लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर निर्भर क्या हुए... बहुत सारे राजनीतिक लोगों को उनकी जुबान वापस मिल गई है. इसके साथ ही अपने समाज और वर्ग की चिंता भी सताने लगी है. अब देखिए यूपी के मिर्जापुर से तीन बार की सांसद अपना दल (सोनेलाल) की अनुप्रिया पटेल को ही. 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने को महीने भर भी नहीं हुए थे कि एनडीए सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आरक्षण के मुद्दे पर चिट्ठी लिख डाली है.
अनुप्रिया पटेल ने अपने पत्र में लिखा है कि 'राज्य की सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है.
अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल (सोनेलाल) एनडीए गठबंधन का अहम हिस्सा है और नरेंद्र मोदी की जरूरत भी. दिलचस्प है कि 2014 से मोदी सत्ता का हिस्सा रहीं अनुप्रिया पटेल ने पिछले 10 सालों में कभी आरक्षित वर्गों के साथ हो रहे अन्याय खुलकर आवाज उठाई हो, ऐसा देखने-सुनने में नहीं आता है.
आरक्षित वर्ग के युवा 2014 से ही अपने हक और अधिकार के लिए आवाज उठा रहे हैं, लेकिन अनुप्रिया पटेल का मुंह तब खुला, जब मोदी 240 सीटों पर अटक गए... उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती का मामला तो पाठकों को याद ही होगा, लखनऊ के पार्कों में आरक्षित वर्ग के युवाओं ने न्याय के लिए न जाने कितनी लाठियां खाईं और अनगिनत रातें सड़कों पर बिताईं. इस मामले में न्याय का इंतजार अभी भी है.
खैर, अनुप्रिया पटेल का पत्र तब सामने आया है, जब उत्तर प्रदेश बीजेपी में अंदरूनी समीकरण बिगड़ गए हैं. 2024 के चुनावी परिणामों के बाद एनडीए के घटक दल जहां भाजपा पर निशाना साध रहे हैं तो भाजपा के नेता भी एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. संगीत सोम और संजीव बालियान का प्रकरण सार्वजनिक है. वाराणसी में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बीजेपी नेताओं की झड़प इसका सबूत है और अयोध्या में एक भगवाधारी बाबा की सिक्योरिटी वापस लेने का मामला भी सुर्खियां बटोर रहा है.
पूर्वांचल में सुभासपा के नेता ओम प्रकाश राजभर खुलकर भाजपा पर आरोप लगा चुके हैं. तो ये सारे घटनाक्रम के साथ अनुप्रिया पटेल का सीधे तौर पर योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख देना बताता है कि यूपी भाजपा के एक्सटेंशन एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं है, जबकि अनुप्रिया पटेल अपनी पार्टी की एकमात्र सांसद हैं. ऐसे में यह साहस, इस्तकबाल की मांग तो करता ही है!
अपना दल (एस) के लेटर हेड पर शुक्रवार को लिखे गए अपने पत्र में अनुप्रिया पटेल ने कहा कि 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने पिछड़े वर्ग के छात्रों के उज्जवल भविष्य के लिए केंद्रीय विद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं में, नवोदय विद्यालयों में, सैनिक स्कूलों और मेडिकल की पढ़ाई में आरक्षण प्रदान करने के लिए कई कदम उठाए हैं. हालांकि ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग के युवाओं ने मुझसे संपर्क किया है और बताया है कि राज्य सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली कई सारी इंटरव्यू आधारित प्रतियोगी परीक्षाओं में आरक्षित सीटों के लिए अक्सर उन्हें 'नॉट फाउंड सूटेबल' घोषित कर दिया जाता है. बाद में इन पदों को अनारक्षित घोषित कर दिया जाता है.
अपना दल (सोनेलाल) की नेता अनुप्रिया पटेल ने यह भी कहा है कि 'मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बात से सहमत होंगे कि ओबीसी और एससी-एसटी के कैंडिडेट्स राज्य सरकार की प्रतियोगी परीक्षाओं की न्यूनतम योग्यताओं को पूरा करते हैं और फिर मेरिट के आधार पर साक्षात्कार के स्तर पर पहुंचते हैं. ऐसे में यह बात समझ से बाहर है कि ओबीसी और एससी-एसटी कैंडिडेट्स को बार-बार 'नॉट फाउंड सूटेबल' घोषित कर दिया जाता है. लिहाजा इस प्रक्रिया को प्रभावी कदम उठाकर रोका जा सकता है, ताकि ओबीसी और एससी-एसटी समाज के युवाओं में बढ़ रहे आक्रोश को थामा जा सके।'
अनुप्रिया पटेल ने अपने पत्र में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से यह आग्रह किया है कि आरक्षित वर्ग की सीटों को भरने के लिए बार-बार इंटरव्यू प्रक्रिया आयोजित की जाए और इंगित पदों को अनारक्षित ना घोषित किया जाए.
जाहिर है कि लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने नेताओं ने जिस तरह से संविधान और आरक्षण को मुद्दा बनाया था, उससे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बैकफुट पर है और केंद्रीय नेतृत्व की निगाह योगी आदित्यनाथ पर बनी हुई है, ऐसे में अनुप्रिया पटेल का पत्र लिखना, साधारण बात नहीं है. देखना होगा कि अपना दल (सोनेलाल) की नेता के लिखे पत्र का क्या असर होता है?
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