छेड़छाड़ का विरोध करने पर दलित महिलाओं की पिटाई, कपड़े फाड़े; हफ्ते भर बाद भी गिरफ्तारी नहीं

पीड़ित पक्ष का कहना है पुलिस को छेड़छाड़ वाली बात बताई गई थी लेकिन इसे एफआईआर में नहीं शामिल किया गया.
छेड़छाड़ का विरोध करने पर दलित महिलाओं की पिटाई, कपड़े फाड़े; हफ्ते भर बाद भी गिरफ्तारी नहीं
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जयपुर - जयपुर के फुलेरा थाना क्षेत्र में छेड़छाड़ का विरोध करने पर एक दलित परिवार की महिलाओं के साथ घर में घुसकर मारपीट और जातिगत हिंसा का मामला सामने आया है . मामले में एक सप्ताह से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी पुलिस किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है जिससे समुदाय के लोगों में रोष है। घटना 26 अक्टूबर को ग्राम ढिंढा में हुई थी, जिसमें एक गुर्जर परिवार के कुछ लोगों ने कथित तौर पर बैरवा समुदाय की महिलाओं पर हमला किया था।

शिकायतकर्ता नोरतमल बैरवा (28) द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के अनुसार, 26 अक्टूबर को जब वह जयपुर गए हुए थे, शाम करीब 5 बजे उनके घर पर उनकी पत्नी , भाभी, नाबालिग साली और मां मौजूद थीं। इसी दौरान पड़ोसी मोहन लाल गुर्जर उर्फ मोनू, राम गुर्जर, उनकी मां कमला देवी, पत्नी सुमित्रा देवी, पिंकी और अन्य लोग लाठियां और हथियार लेकर घर में घुस आए।

एफआईआर के अनुसार, आरोपियों ने महिलाओं को घेर लिया और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया , महिलाओं के कपड़े फाड़कर उन्हें अर्धनग्न कर दिया. शिकायत में बताया गया कि नाबालिग को इतना मारा कि वह बेहोश हो गईं जबकि एक महिला का मंगलसूत्र तोड़ दिया और घर से 5,000 रुपये भी छीन लिए. पीड़ित महिलाओं के सिर, चेहरे, गले और शरीर के अन्य हिस्सों पर गंभीर चोटें आईं. आरोपियों ने उन्हें जबरन खींचकर ले जाने का प्रयास भी किया

अगले दिन 27 अक्टूबर को राम गुर्जर और श्योजी राम गुर्जर पीड़ित परिवार के ननिहाल पहुंचे और धमकी दी कि अगर कानूनी कार्रवाई की तो "जान से मरवा देंगे"। आरोपियों ने कहा कि "ढ़ड चमार बैरवों का यही हाल करेंगे" और महिलाओं को भी नहीं छोड़ेंगे।

दलित समुदाय के लोगों ने पुलिस की कार्यवाही पर गंभीर सवाल उठाए हैं। स्थानीय दलित अधिकार कार्यकर्ता जितेन्द्र बैरवा ने द मूकनायक को बताया कि दरअसल मामला छेड़छाड़ पर विरोध करने से उठा है. महिलाएं अपने घर के पास मंदिर से दर्शन करके लौट रही थी जब रास्ते में उनपर आरोपी पक्ष के पुरुषों ने कुछ अभद्र टिप्पणियाँ की और फब्तियां कसी . उनकी साली साहसी थी और इसलिए उसने कमेंट्स को अनसुना नहीं करके पलट कर करारा जवाब दिया जिससे मनबढ़ लोगों को गुस्सा आगया.

जितेन्द्र ने कहा " दलित वर्ग की लड़की से ऐसी बातें सुनकर वे नाराज हो गए जिससे बात मार पीट तक पहुंच गई.मामले को एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस जानबूझकर कार्रवाई में देरी कर रही है। जितेन्द्र बैरवा ने बताया कि आरोपी पक्ष अब गांव में पंच पटेलों को एकट्ठा करके पंचायत कर रहे हैं , नोरतमल बैरवा व उनके परिवार पर एफआईआर वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है.

नोरत बैरवा ने द मूकनायक को बताया कि आरोपी पक्ष उनका पड़ोसी है लेकिन इससे पहले दोनों परिवारों में किसी बात को लेकर कोई विवाद या झगड़ा नहीं है. सिर्फ उनकी साली द्वारा छेड़छाड़ का विरोध करने पर ये मारपीट और जातिगत हिंसा की गई. नौरत ने यह भी बताया कि पुलिस को छेड़छाड़ वाली बात बताई गई थी लेकिन इसे एफआईआर में नहीं शामिल किया गया.

उन्होने बताया कि पीड़ित परिवार अभी भी दहशत में है। दोनों महिलाएं डर के मारे पीहर चली गयीं हैं . नाबालिग को एसएमएस अस्पताल में इलाज के बाद घर लाया गया है लेकिन अंदरूनी चोटों की वजह से उसकी हालत ठीक नहीं है ।

पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 189(2), 115(2), 126(2), 74, 333, 352, 351(2), 303(2) के साथ-साथ एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(एस), 3(1)(डब्ल्यू)(1) और 3(2)(वीए) के तहत मामला दर्ज किया है। मामले की जांच सांभर वृताधिकारी अनुपम मिश्रा कर रहे हैं. मामले में पुलिस का पक्ष जानने के लिए जब जांच अधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होने व्यस्त होने के कारण बाद में बात करने की कही.

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