सामाजिक सशक्तिकरण, शिक्षा, रोजगार, समाज सुधार एवं सामाजिक कुरीतियों की रोकथाम पर हुई चर्चा।
जयपुर। राजस्थान के करौली जिले में दलित वर्ग से जुड़े जाटव व बैरवा समाज की महापंचायत हुई। करौली जिले में डॉ. अम्बेडकर पार्क के पास एक मैरिज गार्डन में दलित समाज की महापंचायत में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने समाज सुधार पर मंथन किया। महापंचायत का उद्देश्य दलित समाज में शिक्षा की अलख जगाने व कुप्रथाओं पर अनावश्यक खर्च को रोकना है।
महापंचायत की अध्यक्षता कर रहे फूलचंद जाटव ने कहा कि यह सच है कि दलित वर्ग से जुड़े लोगों को दोयम दर्जे की नजरों से देखा जाता है। हमें शिक्षा के माध्यम से इस सामाजिक भेद को खत्म करना होगा। शिक्षा ही एक मात्र हमें मुख्यधारा वाले रास्ते पर ले जा सकती है। बाबा साहब के सपने को साकार करने के लिए प्रण करना होगा कि हम अपने बच्चों को हर हाल में पढ़ाएंगे। बच्चों की पढ़ाई के लिए पेट पर पत्थर भी बंधना पड़ा तो पीछे नहीं हटेंगे।
महापंचायत का मंच संचालन कर रहे रामबिलास ने कहा कि "सामाजिक सशक्तिकरण के लिए सबसे पहले हमें संगठित होने की जरूरत है। हम संगठित रहकर ही समाज का उत्थान कर सकते हैं। शिक्षा से ही रोजगार के आयाम खुलेंगे। शिक्षित होंगे तो सामाजिक बुराइयों पर भी अंकुश लगेगा। शिक्षित व राजनीतिक वर्ग से जुड़े समाज के लोग स्वार्थ त्याग कर समाज हित में काम करें।"
सामाजिक कार्यकर्ता शिवसिंह ने कहा कि "राजकीय विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर अभिभावकों को निगरानी रखने की जरूरत है। बार-बार विद्यालय में जाकर शिक्षकों से चर्चा कर अपने नौनिहालों का फीडबैक लेने की आदत डाले। बच्चों को हर हाल में नियमित विद्यालय भेजना होगा।" उन्होंने कहा कि अनाथ बच्चों को भामाशाह गोद लेकर पढ़ाएं। सामाजिक स्तर पर आवासीय विद्यालय खोलने की जरूरत है।
स्थानीय पत्रकार मदनमोहन भास्कर बताते हैं कि "दलित समाज में समाज सुधार पर मंथन अच्छी पहल है। इससे समाज संगठित होगा। करौली जिले में हुई महापंचायत में चर्चा के दौरान समाजसेवी हट्टीराम द्वारा विद्यालय भवन बनाकर विद्यालय समिति द्वारा संचालित करने की पेशकश की। यहां विद्यालय के अतिरिक्त कक्षाओं का संचालन कर कमजोर बच्चों को सम्बल दिया जाएगा। इसी तरह अन्य भामाशाहों के माध्यम से ब्लॉक स्तर पर पुस्तकालय, वाचनालय स्थापित करने व समाज के अध्यापकों को बच्चों को अध्ययन कराने पर भी सकारात्मक चर्चा हुई।
महापंचायत में शामिल हुई पूर्व विधायक राजकुमारी जाटव ने कहा कि हमें दहेज प्रथा, बाल विवाह, मृत्यु भोज बंद करने होंगे। इससे समाज को आर्थिक सम्बल मिलेगा। कुरीतियों पर राशि खर्च करने की बजाय बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए राशि खर्च करने की आदत डालना होगा। उन्होंने कहा कि अपनी शान के लिए शादी ब्याह में फालतू खर्च करने से बचना होगा। शराब एक अभिशाप है। यह भी हमें समझने की जरूरत है। हमें अलग अलग शादी नहीं कर सामूहिक शादी समारोह करना चाहिए।
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