लखनऊ। उत्तर प्रदेश के रायबरेली में केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी नेता अमित शाह की रैली में एक यूट्यूब न्यूज़ चैनल के पत्रकार की पिटाई के मामले ने तूल पकड़ लिया है। यूट्यूब न्यूज़ चैनल ‘मॉलिटिक्स’ के पत्रकार राघव त्रिवेदी ने आरोप लगाया है कि रैली के दौरान सवाल पूछे जाने से नाराज़ बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उनसे मारपीट की।
राघव त्रिवेदी ने एक्स पर अस्पताल का वीडियो रीपोस्ट किया है। इसमें वो स्ट्रेचर पर लेटे दर्द से कराहते दिख रहे हैं। इस वीडियो में वो कहते दिख रहे हैं, ''बहुत मारा है। भीड़ ने मारा है। मैं रिपोर्ट कर रहा था। अमित शाह की रैली चल रही थी और लोग उठ-उठ कर जा रहे थे। मैं पूछने लगा कि लोग क्यों जा रहे हैं। इस पर उन्होंने कहा कि कैमरा बंद करो। इसके बाद 20-25 लोगों ने मुझे घेर लिया और मेरे पेट पर घूंसे मारने लगे. कम से कम डेढ़-दो सौ घूंसे मारे।''
द मूकनायक से राघव ने बताया, ''रैली में पहुंची भीड़ से बातचीत कर रहा था। मेरी बात कुछ महिलाओं से हो रही थी। महिलाओं का कहना था उन्हें पता नहीं कि उन्हें क्यों लाया गया है,उन्हें प्रधान लेकर लाए हैं और सौ रुपये दिए हैं। मैंने वहां बीजेपी के लोगों से पूछा कि क्या ये सच है। इस पर उन्होंने कहा कि तू रुक मैं आता हूं और फिर मुझे मारने लगे। मुझे पेट में घुसे मारे गए। पीटने वाले कह रहे थे कि ऐसे मारो कि निशान न दिखे।''
'किसी भाजपा के पदाधिकारी से सवाल करते हुए वीडियो का जिक्र किया तो वहां कई और लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। उन्होंने मुझे वीडियो डिलीट करने को कहा और साथ ही खींचते हुए मंच के पास ले गए। इसके बाद मुझे पीटने लगे। मुझे “मुल्ला” और “आतंकी” कहकर पीटा गया।' -राघव बताते हैं।
राघव का कहना है -'जब मेरे साथ यह सब हो रहा था तब अमित शाह मंच पर भाषण दे रहे थे। वहां पर मौजूद 40-50 पुलिस वालों से मैंने मदद भी मांगी पर किसी ने कुछ नहीं किया। भीड़ मुझे मंच के पीछे वेटिंग रूम में ले गई। मुझे कम से कम 150-200 घूंसे मारे गए। मुझे वेटिंग रूम में ही बंद कर देने के कारण बेहद घुटन हुई थी और मैं बाहर आकर बेहोश हो गया।' इस मामले में कैमरा पर्सन संजीत का कहना है कि वेटिंग रूम से बाहर आने के बाद राघव ने उल्टियां कीं। इसके बाद राघव को अस्पताल ले जाया गया। कुछ समय बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।'
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने सवाल उठाया है। जानकारी के अनुसार इस मामले में कैमरामैन की तरफ से 6 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा- "यूपी के रायबरेली में अमित शाह की रैली थी। यहां महिलाओं ने एक पत्रकार को बताया कि उन्हें पैसे देकर रैली में लाया गया है। पत्रकार ने यह बात रिकॉर्ड कर ली। इसके बाद बीजेपी के गुंडों ने पत्रकार को पकड़ लिया और उससे वीडियो डिलीट करने को कहा। जब पत्रकार ने मना किया तो बीजेपी के गुंडों ने उसे अगवा कर लिया, फिर मंच के पीछे एक कमरे में ले जाकर बुरी तरह पीटा। पत्रकार से रुपए भी छीन लिए। बीजेपी के गुंडों ने हाल ही में अमेठी के कांग्रेस कार्यालय के बाहर खड़ी गाड़ियों में तोड़फोड़ की थी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर हमला किया था। ये घटनाएं बता रही हैं कि बीजेपी के लोग सामने दिख रही हार से बौखला चुके हैं। अब अन्याय का अंत होने को है।"
प्रियंका गांधी ने कहा- रायबरेली में गृहमंत्री जी की सभा में भाजपा के लोगों द्वारा @moliticsindia के पत्रकार राघव त्रिवेदी को बेरहमी से पीटा गया। गृहमंत्री जी भाषण देते रहे और पुलिस मूकदर्शक बनी देखती रही। पत्रकार को सिर्फ इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने कुछ महिलाओं से बात की थी जो कह रही थीं कि सभा में आने के लिए उन्हें पैसे दिए गए। पूरे देश के मीडिया का मुंह बंद कर देने वाली भाजपा को यह बर्दाश्त नहीं है कि उनके खिलाफ कहीं कोई आवाज उठे। संविधान खत्म करने का अभियान चला रही भाजपा इस देश से लोकतंत्र को खत्म कर जनता की आवाज छीन लेना चाहती है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मामले पर कहा- हिंसा हार की निशानी होती है। भाजपा की रायबरेली की एक रैली में पैसे देकर लाए गये लोगों के बारे में जब दिल्ली के एक पत्रकार ने सच सबके सामने लाना चाहा तो भाजपाइयों ने उसके ऊपर हमला कर दिया। यही है उप्र में क़ानून-व्यवस्था का सच। जब देश के गृहमंत्री की रैली में ये हाल है, जिनके अधीन पुलिस होती है तो फिर बाक़ी देश का कितना बुरा हाल होगा, कहने की ज़रूरत नहीं। भाजपा हिंसक माहौल बनाकर चुनाव जीतना चाहती है।
बिहार के नेता पप्पू यादव ने कहा- रायबरेली में गृह मंत्री अमित शाह की रैली में निर्भीक पत्रकार राघव त्रिवेदी पर बीजेपी वालों ने हमला कर बुरी तरह घायल कर दिया। अस्पताल में उनका उपचार हो रहा है, मैं उनसे मिलने जा रहा हूं। भाजपा में हार की बौखलाहट ज़बरदस्त है। भयभीत भाजपा पत्रकारों की पिटाई कर खीज उतार रही है। पत्रकारिता करने पर प्रहार, चाटुकारिता करने पर प्यार.. भाजपा का है यह नया व्यवहार, चार जून को चली जाएगी यह सरकार। पत्रकार राघव त्रिवेदी से रायबरेली ज़िला अस्पताल में मिला! शीघ्र स्वस्थ हों!
एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा जारी नवीनतम वार्षिक विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 180 देशों में 159वें स्थान पर है। इससे पहले 2023 की सूची में भारत 161वें स्थान पर था। इस बीच, पाकिस्तान भारत से सात पायदान ऊपर 152वें स्थान पर है। 2023 में यह 150वें स्थान पर था। नॉर्वे रैंकिंग में शीर्ष पर है, जबकि डेनमार्क विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में दूसरे स्थान पर है। सूची में स्वीडन तीसरे स्थान पर है।
रिपोर्ट के अनुसार, आज तक भारत में नौ पत्रकारों और एक मीडियाकर्मी को हिरासत में लिया गया है, जबकि जनवरी 2024 के बाद से देश में किसी भी पत्रकार/मीडियाकर्मी की हत्या नहीं हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सूचकांक में कुछ देशों की बेहतर रैंकिंग “भ्रामक है क्योंकि उनके स्कोर में गिरावट आई है और सूचकांक में बढ़ोतरी उन देशों की गिरावट का परिणाम है जो पहले उनसे ऊपर थे”।
रिपोर्ट में कहा गया है, “यह भारत (159वें) का मामला है, जो हाल ही में अधिक कठोर कानूनों को अपनाने के बावजूद दो पायदान ऊपर चला गया है।” इसमें कहा गया है कि मोदी सरकार ने “कई नए कानून पेश किए हैं जो सरकार को मीडिया को नियंत्रित करने, समाचारों को सेंसर करने और आलोचकों को चुप कराने की असाधारण शक्ति देंगे, जिनमें 2023 दूरसंचार अधिनियम, 2023 मसौदा प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक और 2023 डिजिटल पर्सनल डेटा संरक्षण अधिनियम शामिल हैं।”
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