उदयपुर. आदिवासी बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए संभागीय आयुक्त राजेंद्र भट्ट की पहल पर नवाचार किया जा रहा है। इसके तहत बच्चों को भामाशाहों के सहयोग से सुपर फुड सहजन के गुणों से युक्त आयुर्वेदिक हैल्थ ड्रिंक मोरविटा उपलब्ध कराया जाएगा।
संभागीय आयुक्त भट्ट और जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने शहर से सटे नाई गांव में मेवाड़ पॉलीटेक्स परिसर में इस नवाचार का शुभारंभ किया।
संभागीय आयुक्त भट्ट ने कहा कि आदिवासी अंचल में कुपोषण एक बड़ी समस्या है। बच्चों को पौष्टिक आहार की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नवाचार किया जा रहा है। इसमें भामाशाहों को आगे आकर सहयोग करना चाहिए। कलक्टर मीणा ने जिले में कुपोषण को दूर करने के लिए किए जा रहे प्रयासों और टीएडी के माध्यम से मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए चलाए जा रहे श्री अन्न पोषण अभियान के बारे में भी बताया। उन्होंने इस नवाचार को क्षेत्र के लिए वरदान बताया।
भट्ट ने बताया कि मध्यप्रदेश के कई जिलों के कलक्टर और उनके बैचमेट ने सहजन के हैल्थ ड्रिंक के कुपोषित बच्चों पर आए चमत्कारिक परिणामों के बारे में जानकारी दी थी। इसके बाद उन्होंने इस संबंध में मध्यप्रदेश के कई जिलों से इस संबंध में तथ्यात्मक जानकारी मंगवाकर इस हैल्थ ड्रिंक को यहां मंगवाया है। अब जिले के चयनित 800 बच्चों को यह हैल्थ ड्रिंक निःशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा और एक माह बाद इसके परिणामों की समीक्षा करते हुए इस अभियान को भविष्य के लिए भी चलाया जाएगा।
इस मौके पर मेवाड़ पॉलीटेक्स के जनरल मैनेजर पंकज जोशी ने बताया कि कोरोना काल में कंपनी ने मास्क का निर्माण कर तकरीबन 7 लाख मास्क तथा पीपीई किट निःशुल्क उपलब्ध कराए थे। गांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को गोद लेकर वहां ऑपरेशन थियेटर, न्यू बोर्न आईसीयू की भी व्यवस्था की है। वहीं जिले के 100 विद्यालयों में वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्टर का निर्माण कराकर वर्षा जल संचय की दिशा में भी काम किया है। जोशी ने बताया कि संभागीय आयुक्त की पहल पर आदिवासी बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लिए पांच लाख रूपए की लागत से मोरविटा हैल्थ ड्रिंक की खरीद कर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिनका वितरण शिक्षा विभाग के माध्यम से होगा।
कुपोषण राजस्थान ही नहीं पूरे देश के लिए गंभीर समस्या है। इस मामले में राजस्थान असम और बिहार के बाद तीसरे नंबर पर है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के अनुसार प्रदेश में 38.4% बच्चों का वजन औसत से कम, 23.4 फीसदी बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर, 8.7% बच्चे अति कमजोर और 40.8 फीसदी बच्चे अविकसित हैं। 2011 जनगणना के अनुसार प्रदेश में एक करोड़ से ज्यादा बच्चे 0-6 साल की उम्र के हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के नतीजों में बाल पोषण संकेतक सभी राज्यों में मिश्रित पैटर्न दिखाते हैं। कई राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की स्थिति में सुधार हुआ है, जबकि कई में मामूली गिरावट आई है। कुपोषण की स्थिति गंभीर बनी हुई है। 18 में से 11 राज्यों में स्टंटिंग में वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि 14 राज्यों में वेस्टिंग में वृद्धि देखी गई है।
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