हम देश की जनता का भरोसा जीत पाए।
उन्होंने कहा कि अधिवक्ता समुदाय न्यायपालिका का ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। अधिवक्ताओं को भारत के संवैधानिक मूल्यों को आम जनता तक ले जाने के लिए प्रयास तेज करने की आवश्यकता है। ताकि भारतीय संविधान और लोकतंत्र को मजबूत किया जा सके।
विशिष्ट अतिथि एवं ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के अखिल भारतीय कोषाध्यक्ष एडवोकेट अनिल कुमार चौहान ने कहा कि देश की न्यायपालिका के समक्ष लंबित मुकदमों की संख्या एक बड़ी चुनौती के रूप में है। अधिवक्ताओं को विधि व्यवसाय के साथ-साथ सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों पर भी संवेदनशील होने की आवश्यकता है। अधिवक्ता ही आम जनता के बीच संविधान एवं न्याय के प्रति विश्वास बनाए रखता है।
कार्यशाला को राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट रतनाराम ठोलिया एवं राजस्थान हाई कोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सीनियर एडवोकेट आनंद पुरोहित ने संबोधित करते हुए आह्वान किया कि एकताबद्ध होकर न्याय व्यवस्था की बेहतरी के लिए काम करना है।
एआईएलयू के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट रामावतार सिंह चौधरी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में इस बात की जरूरत बताई कि अधिवक्ताओं के पठन-पाठन के लिए अच्छा माहौल बने इसके लिए दोनों एसोसिएशन से लगातार प्रयास करने की अपील की।
अभिनंदन समारोह के दौरान राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन जोधपुर के अध्यक्ष एडवोकेट रतनाराम ठोलिया, महासचिव एडवोकेट शिवलाल बरवड़, पुस्तकालय सचिव कांता राजपुरोहित एवं राजस्थान हाईकोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन जोधपुर के अध्यक्ष सीनियर एडवोकेट आनंद पुरोहित, महासचिव मनीष टाक, सह सचिव ऋषि सोनी, कोषाध्यक्ष शुभम मोदी को स्मृति-चिन्ह के रूप में भारत के संविधान की प्रस्तावना भेंट की गई एवं सेमीनार के अतिथियों को भी स्मृति-चिह्न के रूप में भारतीय संविधान की प्रस्तावना भेंट कर उनका आभार व्यक्त किया।
आयोजन के उत्तरार्द्ध में सीनियर एडवोकेट आनंद पुरोहित द्वारा भारत के संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठन करवाया गया। इस दौरान एडवोकेट किशन मेघवाल, एआईएलयू जिला अध्यक्ष एडवोकेट पी.आर. मेघवाल, एडवोकेट मोहम्मद अली राव, एडवोकेट कमलेश राठौड़, एडवोकेट उमर खान, एडवोकेट दर्शन चौधरी, एडवोकेट सज्जन सिंह करनावत, एडवोकेट जय शंकर मेहरा, एडवोकेट राकेश कल्ला, एडवोकेट विजय शर्मा, एडवोकेट सायना बानो, एडवोकेट तरूणा राठौड़, एडवोकेट शैलेंद्र शर्वा, एडवोकेट असलम खान, एडवोकेट राकेश ढाक़ा, एडवोकेट जय किशन सुथार, एडवोकेट सुरेश नेहरा, एडवोकेट अनिल बिदान हालू, एडवोकेट विकास चौधरी, एडवोकेट हितेश कुमार बिरठ, एडवोकेट किशन मेघवाल, गणपत इंदलिया, एडवोकेट माया गहलोत, एडवोकेट राम सिंह, एडवोकेट मोहन जाखड़ , एडवोकेट महबूब खान, एडवोकेट बजरंग सिंह शेखावत, एडवोकेट के.के. सिंह, एडवोकेट विजय सांगेला, एडवोकेट राकेश कुमार, एडवोकेट अखिल कुमार गुप्ता सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे।
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