जयपुर - इसे चुनावी शिकस्त का सदमा कहिये या फिर खुद को टिकट नहीं मिलने की बौखलाहट, राजस्थान के निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उनका अनुभव, जादू और योजनाएं राज्य में कांग्रेस को सत्ता में वापस नहीं ला सकीं।
शर्मा, जिन्हें राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट से वंचित कर दिया गया था, ने x पर रविवार शाम को किये पोस्ट में गहलोत पर कई आरोप लगाये और कहाकि गहलोत ने जान कर सही फीडबैक को शीर्ष तक नहीं पहुंचने दिया, राजस्थान में कांग्रेस हर पांच साल में सत्ता पलटने का रिवाज बदल सकती थी लेकिन गहलोत बदलाव नहीं चाहते थे और इसलिए उन्होंने राजस्थान की जमीनी हकीकत, चुनावी समीकरण और जीत हार की सही रिपोर्ट आलाकमान को नही दी.
अपने पोस्ट में शर्मा ने लिखा, " लोकतंत्र में जनता ही माई-बाप है और जनादेश शिरोधार्य है, विनम्रता से स्वीकार है। मैं नतीजों से आहत जरूर हूँ, लेकिन अचंभित नहीं हूँ. कांग्रेस पार्टी #Rajasthan में निःसंदेह रिवाज़ बदल सकती थी लेकिन अशोक गहलोत जी कभी कोई बदलाव नहीं चाहते थे। यह कांग्रेस की नहीं बल्कि अशोक गहलोत जी की शिकस्त है। गहलोत के चेहरे पर, उनको फ्री हैंड देकर, उनके नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव लड़ा और उनके मुताबिक प्रत्येक सीट पर वे स्वयं चुनाव लड़ रहे थे। न उनका अनुभव चला, न जादू और हर बार की तरह कांग्रेस को उनकी योजनाओं के सहारे जीत नहीं मिली और न ही अथाह पिंक प्रचार काम आया"
आगे लिखा, " तीसरी बार लगातार सीएम रहते हुए गहलोत ने पार्टी को फिर हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया। आज तक पार्टी से सिर्फ़ लिया ही लिया है लेकिन कभी अपने रहते पार्टी की सत्ता में वापसी नहीं करवा पाए गहलोत.. आलाकमान के साथ फ़रेब, ऊपर सही फीडबैक न पहुँचने देना, किसी को विकल्प तक न बनने देना, अपरिपक्व और अपने फायदे के लिए जुड़े लोगों से घिरे रहकर आत्ममुग्धता में लगातार गलत निर्णय और आपाधापी में फैसले लिए जाते रहना, तमाम फीडबैक और सर्वे को दरकिनार कर अपनी मनमर्जी और अपने पसंदीदा प्रत्याशियों को उनकी स्पष्ट हार को देखते हुए भी टिकट दिलवाने की जिद... आज के ये नतीजे तय थे।"
गौरतलब है कि राजस्थान में कांग्रेस को चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा और स्पीकर डॉ सीपी जोशी के साथ कई दिग्गज और मंत्री भी चुनाव हारे. शर्मा का कहना है कि उन्होंने स्वय चुनाव से पहले कस्बों-गांव-ढाणी में घूम घूम कर 127 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करते हुए ग्राउंड रिपोर्ट सीएम को लाकर दी लेकिन उन्होंने इन रिपोर्ट्स को ना तो गंभीरता से लिया ना ही आलाकमान को इसकी जानकारी दी जो पार्टी के हार की एक प्रमुख वजह बताई जाती है.
लोकेश ने लिखा, " मैं स्वयं मुख्यमंत्री को यह पहले बता चुका था, कई बार आगाह कर चुका था लेकिन उन्हें कोई ऐसी सलाह या व्यक्ति अपने साथ नहीं चाहिए था जो सच बताए। मैं छः महीने लगातार घूम-घूम कर राजस्थान के कस्बों-गांव-ढाणी में गया, लोगों से मिला, हजारों युवाओं के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजित किये, लगभग 127 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करते हुए ग्राउंड रिपोर्ट सीएम को लाकर दी, ज़मीनी हक़ीकत को बिना लाग-लपेट सामने रखा ताकि समय पर सुधारात्मक कदम उठाते हुए फैसले किये जा सकें जिससे पार्टी की वापसी सुनिश्चित हो... मैंने खुद ने भी चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी, पहले बीकानेर से फिर सीएम के कहने पर भीलवाड़ा से, जिस सीट को हम 20 साल से हार रहे थे, लेकिन ये नया प्रयोग नहीं कर पाए, और बीडी कल्ला जी के लिए मैंने 6 महीने पहले बता दिया था कि वे 20 हजार से ज्यादा मत से चुनाव हारेंगे और वही हुआ।"
OSD के मुताबिक , " अशोक गहलोत जी के पार्ट पर इस तरह फैसले लिए गए कि विकल्प तैयार ही नहीं हो पाए... 25 सितंबर की घटना भी पूरी तरह से प्रायोजित थी जब आलाकमान के खिलाफ़ विद्रोह कर अवमानना की गई और उसी दिन से शुरू हो गया था खेल...."
शर्मा के इस ब्यान में सोशल मीडिया में बवंडर मचा रखा है, जहाँ कुछ लोग इसे शर्मा की साफ़गोई मान रहे हैं , वहीं कई लोगों ने उन्हें इस पोस्ट पर आड़े हाथों भी लिया. एक व्यक्ति ने लिखा, " शर्मा जी आप तो बड़े बेशर्म निकले !!!! जिस थाली में खाया उसमे ही छेद कर रहे हो".
45 वर्षीय शर्मा 1993 में पार्टी की छात्र शाखा एनएसयूआई में शामिल हुए और 1999 से 2000 के बीच छात्र संगठन के राज्य महासचिव के रूप में कार्य किया। उन्होंने राजस्थान के मीडिया समन्वयक के रूप में भी कार्य किया। 2011-13 तक शर्मा ने समय-समय पर गहलोत की सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाने और उनके सोशल मीडिया अभियान को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
पार्टी सूत्रों के अनुसार लोकेश कई वर्षों से गहलोत से जुड़े हुए हैं। यह शर्मा ही थे जिन्होंने 2012 में गहलोत की सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल बनाई थी जब वह मुख्यमंत्री थे। हालांकि तब उनके पास कोई आधिकारिक पद नहीं था. इसके बाद वह चुनाव के लिए गहलोत के सोशल मीडिया कैंपेन से भी करीब से जुड़ गए. वह उनके साथ जुड़े रहे और 2019 में जब गहलोत मुख्यमंत्री बने तो उन्हें ओएसडी बनाया गया,
दिल्ली पुलिस ने जोधपुर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की शिकायत के आधार पर 25 मार्च, 2021 को शर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। शर्मा पर आपराधिक साजिश, आपराधिक विश्वासघात और गैरकानूनी तरीके से टेलीग्राफिक सिग्नल (टेलीफोन पर बातचीत) को रिकार्ड करने के आरोप हैं।
शर्मा ने प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था। अदालत ने तीन जून, 2021 को शर्मा के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी थी, जो अब भी जारी है। शर्मा को राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के ‘सेंट्रल वॉर रूम’ का सह-अध्यक्ष बनाया गया था। शर्मा बीकानेर पश्चिम सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना चाह रहे हैं।
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