नई दिल्ली: अनुप्रिया पटेल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सरकारी भर्ती प्रक्रिया में एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित सीटों को 'अनारक्षित' करने की प्रथा को समाप्त करने का आग्रह किया था। अनुप्रिया पटेल अपना दल (सोनीलाल) की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, जो यूपी में सत्तारूढ़ भाजपा की प्रमुख सहयोगी है।
अनुप्रिया के पत्र का जवाब देने से पहले, उत्तर प्रदेश में भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने भर्ती प्रक्रिया में शामिल आयोगों और विभागों सहित विभिन्न सरकारी निकायों से विस्तृत रपट एकत्र की।
इन रपटों के आधार पर राज्य सरकार के नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग ने शुक्रवार देर रात केंद्रीय राज्य मंत्री को जवाब भेजा। जवाब में नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने सरकारी संस्थाओं से प्राप्त ऐसी रपटों का हवाला दिया है, जहां सीधे साक्षात्कार के माध्यम से नियुक्तियां की जाती हैं।
चतुर्वेदी ने बताया कि सरकार ने अपने जवाब में राज्य मंत्री को तथ्यात्मक स्थिति से अवगत कराया है। उनके पत्र के अनुसार उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने सरकार को सूचित किया है कि साक्षात्कार प्रक्रिया में 'कोडिंग' का उपयोग किया जाता है जिसके आधार पर उम्मीदवारों का नाम, आरक्षण, श्रेणी और आयु अज्ञात रहती है और ऐसी व्यक्तिगत जानकारी साक्षात्कार बोर्ड को उपलब्ध नहीं कराई जाती है।
पत्र में कहा गया है कि इसके अलावा, साक्षात्कार बोर्ड 'उपयुक्त नहीं' का उल्लेख नहीं करता है। इसके बजाय, इसमें ग्रेडिंग का उल्लेख किया जाता है जिसे अंकपत्र में नोट किए जाने वाले अंकों में परिवर्तित किया जाता है।
पत्र के अनुसार ऐसे साक्षात्कारों के लिए न्यूनतम योग्यता अंक सामान्य, इंडब्लूएस और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 40 फीसद और अनुसूचित जाति (एससी)/ अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 35 फीसद है। रिक्तियों के लिए, यदि उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं, तो आयोग को अपने स्तर पर इन सभी रिक्तियों को किसी अन्य श्रेणी में परिवर्तित करने का अधिकार नहीं है और सरकारी आदेशों के अनुसार, ऐसी रिक्तियों को आगे बढ़ाया जाता है।
अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर राज्य सरकार की सिर्फ साक्षात्कार आधारित नियुक्ति प्रक्रिया वाले आरक्षित पदों पर पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के अभ्यर्थियों को नहीं चुने जाने की शिकायत की थी।
पटेल ने 27 जून को मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि आपको बताना है कि पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के अभ्यर्थी लगातार संपर्क कर उन्हें अवगत करा रहे हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित सिर्फ साक्षात्कार आधारित नियुक्ति प्रक्रिया वाली विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित पदों पर इन वर्गों के अभ्यर्थियों को प्राय 'नाट फाउंड सूटेबल' (योग्य नहीं पाया गया) घोषित करके उनका चयन नहीं किया जाता।
उन्होंने आरोप लगाया कि सिर्फ साक्षात्कार आधारित नियुक्ति प्रक्रिया वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में इन आरक्षित पदों के लिए यह प्रक्रिया कई बार अपना कर अंत में उन्हें अनारक्षित घोषित कर दिया जाता है।
पटेल ने पत्र में कहा कि आप भी सहमत होंगे कि अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के अभ्यर्थी भी इन परीक्षाओं के लिए न्यूनतम अर्हता की परीक्षा भी अपनी योग्यता के आधार पर ही पास करते हैं तथा अपनी योग्यता के आधार पर ही इन साक्षात्कार आधारित परीक्षाओं के लिए वे पात्र पाए जाते हैं। अतः अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के अभ्यर्थियों को बार-बार 'नाट फाउंड सूटेबल' घोषित करके उनको नियुक्ति के लिए सफल न पाया जाना समझ के परे है।
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