राजस्थान। प्रदेश में बाल विवाह की परंपरा काफी पुरानी है और कई पीढ़ियों से चली आ रही है। विशेषकर आखातीज पर अबूझ सावों यानी पूरे दिन शुभ मुहूर्त होने की मान्यता के चलते सर्वाधिक बाल विवाह इसी दिन होते हैं। बाल विवाहों को रोकने के लिए राज्य सरकार के संबधित विभाग, जिलों में बाल कल्याण समितियों के साथ विधिक सेवा प्राधिकरणों के अधिकारी और स्वयं सेवी संगठन मुस्तैदी से तैनात हैं। कंट्रोल रूम, हेल्प लाइन नबरों के साथ सरकार मुखबिरों के जरिये आखातीज पर होने वाले संभावित बाल विवाह आयोजनों को रोकने के लिए प्रयासरत है।
पिछले कुछ वर्षों से प्रशासनिक प्रयासों का ही परिणाम है कि बालविवाह को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है। स्वयं बालिका वधुओं ने आगे बढ़कर अपने बाल विवाह को अवैध और शून्य करार करवाने में पहल की है। जोधपुर में बाल आधिकारिता के लिए कार्यरत सारथी ट्रस्ट एवं पुनर्वास केंद्र की मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. कृति भारती कहती हैं कि राजस्थान में अबतक 49 बाल विवाह निरस्त हो चुके हैं और संस्था ने 1700 से अधिक बाल विवाह रुकवाए हैं। बाल विवाह निरस्त करने की मुहिम में राजस्थान देश में पहले नंबर पर है।
जिला प्रशासन उदयपुर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउण्डेशन, गायत्री सेवा संस्थान, उदयपुर सहित विभिन्न स्वयं सेवी संगठनों के सामूहिक प्रयास से संचालित बाल विवाह मुक्त उदयपुर अभियान में अक्षय तृतीया एवं पीपल पुर्णिमा पर संभावित बाल विवाह को रोकने हेतु प्रशासन सतर्क है। अभियान संयोजक एवं बाल अधिकार विशेषज्ञ डॉ. शेलेन्द्र पण्ड्या ने द मूकनायक को जानकारी देते हुए बताया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 13 (1) अन्तर्गत निषेधाज्ञा पहली बार उदयपुर के इतिहास में जारी हुई है।
अक्सर सभी स्थानों पर बाल विवाह की सूचना मिलने पर पुलिस द्वारा पाबन्द कर कार्यवाही की जाती है परन्तु उदयपुर ने धारा 13(1) अन्तर्गत निषेधाज्ञा जारी कर प्रदेश के सामने उदारहण प्रस्तुत किया है। निषेधाज्ञा उदयपुर जिले के खेरवाडा जे.एम. कोर्ट में न्यायधिश यतिन्त्र चौधरी द्वारा परिवादी नितिन पालीवाल प्रतिनिधि गायत्री सेवा संस्थान द्वारा बाल कल्याण समिति उदयपुर के सदस्य अंकुर टांक के मार्गदर्शन में अधिवक्ता सूर्या दरंगा के द्वारा परिवेदना प्रस्तुत पर शुक्रवार को जारी की गई है। निषेधाज्ञा जारी होने के पश्चात् बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा 13 (10) अन्तर्गत अब सम्बंधित पक्ष बाल विवाह करवाता है तो 2 वर्ष का करावास एवं 1 लाख रुपए से दण्डित किया जा सकता है साथ ही हाने वाला विवाह प्रथम दिन से शुन्य माना जाएगा।
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउण्डेशन नई दिल्ली के प्रतिनिधि राजीव भारद्ववाज ने बताया कि बाल विवाह करवाने के साथ किसी भी प्रकार से सहयोगी होना जैसे बाराती, पण्डित, हलवाई, टेण्ट, बैंड बाजा इत्यादी भी अपराध की श्रेणी में आतें है। जिला प्रशासन, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, गायत्री सेवा संस्थान की टीमें ब्लॉक स्तर पर कार्यरत हैं। कोई भी व्यक्ति बाल विवाह की सूचना हेल्पलाइन नम्बर 9784399288 पर कर सकता है। उनकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी साथ ही सूचना सही पाए जाने पर 2100 रूपए का पुरस्कार भी दिया जाएगा।
पंड्या ने बताया कि अब तक जारी हेल्पलाइन पर 6 बाल विवाह रोकने की सूचना प्राप्त हुई है, जिसमें 2 बाल विवाह अन्य जिले चितौड़गढ़ एवं जोधपुर जिले से सम्बंधित है।
चित्तौडगढ़ जिले में चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 को संचालित करने वाले श्री आसरा विकास संस्थान ने बाल विवाह रोकने के लिए जिले में सघन जागरुकता अभियान चलाया हुआ है। संस्थान द्वारा गांव और स्कूलों में जनजागरुकता सभाएं आयोजित की जा रही हैं। इसी कड़ी में श्री आसरा विकास संस्थान ने बाल विवाह की सूचना देने वाले व्यक्ति को 1001 रूपये का नगद इनाम देने की घोषणा की है। सूचना देने वाले व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाएगा। इसके बाद संस्थान बाल विवाह रोकने हेतु कानूनी कार्रवाई को अंजाम देगा।
आकड़ों के मुताबिक बाल विवाह के मामले में राजस्थान देश में प्रथम 10 राज्यों में शुमार है। अन्य राज्यों में कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र आदि शामिल हैं। देश में होने वाले कुल बाल विवाह में राजस्थान की हिस्सेदारी 11 फीसदी है।
चित्तौडगढ़ के चाइल्ड हेल्पलाइन के निदेशक भोजराज सिंह पदमपुरा के अनुसार साल 2021 में जारी नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-5 के आकड़ों के मुताबिक देश में 20 से 24 साल की उम्र की 23.3 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जिनका बाल विवाह किया गया जबकि राजस्थान में यह 25.4 प्रतिशत है। जो राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा है। यह आंकड़ा समस्या की गंभीरता को दर्शाता है। राजस्थान सरकार बाल विवाह रोकथाम हेतु गंभीर है।
बाल संरक्षण आयोग, गृह विभाग और बाल अधिकारिता विभाग द्वारा इस संबंध में दिशा निर्देश भी जारी किए गए हैं। जिले में सभी उपखंड अधिकारियों ने शादी के निमंत्रण पत्रों पर जन्मतिथि अंकित करने के आदेश जारी कर रखे हैं। साथ ही इसे रोकने के लिए प्रशासन कानूनी कार्रवाई भी कर रहा है। भोजराज सिंह पदमपुरा कहते हैं कि बेटियों की जिंदगी को नर्क बनाने वाली इस बुराई को खत्म करने के लिए सरकार के प्रयास के साथ-साथ समाज का सहयोग भी जरूरी है। लोगों को बच्चों के खिलाफ इस अपराध के विरोध में आवाज बुलंद करनी पड़ेगी।
भोजराज ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि राजस्थान में भीलवाडा के बाद चित्तौडगढ़ में सबसे ज्यादा बाल विवाह होता है। पिछले एक साल (अप्रैल 2022 से मार्च 2023) में श्री आसरा विकास संस्थान ने कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन के साथ मिल कर चित्तौडगढ़ में 51 बाल विवाह रुकवाने में सफल रहा। इस साल हमने लोगों को बाल विवाह के खिलाफ प्रोत्साहित करने के लिए बाल विवाह की सूचना देने वालों को 1001 रूपये के नगद इनाम की घोषणा भी की है। ऐसे लोगों की पहचान भी गुप्त रखी जाएगी। सूचना मिलते ही पुलिस में शिकायत दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बाल विवाह रोकने के लिए देश में कानून है, जिसके मुताबिक लड़की की शादी की उम्र 18 साल और लड़के की 21 साल से अधिक होनी चाहिए। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के मुताबिक बाल विवाह करने वाले बालिग पुरुष सहित पंडित, मौलवी, नाई, परिवारजन, बैड-बाजा वाले, मैरिज होम मालिक, कैटरिग वाले, टेंट हाउस, बाराती आदि सभी को दो वर्ष तक के कठोर कारावास और एक लाख रूपये तक के जुर्माने तक का प्रावधान है।
चित्तौड़गढ़ में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहाना खान ने कहा कि बाल विवाह में सम्मिलित प्रत्येक व्यक्ति इस अपराध में बराबर का भागीदार होता है, इसलिए इस अपराध में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रूप में सम्मिलित नहीं हो तथा बाल विवाह की सूचना प्रशासन अथवा पुलिस को दे ताकि इसे रोका जा सके।
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