चिकित्सक सरकार को कर रहे ब्लैकमेल

चिकित्सक सरकार को कर रहे ब्लैकमेल
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लेख- भंवर मेघवंशी, दलित एक्टिविस्ट, राजस्थान

राजस्थान की सरकार ने लम्बे विचार विमर्श के बाद हाल ही में स्वास्थ्य का अधिकार क़ानून पारित करके बड़ा काम किया है. इससे राजस्थान देश का पहला प्रदेश बना है जिसने अपने नागरिकों को इलाज की क़ानूनन गारंटी प्रदान की है. इस बात की सर्वत्र सराहना हुई है लेकिन राजस्थान के निजी चिकित्सालय व डॉक्टर हड़ताल पर चले गये हैं.

समझ से परे बात यह है कि हड़ताली डॉक्टर संगठन स्पष्ट कह रहे हैं कि हमको यह क़ानून ही मंज़ूर नहीं है, मतलब यह कि वे जवाबदेह नहीं बनेंगे. लोकतंत्र में सबके अधिकार हैं लेकिन कर्तव्य भी है. डॉक्टर संगठन व निजी चिकित्सालय चाहते हैं कि राजस्थान के नागरिकों को स्वास्थ्य का अधिकार ही न मिले. इसके लिये हड़ताल कर रखी है और सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं.

विरोध प्रदर्शन सबका लोकतांत्रिक अधिकार है, अपनी असहमति प्रकट करना और प्रतिरोध करना अच्छी बात है, लेकिन जनता के ख़िलाफ़ खड़े होना अच्छी बात नहीं है.

इससे पहले भी बहुत सारे जन हितकारी क़ानून बने हैं, जिनका विरोध किया गया, लेकिन न केवल वो क़ानून बने, बल्कि लागू भी हुए हैं. स्वास्थ्य का अधिकार क़ानून पारित हो चुका है, उसके नियम भी बनेंगे और वो लागू भी होगा. कोई चाहे कितना भी विरोध कर ले. सबको क़ानून से चलना होगा.

आज डॉक्टर विरोध में हड़ताल किये हुए हैं. मरीज़ इलाज़ के अभाव में तड़फ रहे हैं. मानवता की सेवा की शपथ लेने वालों में करुणा का भाव दिखना चाहिये, मगर नहीं दिख रहा है. वे राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को अस्त-व्यस्त किये हुए हैं. सरकार भी कड़े कदम लेने से बचती दिखाई पड़ रही है. ऐसा न हो कि जनता इसका विरोध करने वालों के खिलाफ उठ खड़ी हो और सड़कों पर उतर आये.

इससे पहले कि जनता अपने अधिकार के पक्ष में सड़कों पर आये, सरकार और निजी चिकित्सालय व डॉक्टर संगठन तथा अन्य लोग जो इस क़ानून के विरोध में खड़े हैं, अपने आपको जवाबदेह बनाये अन्यथा जनता किसी को माफ़ नहीं करेगी क्योंकि डॉक्टर हो या नेता सब जनता के सेवक हैं, मालिक जनता है.

राजस्थान सरकार को किसी भी किस्म के दबाव में नहीं आना चाहिये, बल्कि कड़े कदम उठाने होंगे, जो चिकित्सालय क़ानून के खिलाफ हैं उनके लाइसेंस निरस्त करें, अगर रियायती दरों पर ज़मीन दी है तो वापस लें और अगर कोई सरकारी सेवारत चिकित्सक इसके विरोध में हैं तो उनको निलम्बित करे, और भी अन्य आवश्यक कदम सरकार को कड़ाई से उठाने चाहिये.

लोकतंत्र ब्लैकमेलिंग से नहीं चलता, सामूहिक जवाबदेही और सहज समझ का नाम लोकतंत्र है, कोई भी समूह वह चाहे जितना महत्वपूर्ण और मजबूत हो, अपनी हठधर्मिता और दबाव से जनता के अधिकार नहीं छीन सकता.

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