राजस्थान: बारां में सरकारी स्कूल में सरस्वती देवी की पूजा से जुड़ा विवाद, 11 दिन बाद भी जांच अधूरी?

इस मामले के जांच के लिए विभागीय समिति के गठन को लेकर अधिकारियों के बयानों में भिन्नता जांच की निष्पक्षता पर सवाल पैदा करती है।
गणतंत्र दिवस पर महिला शिक्षक और ग्रामीणों के बीच विवाद की तस्वीर।
गणतंत्र दिवस पर महिला शिक्षक और ग्रामीणों के बीच विवाद की तस्वीर।
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जयपुर। राजस्थान के बारां जिले के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लकड़ाई में गणतंत्र दिवस पर आयोजित समारोह में सरस्वती देवी की पूजा को लेकर महिला शिक्षक और ग्रामीणों के बीच विवाद के बाद पुलिस थाने में परस्पर दर्ज प्रकरण में घटना के 11 दिन बाद भी पुलिस किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है।

उधर, इस मामले में शिक्षा विभाग द्वारा गठित जांच कमेटी ने भी अभी तक उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट नहीं सौंपी है। जांच में देरी को लेकर सामाजिक संगठनों में नाराजगी देखी जा रही है। विवाद के बाद विभाग द्वारा छुट्टी पर भेजे गए शिक्षक भूपेन्द्र सैन, हंसराज सैन व महिला शिक्षक हेमलता बैरवा तीन दिन बाद एक साथ फिर से उसी स्कूल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। विद्यालय में नियमित कक्षाओं का संचालन हो रहा है।

वहीं इस मामले के जांच के लिए विभागीय समिति के गठन को लेकर अधिकारियों के बयानों में भिन्नता जांच की निष्पक्षता पर सवाल पैदा करती है।

क्या था विवाद?

गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को बारां जिले के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लकड़ाई परिसर में आयोजित समारोह में बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व समाज सेवी सावित्री बाई फुले के साथ सरस्वती देवी की तस्वीर को लेकर पहले विद्यालय स्टाफ व बाद में महिला शिक्षक और ग्रामीणों के बीच विवाद हुआ था। इस दौरान समारोह के बीच कुछ ग्रामीणों ने सरस्वती देवी की तस्वीर लगाकर पूजा करने का दबाव बनाया था।

इस पर महिला शिक्षक हेमलता बैरवा ने यह पूछते हुए कि सरस्वती का शिक्षा में क्या योगदान है, सरकारी विद्यालय में सरस्वती देवी की तस्वीर लगाने और पूजा करने से मना कर दिया था। इस बात को लेकर महिला शिक्षक व ग्रामीणों के बीच तीखी बहस हुई। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

उधर मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षकों की सूचना पर नाहरगढ़ थाना पुलिस भी मौके पर पहुंची। जहां समझौते के बाद समारोह के मंच पर अन्य महापुरुषों के साथ सरस्वती देवी की तस्वीर लगाकर कार्यक्रम शुरू करवाया गया। विवाद के दौरान दो शिक्षकों पर कार्यक्रम छोड़ कर जाने के आरोप भी लगे हैं।

पुलिस ने नहीं लगाई जरूरी धाराएं

घटना के अगले दिन 27 जनवरी को महिला शिक्षक हेमलता बैरवा ने विद्यालय के शिक्षक भूपेन्द्र सैन व हंसराज सैन सहित ग्रामीण हंसराज नागर, राधेश्याम नागर व किशन नागर को नामजद करते हुए अन्य के खिलाफ नाहरगढ़ पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पुलिस को सौंपी तहरीर में महिला शिक्षक ने गणतंत्र दिवस समारोह में व्यवधान डालकर सरस्वती देवी की पूजा के लिए दबाव डालने तथा मना करने पर जाति सूचक शब्दों का उपयोग करने और धमकी देने का आरोप लगाया था। इस पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 506, 504 व अनुसूचित जाति, जनजाति अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर जांच पुलिस उपाधीक्षक शाहबाद हेमंत गौतम को सौंपी थी।

पुलिस पर मुकदमे में जरूरी धाराएं नहीं लगाने का आरोप

इस प्रकरण को लेकर महिला शिक्षक की ओर से आरोपी बनाए गए ग्रामीणों ने भी महिला शिक्षक पर धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसके बाद विभिन्न सामाजिक संगठनों ने बारां जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन कर स्थानीय थाना पुलिस की मंशा पर सवाल उठाते हुए जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर महिला शिक्षक की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे में राजकार्य में बाधा उत्पन्न करने वाली जरूरी धाराएं नहीं जोड़ने का आरोप लगाया था।

भीम आर्मी जिला अध्यक्ष पीयूष रैगर ने बताया कि उन्होंने ज्ञापन के माध्यम से उच्च अधिकारियों को बताया कि 26 जनवरी को राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस समारोह में कुछ लोगों ने सरस्वती की पूजा के लिए महिला शिक्षक को बाध्य किया। मना करने पर जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया और गैर संवैधानिक कार्य के लिए धमकाया गया। महिला शिक्षक के द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर में पुलिस ने राष्ट्रीय पर्व में बाधा उत्पन्न करने की धारा नहीं जोड़ी। ऐसे में राजकार्य में बाधा की धाराएं जोड़ी जाए।

पुलिस द्वारा राजकार्य में बाधा उत्पन्न करने की धाराएं मुकदमे में शामिल नहीं करने के सवाल पर नाहरगढ़ थानाधिकारी देवकरण चौधरी ने 'द मूकनायक' से कहा कि गणतंत्र दिवस समारोह राजकार्य नहीं है। यह आमजन का कार्य है। इसमें सभी लोग शामिल होते हैं। इसलिए राजकार्य में बाधा उत्पन्न करने वाली धाराएं शामिल नहीं की गई हैं। फिर भी अनुसंधान में ऐसी कोई बात आती है तो धाराएं जोड़ दी जाएंगी।

महिला शिक्षक की बर्खास्तगी की मांग

इस प्रकरण को लेकर समता आंदोलन समिति राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष पाराशर नारायण शर्मा ने बीते 1 फरवरी को राज्यपाल को पत्र लिख कर बारां जिले के सरकारी स्कूल में सरस्वती की पूजा से इनकार करने वाली महिला शिक्षक हेमलता बैरवा की जांच के बाद सेवा से बर्खास्त करने की मांग की है। समता आंदोलन समिति द्वारा दलित महिला शिक्षक पर बर्खास्तगी की कार्रवाई की मांग का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट चेतन बैरवा ने सवाल खड़ा किया है कि आखिर शिक्षा की देवी किसे माना जाए। एडवोकेट बैरवा ने कहा कि शिक्षा में सावित्री बाई फुले, फातिमा शेख का योगदान है। इन्होंने देश में महिला शिक्षा के लिए संघर्ष किया है। सरकारी स्कूलों में इन समाज सेवी महिलाओं की इनके जीवन परिचय के साथ तस्वीर लगाना चाहिए। महिला शिक्षक की बर्खास्तगी की मांग अनुचित है।

फिलहाल नियमित पढ़ाई चल रही है

सरस्वती पूजा विवाद में महिला शिक्षक हेमलता बैरवा द्वारा मुकदमे में नामजद आरोपी बनाए गए शिक्षक भूपेन्द्र सैन ने द मूकनायक से कहा कि अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पुलिस अधिकारी बयान लेने आए थे, हमारे बयान लिए हैं। महिला शिक्षक व स्टाफ के भी बयान लिए हैं। हमारे बीच में पहले से कोई विवाद नहीं था। समारोह में ग्रामीणों के साथ हमारा नाम भी मुकदमे में लिखवा दिया है। हमने बस इतना कहा था कि सरस्वती की तस्वीर भी रख लो, इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा। घटना के बाद हमें तीन दिन के लिए छुट्टी पर भेजा गया था। वर्तमान में हम लोग इसी स्कूल में पढ़ा रहे हैं। अब आगे क्या होगा यह तो न्यायालय में ही पता चलेगा, फिलहाल नियमित पढ़ाई चल रही है।

नहीं आई जांच कमेटी की रिपोर्ट

सरस्वती पूजा विवाद मामले में जिला शिक्षा अधिकारी पीयूष कुमार शर्मा ने 'द मूकनायक' से कहा कि घटना के बाद ब्लॉक मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया था, लेकिन अभी तक समिति ने जांच रिपोर्ट नहीं दी है। जांच में जो भी होगा नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

जाचं चल रही है

गणतंत्र दिवस पर राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लकड़ाई में सरस्वती देवी की पूजा को लेकर उपजे विवाद के बाद दर्ज मामलों की जांच कर रहे पुलिस उपाधीक्षक शाहबाद हेमंत गौतम ने 'द मूकनायक' से कहा कि अभी इन्वेस्टिगेशन चल रहा है। कुछ लोगों के बयान लिए हैं, यह गंभीर मामला है। इसकी निष्पक्षता से जांच की जा रही है। जांच के बाद ही इस प्रकरण में कुछ बता सकते हैं।

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