जयपुर। राजस्थान में कुशवाह, काछी, सैनी, माली समाज के आरक्षण आंदोलन के नेता मुरारी लाल सैनी सहित सभी 11 आंदोलनकारियों की रिहाई हो गई है।
आरक्षण आंदोलन के चलते जयपुर-आगरा हाईवे सोमवार को चौथे दिन भी जाम रहा। मुख्य हाइवे मार्ग जाम होने से लम्बी दूरी पर चलने वाले वाहन चालकों को काफी परेशानी हुई। हालांकि पुलिस ने यातायात डायवर्ट कर लिंक सड़कों से वाहनों को निकाला, लोडिंग वाहन प्रभावित हुए।
आपको बता दें कि, चार दिन पूर्व आरक्षण आंदोलन के आगाज से पूर्व ही पुलिस ने आरक्षण संघर्ष समिति संयोजक मुरारी लाल सैनी सहित 11 नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था। समाज के नेताओं की गिरफ्तारी के बाद पुलिस पर आंदोलन को कुचलने का आरोप लगाते हुए समाज के लोग उग्र होकर प्रदर्शन करने लगे थे। लोगों व पुलिस के बीच झड़प भी हुई। पुलिस की तरफ से आंसू गैस के गोले छोड़ कर आंदोलनकारियों को खदेड़ा गया। लाठीचार्ज भी हुआ। आखिर में आंदोलनकारियों ने पुलिस को चकमा देकर जयपुर-आगरा हाइवे पर कब्जा कर लिया। राज्य सरकार ने बैकफुट पर आते हुए आरक्षण पर चर्चा न्योता भेजा, लेकिन आंदोलनकारी पहले आरक्षण संघर्ष समिति संयोजक सहित सभी की रिहाई की मांग पर अड़ गए।
आन्दोलनस्थल के आस-पास की तहसील नदबई, वैर और भुसावर क्षेत्र में नेटबंदी के कारण लोगों को खासी परेशानी हुई है। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बंद होने से व्यापार भी प्रभावित हुआ है। छात्रों को भी असुविधा हुई।
आरक्षण आंदोलन से जुड़े नेताओं की रिहाई नहीं होने पर गत रविवार को राष्ट्रीय फुले ब्रिगेड के संयोजक चंद्रप्रकाश सैनी ने एक वीडियो सन्देश जारी कर एनएच 8 दिल्ली - जयपुर हाइवे जाम की चेतावनी दी। इसके बाद राज्य सरकार ने नेताओं की रिहाई के लिए आवश्यक कदम उठाते हुए सोमवार दोपहर बाद भरतपुर सेवर जेल से आरक्षण संघर्ष समिति संयोजक मुरारीलाल व शैलेंद्र कुशवाह सहित सभी 11 आंदोलनकारियों को रिहा कर दिया। रिहाई के बाद सैनी अपने आंदोलनकारी साथियों के साथ धरना स्थल पहुंचे। समाज के लोगों ने जेल से रिहा सभी आंदोलनकारियों का कंधों पर बैठाकर स्वागत किया।
सैनी ने आंदोलन स्थल पर आरक्षण की मांग कर रहे समाज को सम्बोधित किया। इस दौरान आरक्षण मसले पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री द्वारा समिति को बुलावा भेजने की बात कहते हुए वार्ता से पूर्व आंदोलन स्थगित करने पर समाज का मन लिया।
आंदोलन स्थगित करने की बात सुनते ही आंदोलन स्थल पर गहमा गहमी हो गई। लोगों ने संयोजक की बात का विरोध कर दिया। आंदोलकारियों ने दो टूक शब्दों में कहा कि जब तक आरक्षण की मांग पूरी नहीं होती आंदोलन यथावत जारी रहेगा। यहां समाज में रोष देखते हुए फिलहाल संघर्ष समिति ने आंदोलन स्थगित का प्रस्ताव टालते हुए पुनः एक समिति गठित करने का निर्णय लिया। सूत्रों की माने तो यह समिति आरक्षण संघर्ष समिति के साथ जयपुर में मुख्यमंत्री की प्रस्तावित वार्ता के परिणाम के बाद आंदोलन पर निर्णय लेगी।
आप को बता दें कि राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के बाद माली, सैनी, कुशवाह, शाक्य, मौर्य और काछी समाज के लोगों द्वारा राजस्थान में 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन किया जा रहा है। जयपुर-आगरा पर अरोदा गांव के पास बड़ी संख्या में समाज की महिलाएं, युवा और बुजुर्ग हाथों में लाठियां लेकर डटे हुए हैं।
जयपुर से आगरा की तरफ जाने वाले वाहनों को नगर-भरतपुर होते हुए निकाला जा रहा है। वहीं आगरा से जयपुर जाने वाले वाहनों को उच्चैन तिराहे और डेहरा मोड़ से डायवर्ट किया गया है। इधर, हाईवे पर डटे आंदोलनकारियों ने धूप से बचने के लिए टेंट गाड़ रखा है। रविवार को दिन में धूलभरी आंधी और बूंदाबांदी के बावजूद लोग हाईवे पर डटे थे। सुबह के नाश्ते से लेकर दोपहर का खाना और रात का भोजन की व्यवस्था धरनास्थल पर है।
गौरतलब है कि आंदोलनकारियों की मुख्य मांगों में एडवाइजरी बोर्ड के बजाए लवकुश बोर्ड गठित कर अध्यक्ष, मेंबर और डेवलपमेंट के लिए फंड उपलब्ध करवाने। समाज की इन जातियों के लिए 12 प्रतिशत आरक्षण अलग से देने के अलावा रोहिणी कमीशन के जरिए समाज का सर्वे करवाया जाना शामिल है।
राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के बाद अब कुशवाहा, माली, सैनी और मौर्य जाती 12 फीसदी आरक्षण की मांग कर रही है। आरक्षण को लेकर कुशवाहा, माली (फुले) आरक्षण संघर्ष समिति की धौलपुर में हुई महापंचायत के बाद उग्र आंदोलन का निर्णय लिया गया था। सितम्बर 2022 में आंदोलन का निर्णय लेने के बाद राजस्थान में कुशवाहा, माली, सैनी और मौर्य जातियों के 31 सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल के साथ संभागीय आयुक्त कार्यालय में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के बीच समझौता वार्ता भी हुई थी। तत्समय आरक्षण संघर्ष समिति सहसंयोजक वासुदेव प्रसाद कुशवाहा ने बताया कि हमने पूर्व में 12 जून 2022 को भी आंदोलन किया था। हमें आश्वासन दिया गया था कि 1 महीने के अंदर मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे। हम जानना चाहते थे कि हमारी आरक्षण की मांग वाली फाइल का क्या हुआ। कोई जवाब नहीं मिला तो हमें दोबारा चक्काजाम आंदोलन करना पड़ा।
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