सिर्फ धनी जियेंगे, सिर्फ अमीरजादे बचेंगे..

सिर्फ धनी जियेंगे, सिर्फ अमीरजादे बचेंगे..
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ऑक्सफैम हर साल देश और दुनिया के आर्थिक हालात पर एक रिपोर्ट निकालता है, ये पूरी तरह से जांच, तथ्य और प्रमाणों पर आधारित होती है। आप पिछले कुछ सालों की रिपोर्ट्स अगर देंखे तो आपको लगेगा इसे देखकर सरकार को आर्थिक नीतियों को दुरुस्त कर लेना चाहिए था।

जी हां, सरकार ने दुरुस्त किया और ऑक्सफैम को ही अपना कार्य समेट लेना पड़ा।

ये रिपोर्ट दावोस में होने वाले विश्व आर्थिक सम्मेलन के दौरान आती है ताकि नीतियां सिर्फ लच्छेदार शब्दों में अमीरों के मुनाफे के लिए न तय हों।

हर वर्ष जनवरी के दूसरे तीसरे हफ्ते में हम इस रिपोर्ट की फाइंडिंग्स पर एक परिचर्चा और शेयरिंग रखते रहे हैं।

इस बार की रिपोर्ट तीन बहुत महत्वपूर्ण तथ्य खोलती है..

कोविड यानी कोरोना संकट के बाद अमीरों के मुनाफे बहुत बढ़े, जबकि आम आदमी और गरीब तबाह हुआ। एक महामारी और वैश्विक/राष्ट्रीय संकट के समय देश के पूंजीपतियों का मुनाफा बढ़ना एक देशद्रोही कृत्य है, और सरकार की अक्षमता और संवेदनशीलता, संकट में लूटना निहायत घटिया मूल्य माना जाता रहा है।

जीएसटी कलेक्शन जिसे अब केंद्रीकृत कर दिया है और जो लागू होने से अब तलक विवादों में रहता है, उसमें भी आम दुकानदार, व्यक्ति का ही हिस्सा सर्वाधिक है, बड़े पूंजीपतियों की हिस्सेदारी GST में आनुपातिक रूप से बहुत कम है।

मर्दों के मुकाबले औरतों को लगभग आधे से कुछ ज्यादा ही भुगतान या आय मिल पाती है।

और भी कई चौंकाने वाले तथ्य हैं, खोजिए और रिपोर्ट पढ़िए जिसका अंग्रेजी में नाम है "सर्वाइवल ऑफ़ द रिचेस्ट"

नोट : देश के वर्तमान आर्थिक हालात और ये रिपोर्ट भारत के हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, नास्तिक आदि सभी पर समान रूप से लागू होती है।

साथ ही ये स्थिति ब्राह्मण, राजपूत, ठाकुर, भूमिहार, पिछड़ी जातियों, दलित जातियों पर भी समान रूप से लागू होती है।

लेख साभार- दीपक कबीर के Facebook से..
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