पत्रकार रूपेश सिंह की पत्नी की अपील- सत्ता की क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाने वाले एक हो!

न्यायपसंद लोगों से सत्ता की क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाने व एकजुट होने की ईप्सा शताक्षी की अपील
न्यायपसंद लोगों से सत्ता की क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाने व एकजुट होने की ईप्सा शताक्षी की अपील
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लेख- ईप्सा शताक्षी

स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह को एक और केस में फंसा दिया गया है, मामला क्या है। यह अभी तक न रूपेश को पता है न ही मुझे। बोकारो जिला के तेनुघाट के जागेश्वर बिहार थाना के केस सं – 16/22 मेंरूपेश की पेशी कराई गई थी। इस केस में रूपेश नामजद नहीं हैं। फिर भी इन्हें घसीटा जा रहा है।

मुझे तो शुरुआत से ही लग रहा था कि सत्ता के खिलाफ लिखने-बोलने की कीमत बुरी तरह से चुकानी पड़ेगी। अब यह और स्पष्ट हो रहा है कि सत्ता रूपेश को फिर से बाहर की दुनिया में देखना नहीं चाह रही है। इसके लिए वो एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। आशंका है कि रूपेश को ऐसे कई और केस में फंसाकर जेल में रख देने की पूरी कोशिश की जाएगी। हम बस मूकदर्शक बने रहेंगे।

रूपेश को जेल में एक पूरी तरह से जर्जर हो चुके भवन में बिल्कुल अकेले रखा गया है, जहां छत के 80 प्रतिशत हिस्से से बारिश का पानी टपक रहा है। साथ ही छत भी टूटकर गिर रही है। आस-पास लम्बी घास और खर-पतवार है, जहां जहरीले जीव हो सकते हैं। हम कल्पना कर सकते हैं कि यह कितना खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसा भी नहीं है कि इस बारे में किसी से बात नहीं की गई है। रूपेश ने बीते 31 जुलाई को सीजेएम के सामने जगह बदलने की बात की पर परिणाम सिफर रहा। मैंने 8 अगस्त से अब तक इससे संबंधित पत्र 2-2 बार जेल आईजी, मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री सचिव, डीसी सरायकेला, स्वास्थ्य मंत्रालय, मानवाधिकार आयोग को मेल किया है।

अब तक किसी मेल पर न तो कोई कार्रवाई हुई है और न ही किसी का कोई जवाब ही आया है। यह सब मानसिक रूप से प्रताडि़त करने के लिए किया जा रहा है।

रूपेश ने अब तक कितनी ही बार सरायकेला जेल सुपरिटेंडेंट से बात करने की कोशिश की है पर वह आज तक नहीं मिली है। नतीजतन रूपेश ने जेल प्रशासन से तीन मांगें रखी हैं-

1. मुझे एक सुरक्षित स्थान पर रखा जाए। बाकि बंदियो से मिलने जुलने भी दिया जाए।

2. मुझे पढ़ने लिखने का सामान उपलब्ध कराया जाए।

3. मुझे जेल मैन्युल के हिसाब से खाना। ठीक तरह पका खाना दिया जाए। रूपेश ने यह ऐलान किया है कि अगर 14 अगस्त तक उनकी ये मांगें नहीं मानी जाती है, तो वह 15 अगस्त से भूख हड़ताल पर बैठेंगे। जिसका जिम्मेवार जेल प्रशासन होगा। उन्होंनें 9 अगस्त को ही ये बातें जेल प्रशासन के सामने रखीं हैं। अभी तक कुछ एक्शन नहीं लिया गया है।

<em>झारखंड के स्वतंत्र पत्रकार रुपेश कुमार सिंह </em>और उनकी पत्नी <em>ईप्सा शताक्षी</em>
झारखंड के स्वतंत्र पत्रकार रुपेश कुमार सिंह और उनकी पत्नी ईप्सा शताक्षी

हम रूपेश की गिरफ्तारी के दिन यानी 17 जुलाई 2022 से ही देखें तो 18 जुलाई को उन्हें जब पहली बार जेल में डाला जाता है। तब उन्हें 4 संक्रामक रोगियों (आरोप है) के साथ रखा जाता है, फिर 2 बार पुलिस रिमांड के बाद दोबारा जेल भेजने से अभी तक उस जर्जर बिल्डिंग में बिल्कुल तन्हा रखा गया है। बाहर निकलने नहीं दिया जा रहा है। एक भी बंदी से मिलने नहीं दिया जा रहा है। कुल मिलाकर एक निर्भीक, साहसी जनपक्षीय पत्रकार को जेल में ही रखने की कोशिश और जेल में मानसिक प्रताड़ना का शिकार बनाया जा रहा है।
एक तरफ सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है। दूसरी तरफ देश के निर्दोष आदिवासी जनता को नक्सली का आरोप लगा जेल में सालों से बंद रखा जा रहा है। जेल में भी आदिवासी बंदियों के साथ दुर्व्यवहार और उनका जमकर शोषण किया जाता है। दूसरी तरफ इनके लिए आवाज उठाने वाले रूपेश जैसे सरीखे लोगों को भी इनकी तरह ही जेल में डाल दिया जाता रहा है। जेल से बाहर नहीं आने देने की पूरी कोशिश भी की जाती है।

पर सवाल है कि आवाज उठाने वालों की संख्या अगर उंगली पर गिनने लायक हो तो सत्ता को भी इनका दमन करना आसान होता है। अगर आवाज हजारों, लाखों की हो तब ये किस-किस को कैद करेंगें? किस-किस पर जुल्म करेंगें?

यह समय है सबके साथ खड़े होने का क्योंकि यह मामला अकेले रूपेश कुमार सिंह या सिद्दीक कप्पन या हिमांशु कुमार या भीमा कोरेगांव में फंसाए गए तमाम साथियों का ही नहीं है। यह पूरे देश, पूरी दुनिया को शोषण मुक्त बनाने की लड़ाई है और इसमें हम सभी अमन पसंद, न्याय पसंद लोगों की भागीदारी की जरूरत है।

रूपेश ने देश-दुनिया के सभी न्यायपसंद लोगों से सत्ता की क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाने और एकजुट होने की अपील की है। जरूरत है इस लड़ाई में आगे खड़े लोगों के साथ खड़े होने की, उनपर हो रहे जुल्म, दमन के खिलाफ आवाज की, एकजुटता की। और सत्ता को खुली चुनौती देने की।

दम है तेरे दमन में कितने देख लिया है, देखेंगे,
जगह है कितनी जेल में तेरे देख लिया है, देखेंगे।

(नोट- झारखंड के स्वतंत्र पत्रकार रुपेश कुमार सिंह को 17 जुलाई 2022 को उनके घर रामगढ़ से गिरफ्तार किया गया। झारखंड की सरायकेला खरसावां जिले की पुलिस ने उन पर माओवादियों से संपर्क रखने का आरोप लगाया है। पुलिस ने बताया कि रुपेश सिंह के खिलाफ कोई नया मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है बल्कि एक पुराने मामले की जांच में उनका नाम आने पर वारंट जारी किया गया और गिरफ्तारी की गई। उक्त लेख की लेखिका, ईप्सा शताक्षी रूपेश की पत्नी हैं व उनकी रिहाई के प्रयास कर रही हैं।)

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