कौन हैं “लाल सिंह” जिनको कांग्रेस से टिकट मिलने पर सोशल मीडिया पर मची है रार? सड़क से सदन तक संविधान दिखाने वाली कांग्रेस क्या लेगी निर्णय?

सवाल उठ रहे हैं कि 8 साल की बच्ची के बलात्कारी का समर्थन करने वाले लाल सिंह को बर्खास्त करने की मांग करने वाली कांग्रेस ने उसी लाल सिंह को अब विधानसभा का टिकट क्यों दिया और स्टार प्रचारक क्यों बनाया है?
अब देखना यह है कि तमाम आलोचनाओं के बाद कांग्रेस पार्टी चौधरी लाल सिंह की उम्मीदवारी पर क्या निर्णय लेती है.
अब देखना यह है कि तमाम आलोचनाओं के बाद कांग्रेस पार्टी चौधरी लाल सिंह की उम्मीदवारी पर क्या निर्णय लेती है. ग्राफिक- द मूकनायक
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नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पूर्व वन, पर्यावरण, पारिस्थितिकी मंत्री एवं सांसद रहे चौधरी लाल सिंह का वैसे तो विवादों से पुराना नाता रहा है. लेकिन, बीते कुछ दिनों से वह फिर चर्चा में आ चुके हैं. इस बार सोशल मीडिया पर पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस की कड़ी आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि, लाल सिंह ने कठुआ में गैंगरेप के आरोपियों के समर्थन में तिरंगा यात्रा निकाली थी, और अब सड़क से लेकर सदन तक संविधान की बात करने वाली पार्टी कांग्रेस उन्हें टिकट देकर अपना उम्मीदवार बनाया है. 

दरअसल जम्मू की बसोहली सीट से विधानसभा चुनाव में लाल सिंह की उम्मीदवारी को लेकर गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) जैसे विपक्षी दलों ने आलोचना की है। कहा गया है कि कठुआ में हुए 8 वर्षीय आसिफा के बलात्कारियों का समर्थन करने वाले लाल सिंह का स्वागत करना राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के लिए बेहद शर्मनाक है। लाल सिंह अपने इलाके के काफी अहम नेता माने जाते हैं।

विपक्ष का वार, सोशल मीडिया पर कांग्रेस की कड़ी आलोचना

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने लाल सिंह को विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी द्वारा उम्मीदवार बनाए जाने पर कहा कि, “कांग्रेस की “लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ” की हकीकत. 2018 में: 8 साल की बच्ची के बलात्कारी का समर्थन करने वाले लाल सिंह को बर्खास्त करने की मांग की. 2024 में: उसी लाल सिंह को लोकसभा टिकट और अब विधानसभा टिकट दिया और स्टार प्रचारक बनाया. अब से कांग्रेस को महिलाओं के मुद्दों पर मुंह खोलने का कोई अधिकार नहीं है. प्रियंका गांधी, कोलकाता आरजी कर से लेकर केरल सिमी जॉन मुद्दे से लेकर कठुआ तक आपका पाखंड उजागर हो चुका है..”

पत्रकार अभिसार शर्मा ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा कि, “ऐसे में कॉंग्रेस और भाजपा में अन्तर क्या है? मासूम के बलात्कारियों और हत्यारों के पक्ष में रैली निकालने वाले बीजेपी नेताओं को न सिर्फ पनाह मगर टिकट भी? क्या 8 साल की मासूम की इज्ज़त के यही मायने हैं @priyankagandhi @RahulGandhi @kharge? शर्मनाक!”

सीएनएन न्यूज 18 की सीनियर एडिटर पल्लवी घोस लिखती हैं कि, “जम्मू-कश्मीर के लिए कांग्रेस की स्टार प्रचारकों की सूची में एक नाम ऐसा है जो बृजभूषण सिंह पर उनकी आपत्ति को कमजोर करता है - लाल सिंह.. वह व्यक्ति जिसने कठुआ बलात्कार के आरोपी का बचाव किया था.”

वहीं पत्रकार व फिल्ममेकर विनोद कापड़ी ने कहा कि, “थोड़ी भी शर्म नहीं आई @INCIndia @kharge @RahulGandhi @priyankagandhi?”

कौन हैं चौधरी लाल सिंह?

64 वर्षीय चौधरी लाल सिंह छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत सबसे पहले 1986 में कांग्रेस के साथ किये, और कठुआ जिले की बसोहली सीट से विधायक बने. इसके बाद 2002 में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने। फिर साल 2004 और 2009 में कठुआ-उधमपुर की सीट से जीत कर वह लोकसभा पहुंचे। 

साल 2014 में कांग्रेस की तरफ से टिकट न मिलने के चलते उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया। इसके बाद वह कठुआ में एक समारोह में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में औपचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।

फिर 2014 में बसोहली से भाजपा के टिकट पर उन्होंने फिर जीत दर्ज की। तब जम्मू कश्मीर राज्य में भाजपा और पीडीपी ने मिलकर सरकार बनाई। वह एक बार फिर मंत्री बने। इस बार वह वन मंत्री बने।

साल 2014 में मंत्री बनने के कुछ सप्ताह बाद ही उनके खिलाफ एक महिला डॉक्टर ने शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप लगे कि अस्पताल में ऑन ड्यूटी डॉक्टर की कॉलर को पकड़ा था।

4 साल बाद, 2018 में कठुआ में 8 साल की बच्ची के दुष्कर्म और हत्या का मामले में एक रैली में शामिल होने पर चौधरी लाल सिंह पर आरोपियों को बचाने के आरोप लगे। विवाद के परिणामस्वरूप लाल सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद भाजपा और चौधरी लाल सिंह में दूरी बढ़ती गई।

हालांकि, पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए वह सीबीआई जांच की अपनी मांग पर अड़े रहे और इस मांग के लिए बड़ी-बड़ी रैलियां निकालीं। आगे चलकर उन्होंने खुद की पार्टी बनाई, जिसे डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी नाम दिया। अभी वह भाजपा के खिलाफ आक्रामक नजर आते हैं। 

उन्होंने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का समर्थन किया था, लेकिन एक विवाद के चलते वह इस यात्रा से दूर रहे। लाल सिंह जम्मू को अलग राज्य बनाने की मांग को जोरशोर से उठाते हैं। जम्मू को अलग राज्य बनाते हुए यहां अनुच्छेद 371 को लागू करने की मांग भी करते रहे हैं।

विवाद 

साल 2016 में गुज्जर और किसानों के एक समूह ने लाल सिंह के खिलाफ पुलिस से शिकायत दर्ज कराई थी. 2018 में उनपर मीडियाकर्मियों को धमकाने के भी आरोप लगे थे.  

पिछले साल, चौधरी लाल सिंह के आवास पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापा भी मारा था। ये छापा आरबी एजुकेशनल ट्रस्ट के खिलाफ दर्ज पीएमएलए मामले में की गई थी। इस ट्रस्ट की अध्यक्ष लाल सिंह की पत्नी कांता अंदोत्रा हैं। आरोप था कि साजिश के तहत ट्रस्ट को 329 कनाल भूमि का आवंटन किया था। इस मामले में जम्मू, कठुआ और पठानकोट में आठ जगहों पर छापेमारी की जा रही थी। सीबीआई ने 12 सितंबर 2020 को इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी, जिसके बाद ईडी ने मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया था।

अब देखना यह है कि तमाम आलोचनाओं के बाद कांग्रेस पार्टी चौधरी लाल सिंह की उम्मीदवारी पर क्या निर्णय लेती है.
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