नई दिल्ली- झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने झारखंड की कमान अपने पूर्ववर्ती हेमंत सोरेन को सौंपने के लगभग दो महीने बाद, रविवार 18 अगस्त को दिल्ली पहुंचने के साथ ही बीजेपी में शामिल होने की अटकलों को हवा दी। इससे एक दिन पहले वह कोलकाता की यात्रा पर थे।
चंपई सोरेन ने इस बारे में राजनीतिक हलकों में चल रही चर्चाओं को खारिज कर दिया। उन्होंने बंगाल के बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी से मुलाकात की खबरों का भी खंडन किया और कहा कि वह कोलकाता में थे और फिर अपने "निजी काम" के लिए दिल्ली गए। उन्होंने दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए कहा, "अभी हम जहां पर हैं, वहीं पर हैं।"
सोरेन ने रविवार शाम को सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर एक लंबा और भावुक पोस्ट साझा किया, जिसमें उन्होंने अपने राजनीतिक सफर और आगामी चुनावों को लेकर अपनी योजनाओं का संकेत दिया है।
चंपई सोरेन ने अपने पोस्ट में बताया कि 31 जनवरी को इंडिया गठबंधन ने उन्हें झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में चुना था। उन्होंने इस पद पर रहते हुए राज्य की सेवा के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने हमेशा जनहित में फैसले लिए और समाज के हर तबके को ध्यान में रखते हुए काम किया।
लेकिन, उनके मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद जो घटनाएं हुईं, उन्होंने चंपई सोरेन को भीतर से झकझोर कर रख दिया। उन्होंने लिखा- "जब सत्ता मिली, तब बाबा तिलका मांझी, भगवान बिरसा मुंडा और सिदो-कान्हू जैसे वीरों को नमन कर राज्य की सेवा करने का संकल्प लिया था। झारखंड का बच्चा- बच्चा जनता है कि अपने कार्यकाल के दौरान, मैंने कभी भी, किसी के साथ ना गलत किया, ना होने दिया। इसी बीच, हूल दिवस के अगले दिन, मुझे पता चला कि अगले दो दिनों के मेरे सभी कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थगित करवा दिया गया है। इसमें एक सार्वजनिक कार्यक्रम दुमका में था, जबकि दूसरा कार्यक्रम पीजीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण करने का था। पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा 3 जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है, तब तक आप सीएम के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते। क्या लोकतंत्र में इस से अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? अपमान का यह कड़वा घूंट पीने के बावजूद मैंने कहा कि नियुक्ति पत्र वितरण सुबह है, जबकि दोपहर में विधायक दल की बैठक होगी, तो वहां से होते हुए मैं उसमें शामिल हो जाऊंगा। लेकिन, उधर से साफ इंकार कर दिया गया।"
उन्होंने कहा कि 3 जुलाई को विधायक दल की बैठक में उनसे इस्तीफा मांगा गया। चंपई सोरेन ने बताया कि सत्ता का मोह उन्हें नहीं था, लेकिन जिस तरह से उन्हें अपमानित किया गया, उससे उनका आत्म-सम्मान आहत हुआ।
उन्होंने इस पोस्ट में उल्लेख किया कि उन्हें पार्टी के केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल नहीं किया गया और बिना किसी परामर्श के एकतरफा आदेश जारी किए गए। इससे वे अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर गंभीर आत्ममंथन करने पर मजबूर हो गए।
अपने भावुक पोस्ट में चंपई सोरेन ने कहा, "आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है।" उन्होंने यह भी बताया कि उनके पास तीन विकल्प हैं - राजनीति से सन्यास लेना, अपना अलग संगठन खड़ा करना, या किसी अन्य साथी के साथ राजनीतिक सफर को जारी रखना।
झारखंड विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए, चंपई सोरेन ने संकेत दिया है कि वे किसी भी विकल्प को लेकर खुले हैं। उनके इस पोस्ट से झारखंड की राजनीति में हलचल मच गई है, और अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि चंपई सोरेन आगे क्या कदम उठाते हैं।
इस बीच, बीजेपी में शामिल होने को लेकर भी अटकलें तेज हो गई हैं, और इसके बारे में भी चंपई सोरेन ने अपने पोस्ट में संकेत दिया है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि वे बीजेपी में शामिल होंगे या नहीं, लेकिन उनका कहना है कि सभी विकल्प खुले हैं।
चंपई सोरेन का यह पोस्ट उनके अनुयायियों और समर्थकों के बीच चर्चाओं का विषय बना हुआ है, और आगामी चुनावों में उनके अगले कदम पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
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