लखनऊ। बसपा प्रदेश इकाई ने निकाय चुनाव परिणाम को लेकर लखनऊ मुख्यालय पर छोटे-बड़े पदाधिकारियों से लेकर सभी नेताओं के साथ समीक्षा बैठक की। इस बैठक में वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा, विधायक उमाशंकर सिंह सहित बसपा के सभी 9 सांसद उपस्थित रहे। इसके अलावा प्रदेश भर के जिला अध्यक्ष मंडल को-ऑर्डिनेटर भी मौजूद थे। बैठक में निकाय चुनाव के नतीजों का विश्लेषण और 2024 में पुराने प्रदर्शन को और बेहतर बनाने के लिए विचार मंथन किया गया। लखनऊ में पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ की गई समीक्षा बैठक में बसपा सुप्रीमो मायावती ने कार्यकर्ताओं से लोकसभा चुनाव में जुटने का आह्वान किया। उन्होंने "वोट हमारा राज तुम्हारा नहीं चलेगा" अभियान गांव-गांव चलाने का निर्देश दिया।
यूपी में निकाय चुनाव के आए परिणामों को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती की अध्यक्षता में गुरुवार सुबह 11 बजे लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय पर बैठक में सभी छोटे बड़े पदाधिकारी मौजूद रहे। मायावती ने कहा, "वोट हमारा राज तुम्हारा नहीं चलेगा" अभियान गांव-गांव तेजी के साथ चलाया जाए। स्टेट कमेटी और सभी 18 मंडलों में जिलों के पदाधिकारियों की बैठक लेते हुए मायावती ने कहा कि अब लोकसभा चुनाव की तैयारियों में मिशनरी लक्ष्य के साथ लगन से जुट जाना है। उन्होंने निकाय चुनाव की जिलेवार समीक्षा की और फीडबैक लिया।
मायावती ने अपनी समीक्षा बैठक में कहा, "चुनाव में भाजपा और समाजवादी पार्टी ने साम-दाम-दंड-भेद जैसे घिनौने हथकंडे अपनाये। भाजपा ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करते हुए दमन की कार्रवाई की। वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की शिकायत रही।"
उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र एवं भविष्य के लिए बेहद दुखद है। इसका जवाब लोकसभा चुनाव में जनता देगी। निकाय चुनाव में लोगों की आपसी गुटबाजी, रंजिश और मनमुटाव तथा चुनाव में टिकट नहीं मिल पाने आदि के कारण हालात थोड़े दिन अलग जरूर रहते हैं। इसे आगे ध्यान में रखकर संगठन को मजबूत किया जाए। भाजपा ने कहा कि चाहे जो भी दावा करें, लेकिन वास्तविकता यह है कि ओबीसी आरक्षण तथा महिला सीटों के आरक्षण समेत शुरू से लेकर अंत तक निकाय चुनाव को हर तरह से मैनेज व मैनिपुलेट किया गया। बावजूद इसके मेयर चुनाव को छोड़कर भाजपा की दाल लोगों ने बहुत ज्यादा नहीं गलने दी।
मायावती ने कहा कि मेयर का चुनाव भी यदि ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से होता तो परिणाम कुछ और होते। उन्होंने कहा कि आगरा और सहारनपुर के मेयर चुनाव में बसपा को घिनौना षड्यंत्र करके हरा दिया गया।
दरअसल, नगर निगम में ही नहीं बल्कि नगर पालिका और नगर पंचायत में भी बसपा की सीटें घट गई हैं। पिछली बार नगर पालिका में 29 सीटों पर बसपा के अध्यक्ष बने थे, लेकिन इस बार 20 पर सिमट गई है। इसी तरह नगर पंचायतों में 2017 के चुनावों में बसपा ने 45 अध्यक्ष जिताए थे, लेकिन इस बार 40 नगर पंचायत पर ही कब्जा जमा सकी है। इन्हीं कारणों को लेकर मायावती ने अहम बैठक की।
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