लेख- राजीव यादव
चंद दिनों पहले कैफियत एक्सप्रेस से दिल्ली से आजमगढ़ आ रहा था. बोगी में अपनी सीट पर गया जहां पहले से दो तीन लोग बैठे थे. आदतन उनसे आजमगढ़ जाने वाली ट्रेन में सामान्य परिचय होने लगा.
एक नौजवान जिनकी पच्चीस के करीब उम्र रही होगी, ने बताया कि आजमगढ़ में पुष्पनगर के पास के रहने वाले हैं। तो मैंने वहां के परिचित साथी सुजीत और राजित का नाम लिया तो उन्होंने कहा कि हां जानता हूं.
उस नौजवान ने कहा कि आप कैसे जानते हैं तो मैंने कहा कि आजमगढ़ का हूं तो क्यों नहीं जानूंगा. फिर उसने जानना चाहा तो मैंने फिर कहा सामाजिक राजनीतिक गतिविधियों में रहते हैं तो जानता हूं. फिर उसने कहा कैसे जान सकते हैं तो मैंने कहा क्यों नहीं जान सकता? तो उन्होंने कहा कि आप तो मुस्लिम हो!
मैंने कहा कि आपको क्यों लगता है तो उन्होंने कहा कि इतनी उम्र हो गई मैं जानता हूं. मैंने कहा कि वैसे मैं हिंदू हूं और यादव हूं तो वो मानने को जैसे तैयार ही नहीं था. खैर बातचीत में ये बातें सामान्य हो गईं. पर मैं जब सोचने लगा तो अपने कपड़े को देखने लगा कि कुर्ता और जींस का पैंट. पर पता नहीं उसने कपड़े या मुझमें क्या देखा नहीं समझ आया.
ट्रेन में हुलिया, कपड़े देखकर हुई नृशंस घटना ने ऐसी कई घटनाओं को याद दिला दिया. एक बार ट्रेन से दिल्ली से ही लखनऊ आ रहा था और बातचीत हो रही थी. आम तौर पर बातचीत में विचारों को लेकर बहस हो ही जाती है. खैर बहुत सी बातें हुई पर लखनऊ से पहले किसी स्टेशन पर या आउटर पर जब गाड़ी रुकी तो एक शख्स मेरे ऊपर काफी गुस्सा हो गया और कहा कि आप लोग बिहार में ट्रेनों में कटार लेकर घुस जाते हैं और बहन बेटियों के साथ मनमानी करते हैं. मैंने पूछा कि आप लोग से क्या मतलब तो उन्होंने कहा कि मुसलमान. मैंने कहा कि एक तो मैं मुसलमान नहीं हूं और दूसरा ऐसी कौन सी जगह बिहार में है जहां ऐसा होता है जो आप जानते हैं ? उसने फिर मुस्लिम के रूप में मुझे टारगेट किया तो मैंने अपना आधार कार्ड निकाल कर दिखाया तो उसने कहा कि जो भी हो लेकिन दिमाग से मुसलमान हो.
ऐसे ही एक बार हम कई साथी ट्रेन से आजमगढ़ से बलिया जा रहे थे. अंबानी अडानी को लेकर बहस हो रही थी तभी बुजुर्ग साथी शाह आलम साहब को एक व्यक्ति ने कहा कि टुकड़े टुकड़े गैंग से हो न. इसके बाद एक व्यक्ति हमलावर हुआ तभी डिब्बे में कई अन्य लोग सक्रिय हुए और उस लड़के को कहे कि हिंदू मुसलमान कराना चाहता है तो वह वहां से भाग निकला.
हिंसा और नफरत की सिलसिलेवार घटनाओं में एक पर सोचो तो दूसरी धमक पड़ती है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बोला कि ज्ञानवापी को मस्जिद बोलेंगे तो विवाद होगा ही पर कुछ बोलते कि ट्रेन, कावड़िया, मेवात से लेकर हर दिन इतनी घटनाएं हो रहीं कि आपके सोचने समझने की क्षमता ही खत्म कर देती हैं.
इस दौर में खामोश रहकर हम कातिलों में तो शामिल नहीं होंगे. गुरुग्राम के इमाम साद की हिंदू मुस्लिम एकता को लेकर गाई नज़्म दिमाग में बस गूंज रही...
जालिम हूं इंसान बना दे या अल्लाह
घर की दीवार हटा दे या अल्लाह
हिंदू मुस्लिम बैठकर खाएं थाली में
ऐसा हिंदुस्तान बना दे या अल्लाह...
न जाने ऐसा भारत कब बनेगा!
(लेखक रिहाई मंच के महासचिव हैं)
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति The Mooknayak उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार The Mooknayak के नहीं हैं, तथा The Mooknayak उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.